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पटना: विवादों के घेरे में 600 करोड़ की लागत से बना बिहार म्यूजियम, जानिए क्या है मामला?

आरजेडी के वरिष्ठ नेता भाई वीरेंद्र ने सीएम नीतीश कुमार पर आरोप लगाया है. उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि नीतीश कुमार की सभी योजनाएं में घोटाले होते हैं.

बिहार म्यूजियम
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Published : Nov 15, 2019, 10:54 PM IST

पटना: राजधानी के बेली रोड पर 600 करोड़ से अधिक की लागत से बना बिहार म्यूजियम इन दिनों टिकट घोटाले और नियुक्ति घोटाले को लेकर चर्चा में है. इस मामले में म्यूजियम के निदेशक मोहम्मद युसूफ से सरकार इस्तीफा ले चुकी है और मो. युसूफ इन दिनों भोपाल में है. वहीं, सरकार इस पूरे मामले की जांच भी करवा रही है. ये पूरा विवाद मोहम्मद यूसुफ के टिकट घोटाले को लेकर कोतवाली थाने में एफआईआर दर्ज कराने से शुरू हुई. जिसके बाद मो. युसूफ पर भी नियुक्ति घोटाला करने का आरोप लगा.

5 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बिहार म्यूजियम ड्रीम प्रोजेक्ट रहा है और इसी कारण कई तरह के विवादों के बावजूद नीतीश कुमार ने इस म्यूजियम का निर्माण करवाया. इस पर 600 करोड़ से अधिक की राशि खर्च हो चुकी है. हालिया म्यूजियम का विवाद तब शुरू हुआ जब तत्कालीन निदेशक मोहम्मद यूसुफ ने टिकट छापने में 5 करोड़ के घोटाले करने का आरोप लगाकर 5 लोगों के खिलाफ कोतवाली थाना में केस दर्ज करवाया.

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म्यूजियम का बाहरी लुक

इन लोगों पर मामला दर्ज
मोहम्मद यूसुफ ने जिन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराया, उसमें संग्रहालय अध्यक्ष संग्रह मौमिता घोष, पूर्व अपर निदेशक जयप्रकाश नारायण सिंह, संग्रहालय अध्यक्ष इतिहास रणवीर सिंह राजपूत, पूर्व आउट सोर्स आईटी मैनेजर सुमित कुमार और पूर्व लेखापाल योगेंद्र प्रसाद पाल शामिल थे. सितंबर के पहले सप्ताह में केस दर्ज कराया गया और उसके बाद मोहम्मद यूसुफ लंबी छुट्टी पर चले गए. इसके बाद मोहम्मद यूसुफ ने मौमिता घोष को बर्खास्त भी कर दिया था. हालांकि, कला संस्कृति विभाग ने उनकी बर्खास्तगी को निरस्त कर दिया और विभाग के एडीशनल सिक्योरिटी दीपक आनंद ने मोहम्मद यूसुफ पर नियुक्तियों में गड़बड़ी करने का आरोप भी लगाया. जिसके बाद मो. यूसुफ को बिहार म्यूजियम से हटा दिया और उनकी सेवा विकास आयुक्त के कार्यालय में दे दी. जब निदेशक लंबी छुट्टी के बाद लौटे तो उन्हें म्यूजियम में ज्वाइन नहीं करने दिया गया और बाद में दबाव में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा ऐसे पूरे मामले की जांच चल रही है.

patna
बिहार म्यूजियम का मेन गेट

RJD का सरकार पर आरोप
इधर, पूरे मामले को लेकर आरजेडी के वरिष्ठ नेता भाई वीरेंद्र ने सीएम नीतीश कुमार पर आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि नीतीश सरकार में जो भी आरसीपी टैक्स नहीं देगा, उसे इसी तरह बर्खास्त किया जाता रहेगा. उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि नीतीश कुमार की सभी योजनाएं में घोटाले होते हैं.

जेडीयू ने किया खारिज
हालांकि, सरकार की ओर से पूरे घोटाले पर फिलहाल कोई बोलने को तैयार नहीं है. पूर्व निदेशक मोहम्मद यूसुफ भोपाल चले गए हैं. लेकिन, जानकारी के मुताबिक पूरे मामले में फंसाने का आरोप लगाया और कहा कि मैंने ही घोटाले का उजागर किया था और मुझे ही फंसाया जा रहा है और दबाव में इस्तीफा देने की बात भी कही. लेकिन, जेडीयू के प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि विपक्ष अनर्गल आरोप लगा रहा है. उन्होंने कहा कि पूरे मामले की जांच हो रही है. जांच के बाद जो भी दोषी होंगे उन पर करवाई सरकार करेगी.

पटना से अविनाश की रिपोर्ट

कब से शुरू है विवाद
बता दें कि बिहार म्यूजियम का नया विवाद 2 सितंबर से शुरू हुआ था और अब तक विवाद समाप्त नहीं हुआ है. ऐसे में पूर्व निदेशक मोहम्मद यूसुफ को मुख्यमंत्री के सलाहकार अंजनी कुमार सिंह ने ही विशेष पहल पर भोपाल से बिहार म्यूजियम के निदेशक की जिम्मेवारी दी थी. इस पूरे मामले में अंजनी सिंह ने भी अब तक चुप्पी नहीं तोड़ी है. बड़ी संख्या में म्यूजियम देखने लोग आ रहे हैं. लेकिन, म्यूजियम के कर्मचारियों में अभी भी संशय की स्थिति बनी हुई है. बिहार म्यूजियम का विवाद इसके निर्माण काल से ही रहा है. तब के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने तो इसमें स्टीमेट घोटाला का भी आरोप लगाया था और बड़ी राशि खर्च कर म्यूजियम के निर्माण पर भी सवाल खड़ा किया था. लेकिन, नीतीश कुमार ने इसके बावजूद इसका निर्माण करवाया और विरोध करने वालों को कई बार नसीहत भी दी.

पटना: राजधानी के बेली रोड पर 600 करोड़ से अधिक की लागत से बना बिहार म्यूजियम इन दिनों टिकट घोटाले और नियुक्ति घोटाले को लेकर चर्चा में है. इस मामले में म्यूजियम के निदेशक मोहम्मद युसूफ से सरकार इस्तीफा ले चुकी है और मो. युसूफ इन दिनों भोपाल में है. वहीं, सरकार इस पूरे मामले की जांच भी करवा रही है. ये पूरा विवाद मोहम्मद यूसुफ के टिकट घोटाले को लेकर कोतवाली थाने में एफआईआर दर्ज कराने से शुरू हुई. जिसके बाद मो. युसूफ पर भी नियुक्ति घोटाला करने का आरोप लगा.

5 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बिहार म्यूजियम ड्रीम प्रोजेक्ट रहा है और इसी कारण कई तरह के विवादों के बावजूद नीतीश कुमार ने इस म्यूजियम का निर्माण करवाया. इस पर 600 करोड़ से अधिक की राशि खर्च हो चुकी है. हालिया म्यूजियम का विवाद तब शुरू हुआ जब तत्कालीन निदेशक मोहम्मद यूसुफ ने टिकट छापने में 5 करोड़ के घोटाले करने का आरोप लगाकर 5 लोगों के खिलाफ कोतवाली थाना में केस दर्ज करवाया.

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म्यूजियम का बाहरी लुक

इन लोगों पर मामला दर्ज
मोहम्मद यूसुफ ने जिन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराया, उसमें संग्रहालय अध्यक्ष संग्रह मौमिता घोष, पूर्व अपर निदेशक जयप्रकाश नारायण सिंह, संग्रहालय अध्यक्ष इतिहास रणवीर सिंह राजपूत, पूर्व आउट सोर्स आईटी मैनेजर सुमित कुमार और पूर्व लेखापाल योगेंद्र प्रसाद पाल शामिल थे. सितंबर के पहले सप्ताह में केस दर्ज कराया गया और उसके बाद मोहम्मद यूसुफ लंबी छुट्टी पर चले गए. इसके बाद मोहम्मद यूसुफ ने मौमिता घोष को बर्खास्त भी कर दिया था. हालांकि, कला संस्कृति विभाग ने उनकी बर्खास्तगी को निरस्त कर दिया और विभाग के एडीशनल सिक्योरिटी दीपक आनंद ने मोहम्मद यूसुफ पर नियुक्तियों में गड़बड़ी करने का आरोप भी लगाया. जिसके बाद मो. यूसुफ को बिहार म्यूजियम से हटा दिया और उनकी सेवा विकास आयुक्त के कार्यालय में दे दी. जब निदेशक लंबी छुट्टी के बाद लौटे तो उन्हें म्यूजियम में ज्वाइन नहीं करने दिया गया और बाद में दबाव में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा ऐसे पूरे मामले की जांच चल रही है.

patna
बिहार म्यूजियम का मेन गेट

RJD का सरकार पर आरोप
इधर, पूरे मामले को लेकर आरजेडी के वरिष्ठ नेता भाई वीरेंद्र ने सीएम नीतीश कुमार पर आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि नीतीश सरकार में जो भी आरसीपी टैक्स नहीं देगा, उसे इसी तरह बर्खास्त किया जाता रहेगा. उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि नीतीश कुमार की सभी योजनाएं में घोटाले होते हैं.

जेडीयू ने किया खारिज
हालांकि, सरकार की ओर से पूरे घोटाले पर फिलहाल कोई बोलने को तैयार नहीं है. पूर्व निदेशक मोहम्मद यूसुफ भोपाल चले गए हैं. लेकिन, जानकारी के मुताबिक पूरे मामले में फंसाने का आरोप लगाया और कहा कि मैंने ही घोटाले का उजागर किया था और मुझे ही फंसाया जा रहा है और दबाव में इस्तीफा देने की बात भी कही. लेकिन, जेडीयू के प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि विपक्ष अनर्गल आरोप लगा रहा है. उन्होंने कहा कि पूरे मामले की जांच हो रही है. जांच के बाद जो भी दोषी होंगे उन पर करवाई सरकार करेगी.

पटना से अविनाश की रिपोर्ट

कब से शुरू है विवाद
बता दें कि बिहार म्यूजियम का नया विवाद 2 सितंबर से शुरू हुआ था और अब तक विवाद समाप्त नहीं हुआ है. ऐसे में पूर्व निदेशक मोहम्मद यूसुफ को मुख्यमंत्री के सलाहकार अंजनी कुमार सिंह ने ही विशेष पहल पर भोपाल से बिहार म्यूजियम के निदेशक की जिम्मेवारी दी थी. इस पूरे मामले में अंजनी सिंह ने भी अब तक चुप्पी नहीं तोड़ी है. बड़ी संख्या में म्यूजियम देखने लोग आ रहे हैं. लेकिन, म्यूजियम के कर्मचारियों में अभी भी संशय की स्थिति बनी हुई है. बिहार म्यूजियम का विवाद इसके निर्माण काल से ही रहा है. तब के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने तो इसमें स्टीमेट घोटाला का भी आरोप लगाया था और बड़ी राशि खर्च कर म्यूजियम के निर्माण पर भी सवाल खड़ा किया था. लेकिन, नीतीश कुमार ने इसके बावजूद इसका निर्माण करवाया और विरोध करने वालों को कई बार नसीहत भी दी.

Intro:पटना-- राजधानी पटना के बेली रोड पर 600 करोड़ से अधिक की लागत में बना बिहार म्यूजियम इन दिनों टिकट घोटाले और नियुक्ति घोटाले को लेकर चर्चा में है । म्यूजियम के निदेशक मोहम्मद युसूफ से सरकार इस्तीफा ले चुकी है और युसूफ इन दिनों भोपाल में है सरकार पूरे मामले की जांच भी करवा रही है। विवाद मोहम्मद यूसुफ के टिकट घोटाले को लेकर कोतवाली थाने में एफ आई आर कराने से शुरू हुई और फिर बाद में मोहम्मद युसूफ पर भी नियुक्ति घोटाला करने का आरोप लगा ।
पेश है खास रिपोर्ट---


Body: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बिहार म्यूजियम ड्रीम प्रोजेक्ट रहा है और इसी कारण कई तरह के विवादों के बावजूद नीतीश कुमार ने इस म्यूजियम का निर्माण करवाया और इस पर 600 करोड़ से अधिक की राशि खर्च हो चुकी है। हालिया म्यूजियम का विवाद तब शुरू हुआ जब तत्कालीन निदेशक मोहम्मद यूसुफ ने टिकट छापने में 5 करोड़ के घोटाले करने का आरोप लगाकर 5 लोगों के खिलाफ कोतवाली थाना में f.i.r. करा दिया। मोहम्मद यूसुफ ने जिन लोगों के खिलाफ f.i.r. कराया उसमें संग्रहालय अध्यक्ष संग्रह मौमिता घोष, पूर्व अपर निदेशक जयप्रकाश नारायण सिंह, संग्रहालय अध्यक्ष इतिहास रणवीर सिंह राजपूत, पूर्व आउट सोर्स आईटी मैनेजर सुमित कुमार और पूर्व लेखापाल योगेंद्र प्रसाद पाल शामिल थे। सितंबर के पहले सप्ताह में f.i.r. कराया गया था और उसके बाद मोहम्मद यूसुफ लंबी छुट्टी पर चले गए । मोहम्मद यूसुफ ने मौमिता घोष को बर्खास्त भी कर दिया था हालांकि कला संस्कृति विभाग ने उनकी बर्खास्तगी को निरस्त कर दिया और विभाग के एडीशनल सिक्योरिटी दीपक आनंद ने मोहम्मद यूसुफ पर नियुक्तियों में गड़बड़ी करने का आरोप भी लगाया । मोहम्मद यूसुफ को बिहार म्यूजियम से हटा भी दिया और उनकी सेवा विकास आयुक्त के कार्यालय में दे दी। जब निदेशक लंबी छुट्टी के बाद लौटे तो उन्हें म्यूजियम में ज्वाइन नहीं करने दिया गया और बाद में दबाव में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा ऐसे पूरे मामले की जांच चल रही है।
इधर पूरे मामले को लेकर आरजेडी के वरिष्ठ नेता भाई वीरेंद्र ने कहा नीतीश सरकार में जो भी आरसीपी टैक्स नहीं देगा उसे इसी तरह बर्खास्त किया जाता रहेगा।
हालांकि सरकार की ओर से पूरे घोटाले पर फिलहाल कोई बोलने को तैयार नहीं है और पूर्व निदेशक मोहम्मद यूसुफ भोपाल चले गए हैं लेकिन मोबाइल पर पूरे मामले में फंसाने का आरोप लगाया और कहा कि मैंने ही घोटाले का उजागर किया था और मुझे ही फसाया जा रहा है दबाव में इस्तीफा देने की बात भी कही। लेकिन जदयू के प्रवक्ता राजीव रंजन का कहना है कि विपक्ष अनर्गल आरोप लगा रहा है पूरे मामले की जांच हो रही है जांच के बाद जो भी दोषी होंगे उन पर करवाई सरकार करेगी।
बाईट--भाई वीरेंद्र, राजद वरिष्ठ नेता
राजीव रंजन, जदयू प्रवक्ता।


Conclusion:बिहार म्यूजियम का नया विवाद 2 सितंबर से शुरू हुआ था और अब तक विवाद समाप्त नहीं हुआ है। ऐसे पूर्व निदेशक मोहम्मद यूसुफ को मुख्यमंत्री के सलाहकार अंजनी कुमार सिंह ने ही विशेष पहल पर भोपाल से बिहार म्यूजियम के निदेशक की जिम्मेवारी दी थी पूरे मामले में अंजनी सिंह ने भी अब तक चुप्पी नहीं तोड़ी है । ऐसे बड़ी संख्या में म्यूजियम देखने लोग आ रहे हैं लेकिन म्यूजियम के कर्मचारियों में अभी भी संशय की स्थिति बनी हुई है। बिहार म्यूजियम का विवाद इसके निर्माण काल से ही रहा है तब के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने तो इसमें स्टीमेट घोटाला का भी आरोप लगाया था और बड़ी राशि खर्च कर म्यूजियम के निर्माण पर भी सवाल खड़ा किया था। लेकिन नीतीश कुमार ने इसके बावजूद इसका निर्माण करवाया और विरोध करने वालों को कई बार नसीहत भी दी।
अविनाश, पटना।
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