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पद्मश्री सुधा वर्गीज ने पुलिसिया कार्यशैली पर उठाया सवाल, कहा- रेप और हत्या के मामले में बरती जाती है सुस्ती - gender based discrimination

पद्मश्री सुधा वर्गीज ने पुलिसिया तंत्र पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा है कि कई मामलों में पुलिस सुस्ती बरतती है. जिले में रेप या हत्या का केस दर्ज किए जाने के बाद आश्रितों को मुआवजा तुरंत मिलना चाहिए.

पद्मश्री सुधा वर्गीज
पद्मश्री सुधा वर्गीज
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Published : Jul 18, 2021, 8:35 PM IST

पटनाः दलित महिला हिंसा एवं लिंग आधारित भेदभाव के मुद्दे पर पद्मश्री सुधा वर्गीज ने पुलिस तंत्र पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि उत्पीड़न और हिंसा जैसे कई मामलों में पुलिस ने अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं किया है. इस कारण से पीड़ितों के आश्रितों को भी सहायता राशि नहीं मिल पा रही है.

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"प्रशासन का जो तरीका है, वो बहुत ही खराब है. मैं इससे बहुत ही निराश हूं. जिले में रेप या हत्या का केस दर्ज किए जाने के बाद आश्रितों को मुआवजा पहले मिलना चाहिए. रेप केस में 25 प्रतिशत और हत्या केस में 50 प्रतिशत. एफआईआर दर्ज किए जाने के वक्त ही परिजनों को सहायता राशि मिलनी चाहिए."- पद्मश्री सुधा वर्गीज, समाज सेविका

पटना में ऑल इंडिया दलित महिला अधिकार मंच बिहार इकाई के द्वारा राजधानी के यूथ हॉस्टल में दलित महिला हिंसा एवं लिंग आधारित भेदभाव के मुद्दे प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए सुधा वर्गीज ने कहा कि कई मामलों में पुलिस ने संबंधित कानूनों का जानबूझकर उल्लंघन किया है. साथ ही केस कमजोर करने की कोशिश की है. इतना ही नहीं पीड़ितों को मदद करने के बजाय अपराधियों को संरक्षण दिया जा रहा है.

इसे भी पढ़ें- बेतिया में जहरीली शराब पीने से 12 लोगों की गई जान, थानाध्यक्ष समेत 4 पुलिसकर्मी सस्पेंड

उन्होंने आगे कहा कि एससी-एसटी अमेंडमेंट एक्ट-2015 संशोधित नियमावली 2016 के नियम 12(4) के मुताबिक मृतक के आश्रितों को 7 दिन के अंदर 8,25,000 सहायता राशि के साथ 3 महीने के लिए खाद्यान्न और कपड़ा मुहैया कराने का नियम है मगर आश्रितों को यह मिल नहीं रहा है.

पटनाः दलित महिला हिंसा एवं लिंग आधारित भेदभाव के मुद्दे पर पद्मश्री सुधा वर्गीज ने पुलिस तंत्र पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि उत्पीड़न और हिंसा जैसे कई मामलों में पुलिस ने अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं किया है. इस कारण से पीड़ितों के आश्रितों को भी सहायता राशि नहीं मिल पा रही है.

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"प्रशासन का जो तरीका है, वो बहुत ही खराब है. मैं इससे बहुत ही निराश हूं. जिले में रेप या हत्या का केस दर्ज किए जाने के बाद आश्रितों को मुआवजा पहले मिलना चाहिए. रेप केस में 25 प्रतिशत और हत्या केस में 50 प्रतिशत. एफआईआर दर्ज किए जाने के वक्त ही परिजनों को सहायता राशि मिलनी चाहिए."- पद्मश्री सुधा वर्गीज, समाज सेविका

पटना में ऑल इंडिया दलित महिला अधिकार मंच बिहार इकाई के द्वारा राजधानी के यूथ हॉस्टल में दलित महिला हिंसा एवं लिंग आधारित भेदभाव के मुद्दे प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए सुधा वर्गीज ने कहा कि कई मामलों में पुलिस ने संबंधित कानूनों का जानबूझकर उल्लंघन किया है. साथ ही केस कमजोर करने की कोशिश की है. इतना ही नहीं पीड़ितों को मदद करने के बजाय अपराधियों को संरक्षण दिया जा रहा है.

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उन्होंने आगे कहा कि एससी-एसटी अमेंडमेंट एक्ट-2015 संशोधित नियमावली 2016 के नियम 12(4) के मुताबिक मृतक के आश्रितों को 7 दिन के अंदर 8,25,000 सहायता राशि के साथ 3 महीने के लिए खाद्यान्न और कपड़ा मुहैया कराने का नियम है मगर आश्रितों को यह मिल नहीं रहा है.

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