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कोरोना महामारी को लेकर पटना HC में सुनवाई, राज्य सरकार ने सौंपा ब्यौरा - कोरोना पर पटना हाईकोर्ट की सुनवाई

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि कोरोना टेस्ट में लगभग 40 फीसदी में रिपोर्ट सही नहीं होते हैं. उन्होंने कोर्ट को बताया कि राज्य में इन मशीनों की काफी कमी है और साथ ही टेस्ट भी काफी कम संख्या में हो रहे हैं.

पटना
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Published : Dec 8, 2020, 3:16 PM IST

पटना: पटना हाईकोर्ट में राज्य सरकार ने कोरोना महामारी को नियंत्रित करने के लिए की जा रही कार्रवाई का पूरा ब्यौरा प्रस्तुत किया. दिनेश कुमार सिंह और अन्य की याचिकाओं पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई की. उन्होंने कहा कि बिहार में कोरोना का नहीं होना मात्र मिथ है.

राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि राज्य के सभी जिलों में कोरोना महामारी को नियंत्रित करने के लिए लगातार टेस्ट और कार्रवाई की जा रही है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि बिहार में कोरोना का नहीं होना मात्र मिथ है.

15 दिसंबर को होगी अगली सुनवाई
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि राज्य के अधिकांश मेडिकल कॉलेजों में सिटी स्कैन और एमआरआई मशीन नहीं है. इस कारण मरीजों को पैसे खर्च कर टेस्ट कराने होते हैं. उन्होंने कोर्ट को बताया कि कोरोना टेस्ट में लगभग 40 फीसदी में रिपोर्ट सही नहीं होते हैं. इससे पहले कोर्ट ने 60 साल के अधिक आयु के लोगों के करोना जांच के मामले में राज्य सरकार को रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है. इस मामले पर अगली सुनवाई 15 दिसंबर को की जाएगी.

पटना: पटना हाईकोर्ट में राज्य सरकार ने कोरोना महामारी को नियंत्रित करने के लिए की जा रही कार्रवाई का पूरा ब्यौरा प्रस्तुत किया. दिनेश कुमार सिंह और अन्य की याचिकाओं पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई की. उन्होंने कहा कि बिहार में कोरोना का नहीं होना मात्र मिथ है.

राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि राज्य के सभी जिलों में कोरोना महामारी को नियंत्रित करने के लिए लगातार टेस्ट और कार्रवाई की जा रही है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि बिहार में कोरोना का नहीं होना मात्र मिथ है.

15 दिसंबर को होगी अगली सुनवाई
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि राज्य के अधिकांश मेडिकल कॉलेजों में सिटी स्कैन और एमआरआई मशीन नहीं है. इस कारण मरीजों को पैसे खर्च कर टेस्ट कराने होते हैं. उन्होंने कोर्ट को बताया कि कोरोना टेस्ट में लगभग 40 फीसदी में रिपोर्ट सही नहीं होते हैं. इससे पहले कोर्ट ने 60 साल के अधिक आयु के लोगों के करोना जांच के मामले में राज्य सरकार को रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है. इस मामले पर अगली सुनवाई 15 दिसंबर को की जाएगी.

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