पटना: पूरे बिहार में नवरात्र की धूम है. शनिवार को नवरात्र के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा के साथ ही मंदिरों और पंडालों में माता दुर्गा की मूर्ति का आम श्रद्धालुओं के लिए अनावरण कर दिया गया. इसके साथ ही पूरा शहर मां दुर्गे के जयकारे से गुंजायमान हो उठा. वैसे तो नवरात्र के पहले दिन से ही मंदिरों और पंडालों में पूजा के लिए लोगों का आना शुरू हो जाता है, आज से लेकर दशमी पूजा तक चार दिनों तक पंडालों में खास रौनक रहेगी.
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चार दिनों तक पंडालों में उमड़ेगी भीड़ : सप्तमी पूजा से लेकर दशमी तक विभिन्न मंदिरों और पंडालों में माता के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी. बता दें कि राजधानी पटना में दुर्गा पूजा भव्य तरीके से मनाया जाता है. इस कारण कई जगह भव्य पंडालों का निर्माण के साथ-साथ आकर्षक साज-सज्जा भी की गई है. खासकर रात के समय पंडालों की लाइटिंग देखते बनती है. वहीं कई जगह मेला का भी आयोजन किया गया है. पंडालों के आसपास खाने-पीने के स्टाॅल और बच्चों के मनोरंजन के लिए तरह-तरह के झूले भी लग गए हैं.
पंडालों में की गई है आकर्षक साज-सज्जा : पंडालों का पट खुलने के साथ ही लोग परिवार और बच्चों के साथ एक पंडाल से दूसरे पंडाल घूम-घूम कर माता के दर्शन कर रहे हैं और मेले का लुत्फ उठा रहे हैं. यह सिलसिला अभी चार दिनों तक चलेगा. विसर्जन के दिन तक जबतक पंडाल में माता की प्रतिमा स्थापित रहेगी लोग दर्शन और पूजन के लिए पंडालों में आते रहेंगे. पटनासिटी में नवरात्र के सातवें दिन सभी पंडालों के पट खुलने के साथ श्रद्धालुओं की भीड़ दर्शन के लिए उमड़ पड़ी.
मारूफगंज में 1818 से हो रही है दुर्गा पूजा : बंगाली पद्धति के अनुसार मारूफगंज बड़ी देवी जी, महाराजगंज दलहट्टा और नंदगोल यह सभी देवी स्थानों में रात को पूरे वैदिक मित्रों के साथ पारंपरिक तरीकों से माता का पट खोल दिया गया. 1818 से लगातार इन सभी स्थानों पर प्रत्येक वर्ष माता की पूजा धूम-धाम से मनाई जा रही है. मारूफगंज, महराजगंज, दलहट्टा, नंदगोला यह सभी माता बहन के रूप में माने और पूजी जाती है. मारूफगंज देवी स्थान में आठ पीढ़ियों से यहां एक ही परिवार के लोग सेवा में जुटे हुए हैं.
"1818 से हमारे पूर्वजों द्वारा यह पूजा की जाती थी. हमलोग बंगाली पद्धाति से ही पूजा कर रहे हैं. मैं आठवा वंशज हूं और मैं भी अपनी पूर्वजों की तरह की पूजा कर रहा हूं"- अंतानु साह, अध्यक्ष, मारूफगंज देवी स्थान