पटनाः शहर के उपभोक्ता फोरम कंपनी द्वारा दिखाए गए बड़े सपनो के झांसे में कई लोग ठगे गए. अब उपभोक्ता न्याय के लिए फोरम का चक्कर लगा रहे हैं. लेकिन वहां भी उनकी सुनने वाला कोई नहीं है.
पटना उपभोक्ता फोरम के हालात कुछ ऐसे ही हैं. क्योंकि यहां पिछले कई महीनों से अध्यक्ष का पद खाली पड़ा है. वहीं, हाजीपुर उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष को तत्काल पटना का भी प्रभार दे दिया गया है. जो हफ्ते में दो दिन लोगों की परेशानियों को सुनते हैं.
अधिकारियों का पद पिछले चार साल से खाली
वहीं, उपभोक्ताओं की परेशानी यही खत्म नहीं होती है. अगर किसी मामले की सुनवाई पूरी भी हो जाए और फैसला आ जाता है तो भी आदेश नहीं हो पाता है. क्योंकि आदेश लिखने वाले अधिकारियों का पद पिछले चार साल से खाली पड़ा है. यह हालात ज्यादातर जिले के उपभोगता फोरम का भी बना हुआ है.
अधिवक्ताओं को भी परेशानी
फोरम के बदहाल स्थिति से केवल उपभोक्ता ही नहीं बल्कि वहां प्रैक्टिस कर रहे अधिवक्ताओं को भी दो चार होना पड़ा रहा है. वहां कई सालों से वकालत कर रहे सत्येन्द्र कुमार दुबे बताते हैं कि वो अपने आप को दोषी महसूस करते हैं. क्योंकि वो खुद बर्दाश्त भी कर लें लेकिन क्लाइंट का गुस्सा झेलना पड़ता है.
डिस्ट्रिक्ट फोरम में संसाधन की कमी
उन्होंने बताया कि जजमेंट का निर्धारित समय 90 दिनों का होता है. लेकिन वो तीन सालों तक केवल तारीख ही दिलवा पाते हैं. वहीं, स्टेट कमीशन कंज्यूमर फोरम में कई सालों से प्रैक्टिस कर रहे अधिवक्ता प्रकाश कुमार ने कहा कि डिस्ट्रिक्ट फोरम में संसाधन की कमी के कारण परेशानी तो है, जिसको हम लोग झेल रहे हैं. लेकिन एक वैकल्पिक व्यवस्था की गई है जो काफी नहीं है. क्योंकि जिला फोरम में 20 लाख रुपय तक और स्टेट फोरम में 20 लाख से लेकर एक करोड़ रुपये तक के मामले की सुनवाई का प्रावधान है.