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ठंड बढ़ने के साथ ही बिहार में बढ़ी कोरोना मरीजों की मौत की संख्या

वैश्विक महामारी कोरोना का कहर ठंड में और भी बढ़ गया है. बिहार में कड़ाके की ठंड पड़ने के कारण कोरोना मरीजों की मृत्यु दर में इजाफा हुआ है. पीएमसीएच में कोरोना वार्ड के प्रभारी डॉक्टर का कहना है कि दिक्कत होने पर तत्काल अस्पताल पहुंचे और इलाज करायें.

पीएमसीएच
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Published : Dec 23, 2020, 7:40 AM IST

पटनाः ठंड बढ़ने के साथ ही प्रदेश में पिछले कुछ दिनों में कोरोना से मौतों के मामले बढ़े हैं. ऐसे में चिकित्सकों का कहना है कि होम आइसोलेशन में रहने वाले कोरोना मरीज कि बदलते मौसम में लापरवाही जानलेवा हो रही है. बताते चलें कि रविवार के दिन ही पीएमसीएच में कोरोना से 4 मरीज की मौत हुई. पटना एम्स में 5 मरीज की मौत हुई और लगातार पिछले कुछ दिनों से अस्पतालों में कोरोना मरीज की मौत में इजाफा देखने को मिल रहा है.

अस्पताल देर से पहुंचने पर बढ़ता है संक्रमण
पीएमसीएच के कोविड-19 वार्ड के प्रभारी चिकित्सक डॉ .अरुण अजय ने कहा कि मोर्टेलिटी रेट में इजाफा के दो कारण है. पहला यह कि अधिकांश मरीज कोमोरबिड होते हैं. निजी नर्सिंग होम में जब कोरोना मरीज की स्थिति बिगड़ जाती है तो वहां से परिजन पीएमसीएच मरीज को लेकर पहुंचते हैं. मरीज वेंटिलेटर पर या ऑक्सीजन पर आते हैं. ऐसे अधिकांश मामलों में मरीज की मौत हो जाती है. इसका प्रमुख वजह होता है सही समय पर सही इलाज ना मिल पाना.

देखें रिपोर्ट

सरकारी अस्पताल में हैं सारी सुविधाएं
सरकारी अस्पतालों में पर्याप्त व्यवस्थाएं हैं. बावजूद इसके लोग निजी नर्सिंग होम में चले जाते हैं. जहां इलाज की पर्याप्त व्यवस्थाएं नहीं रहती और यह मरीज के लिए जानलेवा साबित होता है. उन्होंने कहा कि होम आइसोलेशन वाले पेशेंट तभी अस्पताल में आते हैं जब उनकी तकलीफ बढ़ जाती है. तकलीफ बढ़ने का साफ मतलब है कि लंग्स में इंफेक्शन काफी फैल चुका है. होम आइसोलेशन वाले पेशेंट लगातार अपना ऑक्सीजन सैचुरेशन चेक करते रहें और नियमित रूप से डॉक्टरों के संपर्क में रहें. वहीं जितने मरीज अस्पताल में समय पर पहुंचे हैं और बिना ऑक्सीजन मास्क के अस्पताल में एडमिट हुए हैं, ऐसे मरीज शत-प्रतिशत रिकवर होकर अस्पताल से डिस्चार्ज हुए हैं.

डॉ. अरुण अजय, इंचार्ज कोविड-19 वार्ड
डॉ. अरुण अजय, इंचार्ज कोविड-19 वार्ड

ठंड में बरतें सावधानी
डॉ. अरुण अजय ने कहा कि दूसरा कारण यह है कि ठंड के मौसम में रेस्पिरेट्री डिजीज बढ़ जाते हैं. ठंड के समय में सार्स वायरस ज्यादा एक्टिव रहते हैं. यह वायरस लंबे समय तक बॉडी में रह जाते हैं. यही वजह है कि कोमोरबिडिटी के जो अधिक उम्र के व्यक्तियों को कोरोना है तो उनकी तकलीफ अभी के समय बढ़ जा रही है. ऐसे पेशेंट को अभी के समय कोरोना के इलाज के साथ-साथ ठंड से भी बचे रहने के पर्याप्त व्यवस्थाएं होनी चाहिए. ठंड के मौसम को देखते हुए कोविड-19 वार्ड में सभी बेड पर मरीज को 2-2 ब्लैंकेट दिए गए हैं. इसके अलावा वार्ड में 30 से अधिक हीटर भी इंस्टॉल किए गए हैं ताकि अंदर का टेंपरेचर मरीजों के लिए अनुकूल रहे.

पटनाः ठंड बढ़ने के साथ ही प्रदेश में पिछले कुछ दिनों में कोरोना से मौतों के मामले बढ़े हैं. ऐसे में चिकित्सकों का कहना है कि होम आइसोलेशन में रहने वाले कोरोना मरीज कि बदलते मौसम में लापरवाही जानलेवा हो रही है. बताते चलें कि रविवार के दिन ही पीएमसीएच में कोरोना से 4 मरीज की मौत हुई. पटना एम्स में 5 मरीज की मौत हुई और लगातार पिछले कुछ दिनों से अस्पतालों में कोरोना मरीज की मौत में इजाफा देखने को मिल रहा है.

अस्पताल देर से पहुंचने पर बढ़ता है संक्रमण
पीएमसीएच के कोविड-19 वार्ड के प्रभारी चिकित्सक डॉ .अरुण अजय ने कहा कि मोर्टेलिटी रेट में इजाफा के दो कारण है. पहला यह कि अधिकांश मरीज कोमोरबिड होते हैं. निजी नर्सिंग होम में जब कोरोना मरीज की स्थिति बिगड़ जाती है तो वहां से परिजन पीएमसीएच मरीज को लेकर पहुंचते हैं. मरीज वेंटिलेटर पर या ऑक्सीजन पर आते हैं. ऐसे अधिकांश मामलों में मरीज की मौत हो जाती है. इसका प्रमुख वजह होता है सही समय पर सही इलाज ना मिल पाना.

देखें रिपोर्ट

सरकारी अस्पताल में हैं सारी सुविधाएं
सरकारी अस्पतालों में पर्याप्त व्यवस्थाएं हैं. बावजूद इसके लोग निजी नर्सिंग होम में चले जाते हैं. जहां इलाज की पर्याप्त व्यवस्थाएं नहीं रहती और यह मरीज के लिए जानलेवा साबित होता है. उन्होंने कहा कि होम आइसोलेशन वाले पेशेंट तभी अस्पताल में आते हैं जब उनकी तकलीफ बढ़ जाती है. तकलीफ बढ़ने का साफ मतलब है कि लंग्स में इंफेक्शन काफी फैल चुका है. होम आइसोलेशन वाले पेशेंट लगातार अपना ऑक्सीजन सैचुरेशन चेक करते रहें और नियमित रूप से डॉक्टरों के संपर्क में रहें. वहीं जितने मरीज अस्पताल में समय पर पहुंचे हैं और बिना ऑक्सीजन मास्क के अस्पताल में एडमिट हुए हैं, ऐसे मरीज शत-प्रतिशत रिकवर होकर अस्पताल से डिस्चार्ज हुए हैं.

डॉ. अरुण अजय, इंचार्ज कोविड-19 वार्ड
डॉ. अरुण अजय, इंचार्ज कोविड-19 वार्ड

ठंड में बरतें सावधानी
डॉ. अरुण अजय ने कहा कि दूसरा कारण यह है कि ठंड के मौसम में रेस्पिरेट्री डिजीज बढ़ जाते हैं. ठंड के समय में सार्स वायरस ज्यादा एक्टिव रहते हैं. यह वायरस लंबे समय तक बॉडी में रह जाते हैं. यही वजह है कि कोमोरबिडिटी के जो अधिक उम्र के व्यक्तियों को कोरोना है तो उनकी तकलीफ अभी के समय बढ़ जा रही है. ऐसे पेशेंट को अभी के समय कोरोना के इलाज के साथ-साथ ठंड से भी बचे रहने के पर्याप्त व्यवस्थाएं होनी चाहिए. ठंड के मौसम को देखते हुए कोविड-19 वार्ड में सभी बेड पर मरीज को 2-2 ब्लैंकेट दिए गए हैं. इसके अलावा वार्ड में 30 से अधिक हीटर भी इंस्टॉल किए गए हैं ताकि अंदर का टेंपरेचर मरीजों के लिए अनुकूल रहे.

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