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देखिए नीतीश जी! पटना में सरकारी स्कूल का हाल, ना अपनी जमीन.. ना भवन, 'जुगाड़' से चल रहा विद्यालय

एजी कॉलोनी मिडिल स्कूल की हालत दयनीय है. इसके पास ना तो भवन है और ना ही जमीन. क्लास में बेंच भी टूटे हुए हैं. शौचालय भी हैं तो बुरे हाल में. सबसे बड़ी परेशानी तो बारिश में हो जाती है. छत एस्बेस्टस का है, इसलिए पानी टपकता रहता है और बगल से पानी के छींटे भी आते हैं, जिससे पढ़ाई बाधित होती है. पढ़ें रिपोर्ट..

ऐसे पढ़ेगा तो कैसे बढ़ेगा बिहार
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Published : Mar 6, 2022, 8:17 PM IST

पटना: बिहार में सरकार शिक्षा को लेकर हर साल करोड़ों का बजट जारी करती है. शिक्षा के इंफ्रास्ट्रक्चर को दुरुस्त करने के तमाम दावे किए जाते हैं, लेकिन राजधानी पटना के रिहायशी इलाके में ही सरकार के ये दावे खोखले साबित हो रहे हैं. पटना के एजी कॉलोनी में स्कूल के पास भवन नहीं (AG Colony Middle School is in Bad Condition) है और ना ही जमीन है. जबकि वर्ष 1988 से यह मिडिल स्कूल चल रहा है. जिसमें कक्षा 1 से 8 तक की पढ़ाई होती है, लेकिन विद्यालय का अपना भवन तक नहीं है.

यह भी पढ़ें- अब NH-30 पर लगेगी पाठशाला... ढाई साल पहले तोड़े गए स्कूल को पाने के लिए छात्रों का अनोखा आंदोलन

दो शिफ्ट में चलता है स्कूलः आपको बताएं कि विद्यालय में क्लास रूम के नाम पर बांस के पटरा से जुगाड़ तकनीक के माध्यम से बनाए गए 2 कमरे हैं, जिसे एसबेस्टस से ढंका गया है. इस विद्यालय के सभी बेंच टूटे हुए हैं, चाहे हाई बेंच की बात करें या लो बेंज की सभी बेंच दो-तीन ईंट लगा कर जुगाड़ के माध्यम से खड़े हैं. बच्चे उसी पर बैठकर पढ़ाई करते हैं. प्रतिदिन काफी संख्या में बच्चों को इन ईंटों की वजह से चोट भी लगती है.

क्लास रूम की कमी होने की वजह से विद्यालय दो शिफ्ट में चलता है, जिसमें पहले शिफ्ट में कक्षा 1 से 4 के बच्चे सुबह 9:00 बजे से 12:00 बजे तक पढ़ाई करते हैं और फिर दूसरी शिफ्ट में 12:30 से 3:30 तक पांचवी कक्षा से आठवीं कक्षा तक के बच्चे पढ़ाई करते हैं. एक क्लास में दो से तीन वर्ग के बच्चे बैठते हैं. ऐसे में शिक्षकों को भी छात्रों को पढ़ाने में मुश्किल होती है और छात्रों को भी पढ़ने में मुश्किल होती है. क्लास रूम का कोई दीवार नहीं होने की वजह से एक कक्षा में जब शिक्षक पढ़ाते हैं तो दूसरे कक्षा में भी पूरी आवाज आती है और इस वजह से भी बच्चों को पढ़ाई करने में बाधा उत्पन्न होती है.

पड़ोस से मांगना पड़ता है पानीः विद्यालय में 406 छात्र-छात्राओं वाले इस स्कूल में मात्र एक टॉयलेट है और वह भी बदहाल हालत में है. टॉयलेट की स्थिति बदहाल होने की वजह से बच्चियों को खासकर सीनियर क्लास के बच्चियों को काफी परेशानी होती है. विद्यालय में पीने के पानी की कोई सुविधा नहीं है. एक चापाकल है, जो पिछले कई वर्षों से खराब पड़ा हुआ है और उसका पानी बहुत गंदा आता है. इसके अलावा सप्लाई वाटर की जो व्यवस्था है, उस नल में भी पानी कभी-कभार आता है. पानी जब भी आता है, उसमें से गंदगी निकलती है. बच्चों को पानी के पीने के लिए आस-पड़ोस के घर के बाहर लगे नल का उपयोग करना पड़ता है और कई बार दूसरे के घर से नल का पानी प्रयोग करने के चक्कर में बच्चे डांट भी सुन जाते हैं.

बारिश में होती परेशानीः इस विद्यालय में पढ़ने वाली बच्चियों का कहना है कि मुख्यमंत्री कहते हैं कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ. कई बार इन नारों के साथ प्रभातफेरी भी निकाली जा चुकी है, लेकिन वास्तविकता यह है कि बेटियां जब स्कूल में पढ़ने आती हैं, तो स्कूल में शौचालय की भी सुविधा नहीं रहती है. पीने का साफ पानी भी नहीं मिलता है और व्यवस्था के नाम पर सब कुछ शून्य रहता है. विद्यालय की कक्षा आठ की छात्रा ज्योति कुमारी ने बताया कि विद्यालय में पढ़ाई तो अच्छी होती है, लेकिन पढ़ने में काफी कठिनाई आती है. विद्यालय में जगह की कमी है, ऐसे में प्रेयर करने में भी काफी दिक्कत होती है. जब बरसात होती है, तब परेशानी बहुत अधिक बढ़ जाती है और ऊपर एसबेस्टस से पानी टपकता है.

क्लास रूम की नहीं है सुविधाः विद्यालय में शौचालय की भी अच्छी सुविधा नहीं है. शौचालय तो है लेकिन उसमें पानी की व्यवस्था नहीं है. विद्यालय में क्लास रूम की कोई दीवार नहीं होने की वजह से दूसरी कक्षा में अगर पढ़ाई होती है, तो वह आवाज दूसरे कक्षा में भी पहुंचती है. इस वजह से पढ़ाई करने में भी डिस्टरबेंस आती है. उन्होंने कहा कि वह सरकार से अपील करेंगी कि विद्यालय में शौचालय और पानी की अच्छी सुविधा हो, इसके अलावा क्लासरूम की भी अच्छी सुविधा हो, ताकि वह अच्छे से पढ़ सकें.

शौचालय की नहीं है व्यवस्थाः कक्षा आठ की छात्रा चांदनी कुमारी ने बताया कि विद्यालय की स्थिति बहुत ही खराब है. बरसात के समय में छत से पानी टपकता है. पढ़ाई पूरी तरह से बाधित हो जाती है. विद्यालय में शौचालय बदहाल स्थिति में है इस वजह से काफी दिक्कतें होती हैं और पानी की अच्छी व्यवस्था नहीं होने से भी परेशानी होती है. चापाकल से बहुत गंदा पानी निकलता है, जो पीने लायक नहीं रहता है. सरकार से मांग करेंगी कि विद्यालय का भवन अच्छा बन जाए और विद्यालय में शौचालय और पानी की अच्छी सुविधा उपलब्ध हो जाए.

टूटे हुए हैं सभी बेंचः विद्यालय की छात्रा काजल कुमारी ने कहा कि इस विद्यालय में सभी छात्र इसीलिए पढ़ने आते हैं, क्योंकि जो शास्त्री नगर स्कूल है, वह यहां से लगभग 5 किलोमीटर दूर है और वहां जाने में काफी कठिनाई होती है. इसीलिए सभी बच्चे नजदीक में स्कूल होने की वजह से इस स्कूल में नामांकन कराते हैं. इस विद्यालय में कक्षा की कमी होने की वजह से सभी छात्र भी पढ़ने नहीं आते. स्कूल के सभी बेंच टूटे हुए हैं और उनमें कीलें निकली हुई हैं. इस वजह से बच्चे रोजाना जख्मी होते हैं. उन्होंने बताया कि वह बहुत गरीब परिवार से आती हैं और उन्हें पढ़ना है. ऐसे में स्कूल में स्थिति कितनी भी कष्टप्रद हो, पढ़ना तो उन्हें है ही. सरकार कहती है बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और ऐसे में उन्हें इस बात का दुख है कि जब बेटियां पढ़ने आती हैं तो स्कूल में व्यवस्था कुछ नहीं होती, शौचालय और पीने के पानी तक की व्यवस्था नहीं होती है.

झोपड़ी में चल रहा है स्कूलः विद्यालय की शिक्षिका नूतन कुमारी ने बताया कि यह एजी कॉलोनी मध्य विद्यालय साल 1988 से चल रहा है. इसमें कक्षा एक से 8 तक के बच्चों की पढ़ाई होती है. इसमें 408 बच्चों का नामांकन है. प्रतिदिन लगभग 70 से 75 फीसदी बच्चे स्कूल आते हैं. जगह की कमी होने की वजह से विद्यालय को दो शिफ्ट में चलाना पड़ता है. जूनियर बच्चों को फर्स्ट हाफ यानी लंच के पहले बुलाया जाता है. सेकेंड हाफ यानी लंच के बाद सीनियर बच्चों को बुलाया जाता है. झोपड़ी में स्कूल चल रहा है. विद्यालय में एक शौचालय है और वह भी सुव्यवस्थित नहीं है, उसमें वर्षों से पानी की व्यवस्था नहीं है. विद्यालय का चापाकल भी खराब है. यह भवन ही विद्यालय है, जो जुगाड़ पर चल रहा है.

एक रूम में तीन-तीन क्लास के बच्चेः विद्यालय की शिक्षिका संध्या कुमारी ने बताया कि 5 दिनों पूर्व एक शिक्षिका ने इस विद्यालय में योगदान किया है. उसके बाद अब इस विद्यालय में 5 शिक्षक हो गए हैं. विद्यालय में भवन की कमी के साथ-साथ शिक्षकों की भी कमी है. विद्यालय में क्लास की कमी होने की वजह से एक क्लास में तीन-तीन वर्ग के बच्चों को बिठाकर पढ़ाना पड़ता है. ऐसे में पढ़ाने में भी कठिनाई आती है. एक क्लास को जब पढ़ाया जाता है, तो दूसरी क्लास को क्लास वर्क देना पड़ता है. ऐसी स्थिति में बच्चों में पढ़ाई को लेकर एकाग्रता की कमी हो जाती है. बच्चों की सही तरीके से पढ़ाई भी नहीं हो पाती है. इस विद्यालय में भवन की समस्या को दूर करने को लेकर पूर्व के प्रभारी द्वारा बहुत प्रयास किए गए, लेकिन इसका कोई निदान नहीं निकला है. विद्यालय में भवन की कमी के मामले को लेकर स्थानीय विधायक, डीएम और डिस्ट्रिक्ट एजुकेशन ऑफिसर तक को पत्र लिखा जा चुका है, उनसे इस समस्या को लेकर मिला जा चुका है, लेकिन अब तक इस समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ है.

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पटना: बिहार में सरकार शिक्षा को लेकर हर साल करोड़ों का बजट जारी करती है. शिक्षा के इंफ्रास्ट्रक्चर को दुरुस्त करने के तमाम दावे किए जाते हैं, लेकिन राजधानी पटना के रिहायशी इलाके में ही सरकार के ये दावे खोखले साबित हो रहे हैं. पटना के एजी कॉलोनी में स्कूल के पास भवन नहीं (AG Colony Middle School is in Bad Condition) है और ना ही जमीन है. जबकि वर्ष 1988 से यह मिडिल स्कूल चल रहा है. जिसमें कक्षा 1 से 8 तक की पढ़ाई होती है, लेकिन विद्यालय का अपना भवन तक नहीं है.

यह भी पढ़ें- अब NH-30 पर लगेगी पाठशाला... ढाई साल पहले तोड़े गए स्कूल को पाने के लिए छात्रों का अनोखा आंदोलन

दो शिफ्ट में चलता है स्कूलः आपको बताएं कि विद्यालय में क्लास रूम के नाम पर बांस के पटरा से जुगाड़ तकनीक के माध्यम से बनाए गए 2 कमरे हैं, जिसे एसबेस्टस से ढंका गया है. इस विद्यालय के सभी बेंच टूटे हुए हैं, चाहे हाई बेंच की बात करें या लो बेंज की सभी बेंच दो-तीन ईंट लगा कर जुगाड़ के माध्यम से खड़े हैं. बच्चे उसी पर बैठकर पढ़ाई करते हैं. प्रतिदिन काफी संख्या में बच्चों को इन ईंटों की वजह से चोट भी लगती है.

क्लास रूम की कमी होने की वजह से विद्यालय दो शिफ्ट में चलता है, जिसमें पहले शिफ्ट में कक्षा 1 से 4 के बच्चे सुबह 9:00 बजे से 12:00 बजे तक पढ़ाई करते हैं और फिर दूसरी शिफ्ट में 12:30 से 3:30 तक पांचवी कक्षा से आठवीं कक्षा तक के बच्चे पढ़ाई करते हैं. एक क्लास में दो से तीन वर्ग के बच्चे बैठते हैं. ऐसे में शिक्षकों को भी छात्रों को पढ़ाने में मुश्किल होती है और छात्रों को भी पढ़ने में मुश्किल होती है. क्लास रूम का कोई दीवार नहीं होने की वजह से एक कक्षा में जब शिक्षक पढ़ाते हैं तो दूसरे कक्षा में भी पूरी आवाज आती है और इस वजह से भी बच्चों को पढ़ाई करने में बाधा उत्पन्न होती है.

पड़ोस से मांगना पड़ता है पानीः विद्यालय में 406 छात्र-छात्राओं वाले इस स्कूल में मात्र एक टॉयलेट है और वह भी बदहाल हालत में है. टॉयलेट की स्थिति बदहाल होने की वजह से बच्चियों को खासकर सीनियर क्लास के बच्चियों को काफी परेशानी होती है. विद्यालय में पीने के पानी की कोई सुविधा नहीं है. एक चापाकल है, जो पिछले कई वर्षों से खराब पड़ा हुआ है और उसका पानी बहुत गंदा आता है. इसके अलावा सप्लाई वाटर की जो व्यवस्था है, उस नल में भी पानी कभी-कभार आता है. पानी जब भी आता है, उसमें से गंदगी निकलती है. बच्चों को पानी के पीने के लिए आस-पड़ोस के घर के बाहर लगे नल का उपयोग करना पड़ता है और कई बार दूसरे के घर से नल का पानी प्रयोग करने के चक्कर में बच्चे डांट भी सुन जाते हैं.

बारिश में होती परेशानीः इस विद्यालय में पढ़ने वाली बच्चियों का कहना है कि मुख्यमंत्री कहते हैं कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ. कई बार इन नारों के साथ प्रभातफेरी भी निकाली जा चुकी है, लेकिन वास्तविकता यह है कि बेटियां जब स्कूल में पढ़ने आती हैं, तो स्कूल में शौचालय की भी सुविधा नहीं रहती है. पीने का साफ पानी भी नहीं मिलता है और व्यवस्था के नाम पर सब कुछ शून्य रहता है. विद्यालय की कक्षा आठ की छात्रा ज्योति कुमारी ने बताया कि विद्यालय में पढ़ाई तो अच्छी होती है, लेकिन पढ़ने में काफी कठिनाई आती है. विद्यालय में जगह की कमी है, ऐसे में प्रेयर करने में भी काफी दिक्कत होती है. जब बरसात होती है, तब परेशानी बहुत अधिक बढ़ जाती है और ऊपर एसबेस्टस से पानी टपकता है.

क्लास रूम की नहीं है सुविधाः विद्यालय में शौचालय की भी अच्छी सुविधा नहीं है. शौचालय तो है लेकिन उसमें पानी की व्यवस्था नहीं है. विद्यालय में क्लास रूम की कोई दीवार नहीं होने की वजह से दूसरी कक्षा में अगर पढ़ाई होती है, तो वह आवाज दूसरे कक्षा में भी पहुंचती है. इस वजह से पढ़ाई करने में भी डिस्टरबेंस आती है. उन्होंने कहा कि वह सरकार से अपील करेंगी कि विद्यालय में शौचालय और पानी की अच्छी सुविधा हो, इसके अलावा क्लासरूम की भी अच्छी सुविधा हो, ताकि वह अच्छे से पढ़ सकें.

शौचालय की नहीं है व्यवस्थाः कक्षा आठ की छात्रा चांदनी कुमारी ने बताया कि विद्यालय की स्थिति बहुत ही खराब है. बरसात के समय में छत से पानी टपकता है. पढ़ाई पूरी तरह से बाधित हो जाती है. विद्यालय में शौचालय बदहाल स्थिति में है इस वजह से काफी दिक्कतें होती हैं और पानी की अच्छी व्यवस्था नहीं होने से भी परेशानी होती है. चापाकल से बहुत गंदा पानी निकलता है, जो पीने लायक नहीं रहता है. सरकार से मांग करेंगी कि विद्यालय का भवन अच्छा बन जाए और विद्यालय में शौचालय और पानी की अच्छी सुविधा उपलब्ध हो जाए.

टूटे हुए हैं सभी बेंचः विद्यालय की छात्रा काजल कुमारी ने कहा कि इस विद्यालय में सभी छात्र इसीलिए पढ़ने आते हैं, क्योंकि जो शास्त्री नगर स्कूल है, वह यहां से लगभग 5 किलोमीटर दूर है और वहां जाने में काफी कठिनाई होती है. इसीलिए सभी बच्चे नजदीक में स्कूल होने की वजह से इस स्कूल में नामांकन कराते हैं. इस विद्यालय में कक्षा की कमी होने की वजह से सभी छात्र भी पढ़ने नहीं आते. स्कूल के सभी बेंच टूटे हुए हैं और उनमें कीलें निकली हुई हैं. इस वजह से बच्चे रोजाना जख्मी होते हैं. उन्होंने बताया कि वह बहुत गरीब परिवार से आती हैं और उन्हें पढ़ना है. ऐसे में स्कूल में स्थिति कितनी भी कष्टप्रद हो, पढ़ना तो उन्हें है ही. सरकार कहती है बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और ऐसे में उन्हें इस बात का दुख है कि जब बेटियां पढ़ने आती हैं तो स्कूल में व्यवस्था कुछ नहीं होती, शौचालय और पीने के पानी तक की व्यवस्था नहीं होती है.

झोपड़ी में चल रहा है स्कूलः विद्यालय की शिक्षिका नूतन कुमारी ने बताया कि यह एजी कॉलोनी मध्य विद्यालय साल 1988 से चल रहा है. इसमें कक्षा एक से 8 तक के बच्चों की पढ़ाई होती है. इसमें 408 बच्चों का नामांकन है. प्रतिदिन लगभग 70 से 75 फीसदी बच्चे स्कूल आते हैं. जगह की कमी होने की वजह से विद्यालय को दो शिफ्ट में चलाना पड़ता है. जूनियर बच्चों को फर्स्ट हाफ यानी लंच के पहले बुलाया जाता है. सेकेंड हाफ यानी लंच के बाद सीनियर बच्चों को बुलाया जाता है. झोपड़ी में स्कूल चल रहा है. विद्यालय में एक शौचालय है और वह भी सुव्यवस्थित नहीं है, उसमें वर्षों से पानी की व्यवस्था नहीं है. विद्यालय का चापाकल भी खराब है. यह भवन ही विद्यालय है, जो जुगाड़ पर चल रहा है.

एक रूम में तीन-तीन क्लास के बच्चेः विद्यालय की शिक्षिका संध्या कुमारी ने बताया कि 5 दिनों पूर्व एक शिक्षिका ने इस विद्यालय में योगदान किया है. उसके बाद अब इस विद्यालय में 5 शिक्षक हो गए हैं. विद्यालय में भवन की कमी के साथ-साथ शिक्षकों की भी कमी है. विद्यालय में क्लास की कमी होने की वजह से एक क्लास में तीन-तीन वर्ग के बच्चों को बिठाकर पढ़ाना पड़ता है. ऐसे में पढ़ाने में भी कठिनाई आती है. एक क्लास को जब पढ़ाया जाता है, तो दूसरी क्लास को क्लास वर्क देना पड़ता है. ऐसी स्थिति में बच्चों में पढ़ाई को लेकर एकाग्रता की कमी हो जाती है. बच्चों की सही तरीके से पढ़ाई भी नहीं हो पाती है. इस विद्यालय में भवन की समस्या को दूर करने को लेकर पूर्व के प्रभारी द्वारा बहुत प्रयास किए गए, लेकिन इसका कोई निदान नहीं निकला है. विद्यालय में भवन की कमी के मामले को लेकर स्थानीय विधायक, डीएम और डिस्ट्रिक्ट एजुकेशन ऑफिसर तक को पत्र लिखा जा चुका है, उनसे इस समस्या को लेकर मिला जा चुका है, लेकिन अब तक इस समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ है.

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