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राज्य में प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री पर पटना HC सख्त, प्रधान सचिव को हलफनामा दायर करने का दिया निर्देश

राज्य में प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री पर पटना हाईकोर्ट ने सख्त रूख (Patna HC Strict on Sale Of Banned Drugs In State) अख्तियार कर लिया है. कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए सूबे में प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध की गई कार्रवाई के सम्बंध में राज्य के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है.

पटना हाई कोर्ट
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Published : Nov 11, 2022, 10:50 PM IST

पटना: पटना हाई कोर्ट ने राज्य में प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री (Sale Of Banned Drugs In Bihar) के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध की गई कार्रवाई के सम्बंध में राज्य के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है. चीफ जस्टिस संजय करोल (Chief Justice Sanjay Karol) व जस्टिस पार्थ सारथी की खंडपीठ ने अधिवक्ता मयूरी द्वारा दायर जनहित याचिका पर ऑनलाइन सुनवाई करते हुए ये आदेश को पारित किया. कोर्ट ने राज्य में स्टेट ड्रग कंट्रोलर की स्थाई नियुक्ति के लिए उठाए गए कदम के संबंध में प्रधान सचिव को सूचित करने को कहा है. चूंकि वर्तमान ड्रग कंट्रोलर करीब विगत 5 वर्षों से अस्थाई रूप से कार्यरत हैं.

ये भी पढ़ें- राज्य सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा नहीं किये जाने के मामले पर टली सुनवाई

प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री पर HC सख्त : स्टेट ड्रग कंट्रोलर ने कथित रूप से कुछ प्रतिबंधित दवाओं बनाये जाने के लिए लाइसेंस की मंजूरी दी थी. इन दवाओं को भारत सरकार ने एक गजट अधिसूचना से वर्ष 2011 में ही प्रतिबंधित कर दिया था. याचिकाकर्ता का कहना है कि स्टेट ड्रग कंट्रोलर की लापरवाही की वजह से कुछ दवाओं पर पूरे भारत में प्रतिबंध लगा दिए जाने के बावजूद इन दवाओं को बिहार राज्य में बनाया और बेचा जा रहा था.

'स्वास्थ के प्रति स्वास्थ्य कर्मियों की उदासीनता' : कोर्ट का यह भी कहना था कि मामले के प्रकाश में आने के बाद करीब डेढ़ साल बीत जाने के बाद भी आज तक किसी भी कर्मियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कि गई है, जो कि प्रथम दृष्टया राज्य में स्वास्थ के प्रति स्वास्थ्य कर्मियों की उदासीनता को बतलाता है. इस मामले पर अगली सुनवाई 25 नवंबर 2022 को होगी.

पटना: पटना हाई कोर्ट ने राज्य में प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री (Sale Of Banned Drugs In Bihar) के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध की गई कार्रवाई के सम्बंध में राज्य के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है. चीफ जस्टिस संजय करोल (Chief Justice Sanjay Karol) व जस्टिस पार्थ सारथी की खंडपीठ ने अधिवक्ता मयूरी द्वारा दायर जनहित याचिका पर ऑनलाइन सुनवाई करते हुए ये आदेश को पारित किया. कोर्ट ने राज्य में स्टेट ड्रग कंट्रोलर की स्थाई नियुक्ति के लिए उठाए गए कदम के संबंध में प्रधान सचिव को सूचित करने को कहा है. चूंकि वर्तमान ड्रग कंट्रोलर करीब विगत 5 वर्षों से अस्थाई रूप से कार्यरत हैं.

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प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री पर HC सख्त : स्टेट ड्रग कंट्रोलर ने कथित रूप से कुछ प्रतिबंधित दवाओं बनाये जाने के लिए लाइसेंस की मंजूरी दी थी. इन दवाओं को भारत सरकार ने एक गजट अधिसूचना से वर्ष 2011 में ही प्रतिबंधित कर दिया था. याचिकाकर्ता का कहना है कि स्टेट ड्रग कंट्रोलर की लापरवाही की वजह से कुछ दवाओं पर पूरे भारत में प्रतिबंध लगा दिए जाने के बावजूद इन दवाओं को बिहार राज्य में बनाया और बेचा जा रहा था.

'स्वास्थ के प्रति स्वास्थ्य कर्मियों की उदासीनता' : कोर्ट का यह भी कहना था कि मामले के प्रकाश में आने के बाद करीब डेढ़ साल बीत जाने के बाद भी आज तक किसी भी कर्मियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कि गई है, जो कि प्रथम दृष्टया राज्य में स्वास्थ के प्रति स्वास्थ्य कर्मियों की उदासीनता को बतलाता है. इस मामले पर अगली सुनवाई 25 नवंबर 2022 को होगी.

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