सहरसाः बिहार के सहरसा जिले में कोसी का पीएमसीएच कहलाने वाले सदर अस्पताल की बड़ी लापरवाही (Negligence of Sadar Hospital Saharsa) सामने आई है. जहां इमरजेंसी वार्ड के सामने फर्श पर एक लावारिस मरीज (Patient lying on floor in front of emergency ward) तकरीबन 24 घण्टे से जिंदगी और मौत से जूझ रहा है. उसे कोई देखने वाला नहीं है. वहीं, अस्पताल प्रशासन लावारिस मरीज की मौत का इंतजार कर रहा है. समय रहते अगर मरीज इलाज अस्पताल प्रशासन करवा देता है तो उसकी जान बचाई जा सकती है, लेकिन अस्पताल प्रशासन तो कुम्भकर्ण की नींद में सोया हुआ है.
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मरीज को कोई पूछने वाला नहींः अस्पताल में मौजूद प्रत्यक्षदर्शी मोहम्मद परवेज आलम ने बताया कि रात से ही ये मरीज नीचे जमीन पर पड़ा हुआ है. ठंड में कोई इंतजाम नहीं है. इस मरीज का कोई समुचित इलाज नहीं हो पा रहा है. इस लावारिस मरीज की इलाज नहीं होने से मौत भी हो सकती है. उन्होंने कहा कि हम अस्पताल प्रशासन से मांग करते हैं कि इस लावारिस मरीज का जल्द से जल्द इलाज करवाया जाय ताकि इसकी जान बच सके.
"रात से ही ये मरीज नीचे जमीन पर पड़ा हुआ है. ठंड में कोई इंतजाम नहीं है. इस मरीज का कोई समुचित इलाज नहीं हो पा रहा है. इलाज में देर हुई तो इसकी मौत भी हो सकती है. अस्पताल प्रशासन से हम मांग करते हैं कि इसका जल्द से जल्द इलाज कराया जाए"- प्रत्यक्षदर्शी, मोहम्मद परवेज आलम
सरकारी एंबुलेंस से आया था मरीजः वहीं, सदर अस्पताल में ड्यूटी कर रहे सुरक्षा गार्ड ने जब घटनाक्रम को लेकर मीडिया को कुछ बताना चाहा तो सुपरवाइजर संजीव कुमार झा ने उन्हें बताने से मना कर दिया. लेकिन गार्ड ने इतना जरूर कहा इस लावारिस मरीज को एक सरकारी एंबुलेंस लेकर आया था और अस्पताल में छोड़कर चला गया. तब से ही ये लावारिस मरीज इमरजेंसी वार्ड के सामने नीचे जमीन पर पड़ा हुआ है. सुबह 9:00 से यूं ही इमरजेंसी वार्ड के आगे ये अर्धनग्न अवस्था में पड़ा हुआ है.
"इस मरीज को एक सरकारी एंबुलेंस लेकर आया था और अस्पताल में छोड़कर चला गया. तब से ही ये लावारिस मरीज इमरजेंसी वार्ड के सामने नीचे जमीन पर पड़ा हुआ है. सुबह 9 बजे से यूं ही अर्धनग्न अवस्था में पड़ा है, इसे कोई देखने वाला नहीं है"- सुरक्षा गार्ड, सदर अस्पताल
सीएस का हैरान करने वाला जवाबः इस मामले को लेकर जब सिविल सर्जन डॉ केके मधुप से मीडिया ने सवाल किया तो उनका जवाब हैरान करने वाला था. सीएस ने कहा कि क्या लावारिस मरीज के देखभाल की जिम्मेदारी सिर्फ अस्पताल प्रशासन की है, क्या जिला प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं है. फिर जब सवाल किया गया क्या अस्पताल में लाकर मरीजों को छोड़ देने के बाद भी जिला प्रशासन जिम्मेवार होगा. तब उन्होंने कहा कि हम इस मामले को तुरंत दिखाते हैं. सीएस के इस बयान से सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि अस्पताल प्रशासन लावारिस मरीज को लेकर क्या प्रबंध करती है और कितनी सजग है.