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निचली अदालत ने सुनाई थी मौत की सजा, HC ने ठोस गवाह के अभाव में आरोपी को किया बरी, जानें क्या है मामला - पति बरी

पटना हाईकोर्ट ने दहेज के लिए पत्नी की हत्या के आरोप में पति को ठोस गवाह नहीं होने के कारण बरी कर दिया गया है. यह मामला गोपालगंज के मंझागढ़ (थावे) थाना का है. साल 2007 में आरोपी पर अपनी पत्नी को दहेज के लिए प्रताड़ित करने और उसे आत्महत्या के लिए मजबूर करने का आरोप लगा था.

पटना हाईकोर्ट
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Published : Jun 22, 2021, 3:02 AM IST

Updated : Jun 22, 2021, 6:12 AM IST

पटना: Patna high court ने दहेज के लिए पत्नी की हत्या के आरोप में निचली अदालत से मृत्यु दंड की सजा पाए पति को ठोस गवाह नहीं होने के कारण बरी कर दिया गया है. जस्टिस अश्विनी कुमार सिंह खंडपीठ ने मृत्यु दंड पाने वाले नसीरुद्दीन मियां उर्फ लालू की अपील को मंजूर करते हुए उसे बरी करने का फैसला सुनाया.

यह भी पढ़ें: पटना हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, 1999 सेनारी नरसंहार के सभी 13 दोषी बरी

क्या है पूरा मामला
मामला गोपालगंज के मंझागढ़ (थावे) थाना का है. साल 2007 में आरोपी पर अपनी पत्नी को दहेज के लिए प्रताड़ित करने और उसे आत्महत्या के लिए मजबूर करने का आरोप लगा था. पत्नी की हत्या कर शव को छिपाने के आरोप में आरोपी पर अलग से चार्ज लगाया गया है. ट्रायल के बीच पटना हाईकोर्ट ने अभियोजन पक्ष की गवाही विश्वसनीय नहीं होने पर आरोपी को बरी कर दिया.

निचली अदालत ने सुनाई थी फांसी
गोपालगंज के सत्र न्यायाधीश ने नसीरुद्दीन को अपनी पत्नी की हत्या का दोषी ठहराते हुए मार्च 2019 में मौत की सजा सुनाई थी.

पटना हाईकोर्ट में दी थी चुनौती
अदालत के इस फैसले की अपील करके इसे पटना हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले को खारिज करते हुए कहा कि मुकदमे के संचालन में उजागर हुई खामियां और बिना किसी ठोस गवाह के आरोपी को हत्या का दोषी ठहराना सही नहीं है.

निचली अदालत ने सुनाई थी मौत की सजा, HC ने ठोस गवाह के अभाव में आरोपी को किया बरी, जानें क्या है मामला

पटना: Patna high court ने दहेज के लिए पत्नी की हत्या के आरोप में निचली अदालत से मृत्यु दंड की सजा पाए पति को ठोस गवाह नहीं होने के कारण बरी कर दिया गया है. जस्टिस अश्विनी कुमार सिंह खंडपीठ ने मृत्यु दंड पाने वाले नसीरुद्दीन मियां उर्फ लालू की अपील को मंजूर करते हुए उसे बरी करने का फैसला सुनाया.

यह भी पढ़ें: पटना हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, 1999 सेनारी नरसंहार के सभी 13 दोषी बरी

क्या है पूरा मामला
मामला गोपालगंज के मंझागढ़ (थावे) थाना का है. साल 2007 में आरोपी पर अपनी पत्नी को दहेज के लिए प्रताड़ित करने और उसे आत्महत्या के लिए मजबूर करने का आरोप लगा था. पत्नी की हत्या कर शव को छिपाने के आरोप में आरोपी पर अलग से चार्ज लगाया गया है. ट्रायल के बीच पटना हाईकोर्ट ने अभियोजन पक्ष की गवाही विश्वसनीय नहीं होने पर आरोपी को बरी कर दिया.

निचली अदालत ने सुनाई थी फांसी
गोपालगंज के सत्र न्यायाधीश ने नसीरुद्दीन को अपनी पत्नी की हत्या का दोषी ठहराते हुए मार्च 2019 में मौत की सजा सुनाई थी.

पटना हाईकोर्ट में दी थी चुनौती
अदालत के इस फैसले की अपील करके इसे पटना हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले को खारिज करते हुए कहा कि मुकदमे के संचालन में उजागर हुई खामियां और बिना किसी ठोस गवाह के आरोपी को हत्या का दोषी ठहराना सही नहीं है.

Last Updated : Jun 22, 2021, 6:12 AM IST
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