पटना: पीएमसीएच बिहार का सबसे बड़ा और प्रतिष्ठित अस्पताल है और इसे गरीबों का अस्पताल भी कहा जाता है. लेकिन अस्पताल में वर्तमान समय में हालात यह है कि गरीब मरीजों को अस्पताल में इलाज और दवा के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. पीएमसीएच में एचआईवी पीड़ित मरीज दवा के लिए दर-दर भटक रहे हैं और फिर भी उन्हें दवा नहीं मिल पा रहा है.
बुधवार के दिन लगभग 50 के करीब एचआईवी पीड़ित मरीज पटना मेडिक कॉलेज के अधीक्षक से मिलने पहुंचे. लेकिन उनकी अधीक्षक से मुलाकात नहीं हो पाई. एचआईवी मरीजों का कहना था कि वह पिछले तीन-चार दिनों से लगातार अस्पताल में दवा लेने के लिए चक्कर काट रहे हैं. लेकिन उन्हें दवा नहीं उपलब्ध हो रहा है. इसके साथ ही मरीजों ने कहा कि जब वह अधीक्षक से मिलने पहुंचते हैं, तो अधीक्षक से भी उनकी मुलाकात नहीं हो पा रही है और वह पिछले 3 दिनों से अधीक्षक से मिलने पहुंच रहे हैं. मगर अब तक उनकी मुलाकात नहीं हो पाई है.
व्यवस्था के आगे लाचार और बेबस हुए मरीज
बता दें कि पीएमसीएच में बिहार-झारखंड के दूरदराज इलाके से एचआईवी पीड़ित मरीज दवा लेने के लिए पहुंचते हैं. लेकिन वर्तमान समय में स्थिति यह है कि दवा के लिए मरीजों को दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही है. दवा के लिए पहुंचने वाले मरीजों में महिला और पुरुष दोनों की संख्या रह रही है और सभी अस्पताल प्रबंधन के व्यवस्था के आगे लाचार और बेबस नजर आ रहे हैं.
झारखंड से दवा लेने पहुंची एक मरीज ने कहा कि वह 600 रुपये किराया खर्च कर दवा खरीदने पटना पहुंची हैं और वह 3 दिन से रोजाना पीएमसीएच पहुंच रही हैं. लेकिन उन्हें अभी तक दवा नहीं मिल पा रही है. दवा काउंटर पर काफी भीड़ रह रही है और काउंटर पर उनका पर्ची तक नहीं लिया जा रहा है.
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अधीक्षक कार्यालय के पास अधीक्षक से मिलने पहुंचे एचआईवी मरीजों में कई ऐसे मरीज से जो लंबे वर्षों से एचआईवी से संक्रमित हैं और उनकी स्थिति ऐसी है कि 1 दिन अगर वह दवा बंद कर दे तो इसका असर उनके शरीर पर दिखने लगता है.
'घंटों इंतजार के बावजूद नहीं मिला दवा'
पटना की ग्रामीण इलाके से दवा खरीदने पहुंची एचआईवी पीड़ित महिला ने बताया कि उसके पति की मौत हो चुकी है और उसका एक छोटा बच्चा है. वह इस गंभीर बीमारी से पीड़ित है और 3 दिनों से दवा के लिए अस्पताल पहुंच रही है मगर दवा उसे नहीं मिल पा रहा है. रोजाना वह जब दवा नहीं मिल पाता है तो अधीक्षक कार्यालय अधीक्षक से मिलने पहुंचती है. मगर घंटों इंतजार के बावजूद अधीक्षक नहीं मिल पाती हैं और वजह यह बताई जाती है कि अधीक्षक कार्यालय में नहीं है.
क्या कहती हैं पीड़ित महिला
पीड़ित महिला ने बताया कि उसकी हालत बहुत खराब है और वह काफी लाचार है. ऐसे में उसकी सुधि लेने वाला कोई नहीं है. अधीक्षक कार्यालय के पास दवा की उपलब्धता कराने की मांग को लेकर अधीक्षक से मिलने पहुंचे सभी एचआईवी पीड़ित मरीजों ने कहा कि अस्पताल से उन्हें दवा नहीं मिल पा रही है और अस्पताल प्रबंधन भी दवा प्राप्त करने में उनका कोई सहयोग नहीं कर रहा है. अस्पताल के कोई अधिकारी उनसे नहीं मिल रहे हैं और वह पिछले कई दिनों से लगातार पीएमसीएच पहुंच रहे हैं और दवा के लिए दर-दर भटक रहे हैं. जहां से दवा मिलता है वहां ऐसे मरीजों की पर्ची जमा नहीं ली जा रही है
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बता दें कि कोरोना संक्रमण शुरू होने के कुछ महीनों बाद से ही पीएमसीएच के अधीक्षक अपना कार्यालय छोड़े हुए हैं और जब भी उन्हें ढूंढिए तो वह प्रिंसिपल कार्यालय में बैठे नजर आते हैं. हाल के दिनों में पिछले 1 सप्ताह से पीएमसीएच के प्रिंसिपल और अधीक्षक दोनों लगातार अस्पताल के सभी विभागों का दौरा कर रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि अस्पताल में गुणवत्तापूर्ण चिकित्सीय सुविधा गरीब मरीजों को मिले.
'पीएमसीएच प्रशासन से कहा हो रही चूक'?
प्रिंसिपल दावा करते हैं कि जो कुछ भी अस्पताल से सुविधाएं दी जाती हैं सभी सुविधाएं मरीजों को प्राप्त हो. इस उद्देश्य से वह रोजाना सभी विभागों का दौरा कर रहे हैं. ऐसे में जब एचआईवी पीड़ित मरीज खुले कैमरे पर या आरोप लगाते हैं कि वह पिछले 3 दिनों से रोजाना अपनी समस्याओं को लेकर अधीक्षक कार्यालय पहुंच रहे हैं. अधीक्षक से मिलने और इस बात की खबर तक प्रिंसिपल और अधीक्षक तक नहीं पहुंच पा रही है. ऐसे में यह सोचने वाली बात है कि आखिर पीएमसीएच प्रशासन की चूक कहां हो रही है और यह जानकारी उन तक कैसे नहीं पहुंच पा रही है.
एक दिसंबर के दिन जब एचआईवी दिवस मनाया गया, तो सरकार की तरफ से दावे किए गए कि एचआईवी मरीजों को उनकी दवाईयां होम डिलीवरी कराई जा रही है और मरीजों को आसानी से दवा उपलब्ध हो, इसकी पर्याप्त व्यवस्थाएं की गई हैं और यह वो भी रही है, मगर जो पीएमसीएच से बुधवार के दिन तस्वीरें निकलकर सामने आई हैं, वह सरकार और पीएमसीएच अस्पताल प्रबंधन के दावों की पूरी तरह से पोल खोलती है.