पटना: बिहार तकनीकी सेवा आयोग कार्यालय के बाहर प्रदेश के पारा मेडिकल छात्रों ने सोमवार को घंटों प्रदर्शन किया (Protest of mercury medical students in Patna). लगभग 100 की संख्या में छात्र तकनीकी सेवा आयोग कार्यालय के बाहर आयोग के खिलाफ नारेबाजी की, जिसके बाद आयोग के सदस्यों ने आकर छात्रों से बातचीत की और छात्रों के प्रतिनिधिमंडल से बातचीत के बाद छात्र बिहार तकनीकी सेवा आयोग के गेट को खाली किए. बिहार के पारा मेडिकल छात्रों का कहना है कि 8 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद प्रदेश में ओटी असिस्टेंट, एक्स-रे टेक्निशियन, ईसीजी टेक्निशियन समेत कई पदों के लिए वैकेंसी निकली, लेकिन वैकेंसी निकली 6 महीने से अधिक समय हो गए और अब तक काउंसलिंग की प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है.
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पारा मेडिकल छात्रों ने किया प्रदर्शन: बिहार पारा मेडिकल छात्र संघ के अध्यक्ष भारत भूषण ने कहा कि 8 वर्ष के बाद बहाली के लिए विज्ञापन आया और अभ्यर्थियों ने शुल्क जमा करके आवेदन किया. आवेदन कुछ ही महीने से अधिक समय हो गए लेकिन अभी तक काउंसलिंग की प्रक्रिया भी शुरू नहीं की गई है. पिछली बार जब उन लोगों ने प्रदर्शन किया था तो आयोग के तरफ से कहा गया था जनवरी में पहले सप्ताह में ही काउंसलिंग की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी, लेकिन अब बताया जा रहा है कि मार्च के अंत तक इसकी प्रक्रिया शुरू होगी और उसके बाद मेरिट लिस्ट जारी किया जाएगा.
"हमारी मांग है कि लंबित पैरामेडिकल संवर्ग के विभिन्न पदों पर निकली वैकेंसी के आलोक में जल्द ही काउंसलिंग की प्रक्रिया शुरू करके मेरिट लिस्ट प्रकाशित किया जाए. बिहार का अपना पैरामेडिकल काउंसिल नहीं है, जिस वजह से इन सब गाड़ियों में विलंब हो रहा है. ऐसे में हमारी मांग है कि पारा मेडिकल काउंसिल का भी गठन यथाशीघ्र किया जाए."- भारत भूषण, प्रदेश अध्यक्ष, पारा मेडिकल छात्र संघ
सरकार नहीं दे रही एक भी नौकरी: भारत भूषण ने कहा कि इसके अलावा वह यह भी मांग करते हैं कि मेडिकल संवर्ग के पदों पर नियमित नियुक्ति के लिए विज्ञापन प्रकाशित की जाए और लैब टेक्नीशियन, ड्रेसर, सैनिटरी इंस्पेक्टर और डेंटल टेक्नीशियन के विभिन्न पदों पर जो रिक्तियां है, उसे जल्द भरा जाए. उन्होंने कहा कि जब से यह नई सरकार बनी है, रोज स्वास्थ्य मंत्री कह रहे हैं कि स्वास्थ्य विभाग में डेढ़ लाख वैकेंसी निकाली जाएगी, लेकिन कब निकाली जाएगी यह नहीं बता रहे हैं. पुराने सरकार के समय में हम लोगों ने जो लड़ाई लड़ी थी और उसके बाद जो रिक्तियां निकली थी, उसे भरे गए थे. उन्हें जॉइनिंग लेटर देकर ये लोग अपनी पीठ थपथपा रहे हैं, लेकिन 10 लाख सरकारी नौकरी देने की बात करने वाले एक भी नई नौकरी नहीं दे रहे हैं.
"जब तेजस्वी यादव विपक्ष में थे तो हमेशा उन लोगों की बात सुनते थे और सदन में भी मुद्दा उठाते थे लेकिन जब से सरकार बनी है. पारा मेडिकल छात्रों के मसला से उन्हें कोई वास्ता नहीं है. प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था तब तक दुरुस्त नहीं होगी जब तक जो रिक्तियां है उसे भरा ना जाए क्योंकि पारा मेडिकल स्टाफ ही अस्पतालों की रीढ़ होते हैं और इनके पद अस्पतालों में खाली रहेंगे तो अस्पताल में भले ही कितने महंगे हाईटेक मशीन क्यों ना आ जाए उसे चलाने वाला कोई नहीं रहेगा और जनता का कोई भला नहीं होगा."- भारत भूषण, प्रदेश अध्यक्ष, पारा मेडिकल छात्र संघ
दो साल का कोर्स 4 साल में हुआ पूरा: बिहार पारा मेडिकल छात्र संघ के कोषाध्यक्ष आशुतोष नंदन ने कहा कि एक को जब उन लोगों ने पारा मेडिकल में डिप्लोमा की पढ़ाई की तो 2 साल का कोर्स 4 साल में कंप्लीट हुआ, फिर उन लोगों ने वैकेंसी के लिए 4 साल लड़ाई लड़ी, लाठियां खाई तब जाकर वैकेंसी आई. वैकेंसी आने के बाद 6 महीने हो गए लेकिन अब तक काउंसलिंग प्रक्रिया भी नहीं शुरू हुई है और मेरिट लिस्ट बनने की बात तो दूर है. वैकेंसी जब आई तब काफी कम वैकेंसी आई.
"प्रदेश में पारा मेडिकल के जितने रिक्त पद हैं. उसके एक तिहाई वैकेंसी आई और लगभग 6 से 7 हजार अभ्यर्थियों ने फॉर्म भरा है और दुर्भाग्य इसमें यह है कि बिहार तकनीकी सेवा आयोग अब तक इन 7000 अभ्यर्थियों की आवेदन की शॉर्टलिस्टिंग नहीं कर पाई है. जिससे काउंसलिंग की प्रक्रिया शुरू हो सके. उन्होंने कहा कि सिर्फ नौकरी देने के नाम पर ढकोसला बाजी हो रहा है और बयानबाजी हो रहा है, लेकिन नौकरी दिया नहीं जा रहा. वर्तमान समय में अस्पतालों में पारा मेडिकल स्टाफ के लगभग डेढ़ लाख पद रिक्त हैं. प्रदेश में पारा मेडिकल के जो 33 कॉलेज है वहां शिक्षकों की घोर कमी है और उन लोगों ने कई बार कहा है कि जो पारा मेडिकल पासआउट स्टूडेंट है उन्हें वहां के बच्चों को पढ़ाने का मौका दिया जाए."- आशुतोष नंदन, कोषाध्यक्ष, बिहार पारा मेडिकल छात्र संघ
6 महीने से शुरू नहीं हुई काउंसलिंग: पारा मेडिकल छात्र विकास कुमार ने कहा कि एसएससी और बीपीएससी की परीक्षा होती है तो उसमें छह लाख के करीब फॉर्म भरे जाते हैं, लेकिन पारा मेडिकल के लिए निकली वैकेंसी में लगभग 7 हजार फॉर्म भरे गए हैं और इसमें भी 6 महीने से अब तक काउंसलिंग की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है. जब भी वह लोग वैकेंसी को जल्द भरने की मांग को लेकर पहुंचते हैं, मेरिट लिस्ट जारी करने की मांग करते हैं तो जल्द काउंसलिंग प्रक्रिया शुरू करने का सिर्फ आश्वासन दिया जाता है. यहां से आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिलता, नौकरी नहीं दी जा रही है.
"आवेदन फॉर्म की स्क्रूटनी का बहाना देकर नौकरी देने में सिर्फ विलंब किया जा रहा है. यहां कोई डोमिसाइल पॉलिसी भी नहीं है क्योंकि यहां पारा मेडिकल काउंसिल का गठन नहीं है. ऐसे में काफी संख्या में दूसरे प्रदेशों के छात्र यहां आवेदन कर चुके हैं और उन लोगों को दूसरे प्रदेशों में आवेदन करने का मौका भी नहीं मिलता है."- विकास कुमार, छात्र, पारा मेडिकल