नई दिल्ली/पटना: केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High court) के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि न्यायपालिका पर हमें पूरा भरोसा है. चिराग पासवान (Chirag paswan) ने जो याचिका दाखिल की थी, वह असंवैधानिक और गलत था. चिराग के लिए ये बड़ा झटका है.
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दरअसल दिल्ली हाईकोर्ट ने चिराग पासवान की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने लोकसभा स्पीकर के फैसले को चुनौती दी थी. पशुपति कुमार पारस को लोकसभा में संसदीय दल के नेता की मान्यता लोकसभा स्पीकर ने दी थी. इसी फैसले को चिराग ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.
'चिराग डॉ भीमराव अंबेडकर के द्वारा बनाये गये संविधान को चुनौती दे रहे थे. लोकतंत्र में ऐसा करना बिलकुल गलत है. हाईकोर्ट ने चिराग की याचिका पर कहा कि इसमें कोई आधार नहीं है. बिलकुल निराधार है. हम शुरू से सत्य की राह पर चल रहे हैं और चलते रहेंगे. पार्लियामेंट में नंबर देखा जाता है और नंबर हमारे साथ है.'- पशुपति कुमार पारस, केंद्रीय मंत्री
याचिका में चिराग ने कहा था कि पार्टी विरोधी गतिविधि के कारण हमने पारस को पार्टी से निकाल दिया है. लोजपा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी में 75 सदस्य हैं जिसमें 66 मेरे साथ हैं. जब पारस लोजपा पार्टी के सदस्य नहीं है तब ऐसे में लोकसभा स्पीकर के द्वारा उनको लोजपा के संसदीय दल के नेता के तौर पर मान्यता देना अनुचित है. उन्होंने लोकसभा स्पीकर के फैसले को रद्द करने की मांग की थी.
बता दें लोजपा में बड़ी टूट हुई थी. सांसद पशुपति कुमार पारस समेत कुल पांच सांसद चिराग से अलग हो गये. सांसदों ने पारस को संसदीय दल का नेता चिराग की जगह चुना जिसे लोकसभा स्पीकर ने मान्यता दे दी. पारस अपने गुट के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के लोगों के साथ बैठक कर खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गये.
उधर चिराग ने पांचों सांसदों को पार्टी से बाहर कर दिया. चिराग ने अपने गुट के लोगों के साथ राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की और खुद को राष्ट्रीय अध्यक्ष बताया. लोजपा दो खेमों में बंट गया है. एक खेमा पारस का है. एक खेमा चिराग का है. दोनों गुट खुद को असली लोजपा बता रहे हैं. मामला अभी चुनाव आयोग में है. इधर पारस को केंद्र सरकार में लोजपा कोटे से कैबिनेट मंत्री बनाया गया. चिराग ने पहले ही ऐलान कर दिया गया था की अगर पारस को लोजपा कोटे से केंद्र सरकार में मंत्री बनाया गया तो वह कोर्ट का रुख करेंगे.