पटना: बिहार में धान की खरीदारी पैक्स के माध्यम से होता है. इस साल साधारण धान की कीमत 1868 प्रति क्विंटल तय की गई है. पिछले वर्ष 1815 प्रति क्विंटल थे यानी कि 53 रुपए प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है. ऐसे तो 15 नवंबर से ही धान की खरीद शुरू हो जाती है और 30 मार्च तक खरीदारी होती है लेकिन इस साल चुनाव के कारण इसमें विलंब हुआ है लेकिन सबसे बड़ी समस्या धान खरीद में नमी को लेकर होती है.
सरकार ने 17% तक नमी वाले धान खरीद की छूट दे रखी है लेकिन अधिकांश जगह में 17% से अधिक नमी धान में अभी है. इसके कारण किसानों की परेशानी बनी हुई है. बिहार सरकार का दावा है कि पूरे बिहार में धान की खरीद शुरू हो गई है लेकिन वहीं बिस्कोमान के अध्यक्ष सुनील सिंह का कहना है कि सरकार झूठ बोल रही है. मात्र 4000 पैक्स में ही धान की खरीद शुरू हुई है. बाहर के किसान सरकार की ओर से तय न्यूनतम राशि 1868 रुपये से काफी कम 1100 से 1200 रुपए प्रति क्विंटल में धान खरीद कर ले जा रहे हैं. क्योंकि अभी तक पैक्स को सरकार ने राशि भी नहीं दी है. बिहार इकलौता राज्य है जहां केवल एक एजेंसी पैक्स है.
अब तक 1 हजार टन की भी नहीं हुई खरीदारी
पिछली बार करोना के कारण धान की खरीदारी लंबे समय तक चलता रहा और इसका असर यह हुआ कि 20 लाख टन धान की खरीद हो सकी. अब एक बार फिर से धान खरीद को लेकर सरकार की ओर से कई तरह के दावे हो रहे हैं. तो वहीं नमी और अन्य कारणों से किसानों की परेशानी बरकरार है. किसानों को धान बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन कराना होता है. इस साल भी किसानों का रजिस्ट्रेशन शुरू है.
'मुख्यमंत्री ने सदन के अंदर 8463 पैक्सों में धान खरीद की बात कही थी, लेकिन सच्चाई यह है कि अभी केवल 4080 पैक्सों में ही धान की खरीद शुरू हुई है. और 1000 टन भी अभी तक धान की खरीदी नहीं की गई है. खासकर धान का जो कटोरा वाला इलाका है वहां से एक छटाक भी धान नहीं खरीदी गई है. पैक्सों को अभी तक सरकार की ओर से राशि नहीं दी गई है.'- सुनील कुमार सिंह, अध्यक्ष, बिस्कोमान
'बिहार में किसानों के लिए पैक्सों के अलावा कहीं धान बेचने की कोई व्यवस्था नहीं है. ऐसे में किसान मजबूरी में सरकार की ओर से तय राशि 1868 से काफी कम 1100 से 1200 रुपये में बिचौलियों के हाथों बेच रहे हैं. दूसरे राज्यों से व्यापारी बिहार के किसानों से धान खरीद कर ले जा रहे हैं.'- सुनील सिंह, अध्यक्ष, बिस्कोमान
किसान कल्याण केंद्र के रूप में विकसित किया गया है पैक्स
'पैक्स को हम लोगों ने किसान कल्याण केंद्र के रूप में विकसित किया है. कोरोना काल में भी हम लोगों ने पिछली बार 20 लाख टन से अधिक की धान खरीदारी की थी. लेकिन बिहार में सबसे बड़ी समस्या नमी को लेकर होती है. जिसको लेकर कई तरह के मशीन लगाए गए हैं और आने वाले समय में धान की खरीदारी में तेजी आएगी.'- राणा रणधीर सिंह, पूर्व सहकारिता मंत्री
वर्ष | धान खरीद |
2014-15 | 19.01 लाख टन |
2015-16 | 18.23 लाख टन |
2016-17 | 18.42 लाख टन |
2017-18 | 11.84 लाख टन |
2018-19 | 14.16 लाख टन |
2019-20 | 20.01 लाख टन |
लाभान्वित किसान की बात करें तो यह हैं आंकड़ा
वर्ष | धान खरीद |
2014 -15 | 2.17 लाख |
2015 -16 | 2.76 लाख |
2016 -17 | 2.88 लाख |
2017- 18 | 1.63 लाख |
2018 -19 | 2.10 लाख |
2019 -20 | 3.84 लाख आवेदन हुआ था स्वीकृत |
2020-21 | एक लाख से अधिक किसानों ने कराया है रजिस्ट्रेशन |
चावल उत्पादन की पांच साल का आंकड़ा
वर्ष | चावल उत्पादन |
2014 -15 | 82.41 लाख टन |
2015 -16 | 68.02 लाख टन |
2016 -17 | 83.3 लाख टन |
2017- 18 | 80.3 लाख टन |
2018- 19 | 74.5 लाख टन |
नमी ने हर साल बढ़ाई है परेशानी
धान खरीद को लेकर सरकार की ओर से हर साल दावे होते हैं लेकिन यही सच्चाई है नमी के कारण किसान ओने-पौने दाम में बिचौलिए को बेच देते हैं. इस साल अभी धान खरीद की शुरुआत है. लेकिन नमी अधिक होने के कारण अभी किसानों की मुश्किलें बढ़ी हुई है और जिन्हें पैसे की जरूरत है वह अपना धान बेच रहे हैं. ऐसे विभाग के अधिकारियों की माने तो धान खरीद में तेजी जनवरी में आनी शुरू होगी और यह मार्च तक बना रहेगा. सरकार ने तय किया है एक किसान अधिकतम 200 क्विंटल धान सरकारी केंद्र पर बेच सकते हैं. यदि गैर रैयत किसान हैं तो उसकी सीमा 75 क्विंटल ही है. बिहार में पैक्स ही किसानों से धान के अलावा गेहूं की खरीदारी करता है. मक्का, तिलहन और दलहन की भी खरीदारी किए जाने की मांग किसानों की ओर से होती रही है लेकिन सरकार की ओर से अब तक उस पर भी कोई फैसला नहीं हुआ है. क्योंकि सरकार को धान खरीदने में हैं सांस फूलती रही है.