पटना: परंपरागत खेती से किसानों को हो रहे घाटे को कम करने के लिए कृषि वैज्ञानिक अथक प्रयास कर रहे हैं. इस क्रम में ब्लैक व्हीट यानि काले गेहूं का पैदावर शुरू किया गया है. पटना जिले के एक किसान ने इस गेहूं का सफल उत्पादन कर अन्य किसानों के लिए मिसाल कायम किया है.
कैसे उगाए काला गेहूं ?
बताया जाता है कि ब्लैक व्हीट को उपजाने की प्रक्रिया बिल्कुल आम गेहूं की तरह ही है. साथ ही उत्पादन भी समतुल्य है. इसमें एक खास बात यह है कि यह गेहूं बिकता मंहगा है, इसलिये फायदे का सौदा है. ब्लैक व्हीट के बारे में यह दावा है कि यह गेहूं आम गेहूं के मुकाबले कई गुना पौष्टिक है. ब्लैक व्हीट कैंसर, डायबिटीज और दिल की बीमारियों में मददगार साबित हो सकता है. यही कारण है कि काला गेहूं बहुत मंहगा बिकता है.
क्यों है फायदे का सौदा ?
कहते है इस गेहूं के लिए किए गए दावों में भी काफी हद तक सच्चाई है. दरअसल काले गेहूं में एंथोसायनिन नामक पिग्मेंट होते हैं. इसी एंथोसायनिन की अधिकता से फलों, सब्जियों और अनाजों का रंग नीला, बैगनी या काला हो जाता है. एंथोसायनिन नेचुरल एंटीऑक्सीडेंट है, जो सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता हैं. जहां आम गेहूं के एंथोसायनिन महज पांच पीपीएम होता है, वहीं काले गेहूं के यह सौ से दो सौ पीपीएम होता है. काले गेहूं में जिंक और आयरन भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है.
कम लोगों को है इसकी जानकारी
फिलहाल, इक्का-दुक्का किसानों को ही काले गेहूं की खेती का पता है. जिसक कारण इसका उत्पादन कम है. बता दें कि जहां आम गेहूं की कीमत बाजार में 1600 रुपये होती है, वहीं काला गेहूं 2600 से लेकर 2800 रुपये तक का आता है. ऐसे में यह किसानों के लिए कम लागत में फायदे का सौदा साबित हो सकता है.
पंजाब के 'नाबी' ने की खोज
काले गेहूं की खोज पंजाब में गेहूं पर रिसर्च करने वाली संस्था नेशनल एग्री फूड बॉयोटेक्नोलॉजी इंस्टीच्यूट(नाबी) ने किया है. बिहटा के किसान गिरेन्द्र ने बताया कि जब 2006 में एपीजे अब्दुल कलाम राष्ट्रपति के तौर पर बिहार आये थे. तब उनका दौरा पालीगंज क्षेत्र में भी हुआ था. वहां उनसे मुलाकात करने के बाद उन्हें काफी प्रेरणा मिली. गिरेन्द्र ने बताया कि राष्ट्रपति कलाम ने कहा था कि किसानों को अगर तरक्की करना है तो उन्हें आधुनिक खेती की ओर रुख करना होगा. नए-नए प्रयोग करने होंगे. इसी बात से प्रभावित होकर वह काफी दिनों से खेती में कुछ नया करने का प्रयास कर रहे थे. तब उन्हें नाबी के खोज के बारे में पता चला. उन्होंने तुरंत मोहाली से काले गेहूं का बीज मंगाकर इसकी खेती शुरू की और इसका अच्छा उत्पादन भी किया.