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नोबल विजेता अभिजीत बनर्जी की सलाह पर बोले पटना के अर्थशास्त्री- रोजगार के करने होंगे उपाय - Abhijeet Banerjee's advice to India

डी एम दिवाकर ने कहा कि सरकार को गांवों में रोजगार के अवसर पैदा करने होंगे. बिहार लौट चुके सभी स्किल्ड वर्कर्स के लिये रोजगार पैदा किये जायें.

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Published : May 5, 2020, 5:44 PM IST

पटना: नोबेल पुरस्कार विजेता और प्रख्यात अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने मंगलवार को कहा कि कोरोना संकट की मार झेल रही अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए देश की आबादी के एक बड़े हिस्से के हाथों में पैसा पहुंचाना होगा. इस पर राज्यवासियों की तरफ से भी प्रतिक्रिया आई है. पटना के इकोनॉमिस्ट प्रोफेसर डॉक्टर डीएम दिवाकर ने कहा कि अभिजीत बनर्जी ने जो उपाय सुझाए हैं, सिर्फ इतने से ही काम नहीं होगा.

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संवाद के दौरान अभिजीत बनर्जी ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत सरकार को अमेरिका और कुछ अन्य देशों की तरह बड़ा प्रोत्साहन पैकेज देना होगा, ताकि लोगों के हाथों में पैसे जाएं और बाजार में मांग बढ़ सके. लॉकडाउन के कारण सभी को काफी परेशानी हो रही है. प्रवासी मजदूर जो दूसरे राज्यों में काम करते थे वह अपने घरों को लौट रहे हैं. सभी कामकाज ठप हैं. ऐसे में भारतीय अर्थव्यवस्था काफी बिगड़ रही है.

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BIS अध्यक्ष रामलाल खेतान

गांवों में रोजगार पैदा करने की सलाह
अभिजीत बनर्जी की सलाह पर पटना के अर्थशास्त्री ने ईटीवी भारत से कहा कि सिर्फ इतने से काम नहीं होगा. हां इतना जरूर हो सकता है कि फिलहाल उस उपाय से कुछ राहत मिल सके या उससे यह होगा कि गांव या शहर के ऐसे लोग जिनके सामने भूखमरी की स्थिति हो गई है, उन्हें थोड़ी राहत जरूर मिल जाये. अगर भारत की अर्थव्यवस्था को सुधाराना है तो सरकार को रोजगार की व्यवस्था करनी होगी, क्योंकि शहर का रोजगार तो ठप हो गया है और इसे खड़ा होने में साल भर से ज्यादा लग जाएगा.

वापस लौटे मजदूरो की प्रोफाइलिंग
डी एम दिवाकर ने कहा कि सरकार को गांवों में रोजगार के अवसर पैदा करने होंगे. बिहार लौट चुके सभी स्किल्ड वर्कर्स के लिये रोजगार पैदा किये जायें. उन्होंने कहा कि मेरी भारत सरकार को राय है कि जहां-जहां प्रवासी मजदूर पहुंच रहे हैं उनकी सिर्फ कोरोना प्रोफाइलिंग न कर उनकी जो कुशलता और निपुणता है उसका भी मैपिंग करें, ताकि जिलेवार एक ऐसा रोडमैप तैयार किया जा सके जिससे वापस आये प्रवासी मजदूरों की कुशलता लायक रोजगार पैदा किये जाने में सहूलियत होगी. डी एम दिवाकर ने कहा कि अब वह समय आ गया है कि हमें गांधी के ग्राम स्वराज की तरफ लौटना होगा. तभी हम बेहतर भारत की कल्पना कर सकते हैं और एक बेहतर भारत होगा तभी बेहतर अर्थव्यवस्था होगी.

कोरोना संकट भारत के लिये मौका
वहीं बिहार इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के अध्यक्ष रामलाल खेतान ने बताया कि सुझाव का कोई अंत नहीं है. ये महामारी विश्वव्यापी है. इससे सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है. यही कारण है कि भारत की अर्थव्यवस्था भी गड़बड़ हो गई है. भारत सरकार ने जिस तरह से कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण पर नियंत्रण किया है, यह वाकई काबिले तारीफ है. इस समय हमें संयम रखने और अपना बचाव करने की जरूरत हैं. उन्होंने कहा कि कई ऐसी बड़ी कंपनियां हैं जो इस संक्रमण के बाद ऐसे देशों की तलाश करेंगी जिसने इस पर अच्छे तरीके से नियंत्रण किया और भारत को इसका लाभ मिलेगा.

पटना: नोबेल पुरस्कार विजेता और प्रख्यात अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने मंगलवार को कहा कि कोरोना संकट की मार झेल रही अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए देश की आबादी के एक बड़े हिस्से के हाथों में पैसा पहुंचाना होगा. इस पर राज्यवासियों की तरफ से भी प्रतिक्रिया आई है. पटना के इकोनॉमिस्ट प्रोफेसर डॉक्टर डीएम दिवाकर ने कहा कि अभिजीत बनर्जी ने जो उपाय सुझाए हैं, सिर्फ इतने से ही काम नहीं होगा.

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संवाद के दौरान अभिजीत बनर्जी ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत सरकार को अमेरिका और कुछ अन्य देशों की तरह बड़ा प्रोत्साहन पैकेज देना होगा, ताकि लोगों के हाथों में पैसे जाएं और बाजार में मांग बढ़ सके. लॉकडाउन के कारण सभी को काफी परेशानी हो रही है. प्रवासी मजदूर जो दूसरे राज्यों में काम करते थे वह अपने घरों को लौट रहे हैं. सभी कामकाज ठप हैं. ऐसे में भारतीय अर्थव्यवस्था काफी बिगड़ रही है.

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BIS अध्यक्ष रामलाल खेतान

गांवों में रोजगार पैदा करने की सलाह
अभिजीत बनर्जी की सलाह पर पटना के अर्थशास्त्री ने ईटीवी भारत से कहा कि सिर्फ इतने से काम नहीं होगा. हां इतना जरूर हो सकता है कि फिलहाल उस उपाय से कुछ राहत मिल सके या उससे यह होगा कि गांव या शहर के ऐसे लोग जिनके सामने भूखमरी की स्थिति हो गई है, उन्हें थोड़ी राहत जरूर मिल जाये. अगर भारत की अर्थव्यवस्था को सुधाराना है तो सरकार को रोजगार की व्यवस्था करनी होगी, क्योंकि शहर का रोजगार तो ठप हो गया है और इसे खड़ा होने में साल भर से ज्यादा लग जाएगा.

वापस लौटे मजदूरो की प्रोफाइलिंग
डी एम दिवाकर ने कहा कि सरकार को गांवों में रोजगार के अवसर पैदा करने होंगे. बिहार लौट चुके सभी स्किल्ड वर्कर्स के लिये रोजगार पैदा किये जायें. उन्होंने कहा कि मेरी भारत सरकार को राय है कि जहां-जहां प्रवासी मजदूर पहुंच रहे हैं उनकी सिर्फ कोरोना प्रोफाइलिंग न कर उनकी जो कुशलता और निपुणता है उसका भी मैपिंग करें, ताकि जिलेवार एक ऐसा रोडमैप तैयार किया जा सके जिससे वापस आये प्रवासी मजदूरों की कुशलता लायक रोजगार पैदा किये जाने में सहूलियत होगी. डी एम दिवाकर ने कहा कि अब वह समय आ गया है कि हमें गांधी के ग्राम स्वराज की तरफ लौटना होगा. तभी हम बेहतर भारत की कल्पना कर सकते हैं और एक बेहतर भारत होगा तभी बेहतर अर्थव्यवस्था होगी.

कोरोना संकट भारत के लिये मौका
वहीं बिहार इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के अध्यक्ष रामलाल खेतान ने बताया कि सुझाव का कोई अंत नहीं है. ये महामारी विश्वव्यापी है. इससे सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है. यही कारण है कि भारत की अर्थव्यवस्था भी गड़बड़ हो गई है. भारत सरकार ने जिस तरह से कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण पर नियंत्रण किया है, यह वाकई काबिले तारीफ है. इस समय हमें संयम रखने और अपना बचाव करने की जरूरत हैं. उन्होंने कहा कि कई ऐसी बड़ी कंपनियां हैं जो इस संक्रमण के बाद ऐसे देशों की तलाश करेंगी जिसने इस पर अच्छे तरीके से नियंत्रण किया और भारत को इसका लाभ मिलेगा.

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