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बिना पब्लिक नोटिस के संविदा देने पर घिरा स्वास्थ्य विभाग, HC ने प्रधान स्वास्थ्य सचिव से तलब किया जवाब

मैन पावर की आपूर्ति के लिए बिहार स्वास्थ्य विभाग की ओर से एजेंसी को दिए गए टेंडर को अवैध बताते हुए याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका लगाई थी. जिसकी सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने प्रधान स्वास्थ्य सचिव प्रत्यय अमृत से जवाब तलब किया है. पढ़ें पूरी खबर-

Patna High Court News
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Published : Jan 28, 2022, 3:35 PM IST

पटना: कथित रूप से बिना किसी टेंडर और पब्लिक नोटिस जारी किए मैन पॉवर की आपूर्ति के लिए संविदा दिए जाने के मामले में पटना हाईकोर्ट (Patna High Court ) ने राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव व आयुष के डायरेक्टर से जवाब तलब किया है. इस मामले में अखिलेश की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल (Chief Justice Sanjay Karol ) की डिवीजन बेंच ने सुनवाई की.

ये भी पढ़ें- पटना हाईकोर्ट ने सिवान और पटना के DM को दिया हलफनामा दायर करने का निर्देश, ये है मामला

जनहित याचिका में यह आरोप लगाया गया है कि 2019 में हेल्थ अपॉइंटमेंट के लिए 36 करोड़ रुपए से भी अधिक की संविदा अवैध ढंग से धोखेबाजी कर एजेंसी को दी गई है. यह संविदा पटना के अगमकुआं स्थित सर्विस प्रोवाइडर एजेंसी मेसर्स वैष्णवी हॉस्पिटल को दी गई है. जनहित याचिका में उच्च स्तरीय जांच करवाकर दोषियों को दंडित करने की माँग कोर्ट से की गयी है. याचिकाकर्ता ने मेसर्स वैष्णवी हॉस्पिटल को दिए गए पूरे कार्य आदेश को रद्द करने का अनुरोध भी किया गया है.

याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट में पक्ष प्रस्तुत करते हुए अधिवक्ता सुरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि संविदा सरकार द्वारा स्थापित प्रत्येक नियम का उल्लंघन करते हुए और जनरल फाइनेंसियल रूल्स की गाइडलाइंस को नजर अंदाज करते हुए दी गई है.

अधिवक्ता सुरेन्द्र कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया कि कोर्ट ने आदेश पारित करते हुए मौखिक रूप से सख्त हिदायत दी है कि इस मामले को हल्के में नहीं लिया जाए. इसके लिए जो भी दोषी होगा, उसके विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए. इस केस में अगली सुनवाई 22 फरवरी 2022 को होगी.

ये भी पढ़ें: दुर्लभ जेनेटिक बीमारी पर पटना हाईकोर्ट का निर्देश- 'हलफनामा देकर जवाब दें प्रधान स्वास्थ्य सचिव'

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पटना: कथित रूप से बिना किसी टेंडर और पब्लिक नोटिस जारी किए मैन पॉवर की आपूर्ति के लिए संविदा दिए जाने के मामले में पटना हाईकोर्ट (Patna High Court ) ने राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव व आयुष के डायरेक्टर से जवाब तलब किया है. इस मामले में अखिलेश की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल (Chief Justice Sanjay Karol ) की डिवीजन बेंच ने सुनवाई की.

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जनहित याचिका में यह आरोप लगाया गया है कि 2019 में हेल्थ अपॉइंटमेंट के लिए 36 करोड़ रुपए से भी अधिक की संविदा अवैध ढंग से धोखेबाजी कर एजेंसी को दी गई है. यह संविदा पटना के अगमकुआं स्थित सर्विस प्रोवाइडर एजेंसी मेसर्स वैष्णवी हॉस्पिटल को दी गई है. जनहित याचिका में उच्च स्तरीय जांच करवाकर दोषियों को दंडित करने की माँग कोर्ट से की गयी है. याचिकाकर्ता ने मेसर्स वैष्णवी हॉस्पिटल को दिए गए पूरे कार्य आदेश को रद्द करने का अनुरोध भी किया गया है.

याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट में पक्ष प्रस्तुत करते हुए अधिवक्ता सुरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि संविदा सरकार द्वारा स्थापित प्रत्येक नियम का उल्लंघन करते हुए और जनरल फाइनेंसियल रूल्स की गाइडलाइंस को नजर अंदाज करते हुए दी गई है.

अधिवक्ता सुरेन्द्र कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया कि कोर्ट ने आदेश पारित करते हुए मौखिक रूप से सख्त हिदायत दी है कि इस मामले को हल्के में नहीं लिया जाए. इसके लिए जो भी दोषी होगा, उसके विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए. इस केस में अगली सुनवाई 22 फरवरी 2022 को होगी.

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