ETV Bharat / state

बिहार में ओवैसी और मांझी साथ-साथ, क्या यह नए समीकरण का आगाज तो नहीं?

author img

By

Published : Dec 27, 2019, 1:37 AM IST

एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने 29 दिसंबर को किशनगज में रैली बुलाई है. इस रैली में पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी भी मंच साझा करते नजर आएंगे. बिहार में अगले साल अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में बिहार चुनाव से पहले दोनों के साथ आने से राज्य की राजनीति का प्रभावित होना तय माना जा रहा है.

मांझी और ओवैसी
मांझी और ओवैसी

पटना/गया: एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन औवेसी संशोधित नागरिकता कानून और प्रस्तावित एनआरसी के खिलाफ आज बिहार के मुस्लिम बहुल किशनगंज जिले में रैली करेंगे. आरजेडी और कांग्रेस महागठबंधन में शामिल मांझी ने भी इसमें जाने का एलान कर दिया है. इस घटनाक्रम के बाद बिहार में सियासी पारा चढ़ गया है.

विधानसभा उपचुनाव में मिली थी जीत
एक ओर जहां सत्तारूढ़ राजग ने हैदराबाद से सांसद औवेसी के दौरे को कोई खास महत्व नहीं दिया. वहीं, दूसरी ओर विपक्षी महागठबंधन अपने एक सहयोगी दल हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के अध्यक्ष तथा पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के रैली में शामिल होने के फैसले को लेकर हैरान है. औवेसी की पार्टी को हाल ही में हुए विधानसभा उपचुनाव में किशनगंज सीट पर जीत मिली थी. यह पार्टी की बिहार में किसी सीट पर पहली जीत है.

बिहार आ रहे है औवेसी
एआईएमआईएम की राज्य इकाई के अध्यक्ष अख्तर उल ईमान ने कहा कि नरेन्द्र मोदी नीत केन्द्र सरकार द्वारा लाए गए काले कानून (सीएए) को लेकर पूरे देश में आक्रोश है. इस कानून में मुसलमानों के साथ भेदभाव किया गया है, जिनके लिये सभी दलों ने दिखावटी प्रेम के सिवाय कुछ नहीं किया. लिहाजा, औवेसी जिन्हें देश भर के अल्पसंख्यक उम्मीद की नजर से देख रहे हैं, वह राज्य में रहने वालों की पीड़ा को आवाज देने के लिए बिहार आ रहे हैं.

औवेसी के साथ मंच साझा करेंगे मांझी
ईमान ने कहा कि उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री व हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के अध्यक्ष जीतन राम मांझी को भी निमंत्रण भेजा है क्योंकि वह भी हमारी तरह मुसलमानों और दलितों के लिये मंच बनाने में यकीन रखते हैं. हमें खुशी है कि उन्होंने इसपर सहमति जतायी है. हालांकि मांझी की ओर से इस पर कोई टिप्पणी नहीं की गई, लेकिन उनकी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने पुष्टि की है कि मांझी औवेसी के साथ मंच साझा करेंगे.

किशनगंज की रैली में ओवैसी और मांझी मंच साझा करते आएंगे नजर

'दलित-मुस्लिम एकता का रास्ता होगा साफ'
इस साल अक्टूबर में किशनगंज सीट पर हुए उपचुनाव में एआईएमआईएम के उम्मीदवार कमरुल हुदा ने कांग्रेस उम्मीदवार को हराया था. मांझी ने इसकी तारीफ करते हुए कहा था कि इससे दलित-मुस्लिम एकता का रास्ता साफ होगा. लालू प्रसाद नीत राजद की अगुवाई वाले महाठबंधन में राजद के अलावा कांग्रेस, हम, उपेन्द्र कुशवाहा की रालोसपा और मुकेश साहनी की वीआईपी पार्टी शामिल है.

वहीं, औवेसी की रैली में शामिल होने के मांझी के फैसले से राजद-कांग्रेस गठबंधन नाराज है. राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा कि हम स्तब्ध हैं। मांझी जैसे वरिष्ठ नेता को पता होना चाहिये कि औवोसी ने बिहार से बाहर जहां भी उम्मीदवार उतारे, उससे केवल भाजपा को फायदा हुआ. अगर मांझी की यही मंशा है, तो उनके लिये राजग में जाना बेहतर होगा.

'नागरिकता कानून बिहार में नहीं होगा लागू'
कांग्रेस नेता और विधान परिषद के सदस्य प्रेमचन्द्र मिश्रा ने एआईएमआईएम को भाजपा की बी-टीम करार देते हुए मांझी पर सांप्रदायिक ताकतों से लड़ने के नाम पर उनका साथ देने का आरोप लगाया. इस बीच जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि मांझी को पाला बदलने के लिये जाना जाता है. लिहाजा उनके फैसले पर टिप्पणी करने की कोई जरूरत नहीं. लेकिन हम यह नहीं समझ पा रहे हैं कि सीएए-एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन के लिये रैली क्यों आयोजित की जा रही है जबकि यह कानून बन चुका है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि यह कानून बिहार में लागू नहीं होगा.

वहीं बिहार भाजपा के प्रवक्ता निखिल आनंद ने ट्वीट किया कि औवेसी की विभाजनकारी राजनीति पूरी तरह से मुसलमानों को उकसाने पर आधारित है, जो बिहार में सफल नहीं होगी. जीतन राम मांझी के औवेसी के साथ रैली करने के साथ ही बिहार में महागठबंधन बिखरता हुआ प्रतीत होता है. महागठबंधन की राजनीति बेनकाब हो गई.

पटना/गया: एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन औवेसी संशोधित नागरिकता कानून और प्रस्तावित एनआरसी के खिलाफ आज बिहार के मुस्लिम बहुल किशनगंज जिले में रैली करेंगे. आरजेडी और कांग्रेस महागठबंधन में शामिल मांझी ने भी इसमें जाने का एलान कर दिया है. इस घटनाक्रम के बाद बिहार में सियासी पारा चढ़ गया है.

विधानसभा उपचुनाव में मिली थी जीत
एक ओर जहां सत्तारूढ़ राजग ने हैदराबाद से सांसद औवेसी के दौरे को कोई खास महत्व नहीं दिया. वहीं, दूसरी ओर विपक्षी महागठबंधन अपने एक सहयोगी दल हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के अध्यक्ष तथा पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के रैली में शामिल होने के फैसले को लेकर हैरान है. औवेसी की पार्टी को हाल ही में हुए विधानसभा उपचुनाव में किशनगंज सीट पर जीत मिली थी. यह पार्टी की बिहार में किसी सीट पर पहली जीत है.

बिहार आ रहे है औवेसी
एआईएमआईएम की राज्य इकाई के अध्यक्ष अख्तर उल ईमान ने कहा कि नरेन्द्र मोदी नीत केन्द्र सरकार द्वारा लाए गए काले कानून (सीएए) को लेकर पूरे देश में आक्रोश है. इस कानून में मुसलमानों के साथ भेदभाव किया गया है, जिनके लिये सभी दलों ने दिखावटी प्रेम के सिवाय कुछ नहीं किया. लिहाजा, औवेसी जिन्हें देश भर के अल्पसंख्यक उम्मीद की नजर से देख रहे हैं, वह राज्य में रहने वालों की पीड़ा को आवाज देने के लिए बिहार आ रहे हैं.

औवेसी के साथ मंच साझा करेंगे मांझी
ईमान ने कहा कि उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री व हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के अध्यक्ष जीतन राम मांझी को भी निमंत्रण भेजा है क्योंकि वह भी हमारी तरह मुसलमानों और दलितों के लिये मंच बनाने में यकीन रखते हैं. हमें खुशी है कि उन्होंने इसपर सहमति जतायी है. हालांकि मांझी की ओर से इस पर कोई टिप्पणी नहीं की गई, लेकिन उनकी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने पुष्टि की है कि मांझी औवेसी के साथ मंच साझा करेंगे.

किशनगंज की रैली में ओवैसी और मांझी मंच साझा करते आएंगे नजर

'दलित-मुस्लिम एकता का रास्ता होगा साफ'
इस साल अक्टूबर में किशनगंज सीट पर हुए उपचुनाव में एआईएमआईएम के उम्मीदवार कमरुल हुदा ने कांग्रेस उम्मीदवार को हराया था. मांझी ने इसकी तारीफ करते हुए कहा था कि इससे दलित-मुस्लिम एकता का रास्ता साफ होगा. लालू प्रसाद नीत राजद की अगुवाई वाले महाठबंधन में राजद के अलावा कांग्रेस, हम, उपेन्द्र कुशवाहा की रालोसपा और मुकेश साहनी की वीआईपी पार्टी शामिल है.

वहीं, औवेसी की रैली में शामिल होने के मांझी के फैसले से राजद-कांग्रेस गठबंधन नाराज है. राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा कि हम स्तब्ध हैं। मांझी जैसे वरिष्ठ नेता को पता होना चाहिये कि औवोसी ने बिहार से बाहर जहां भी उम्मीदवार उतारे, उससे केवल भाजपा को फायदा हुआ. अगर मांझी की यही मंशा है, तो उनके लिये राजग में जाना बेहतर होगा.

'नागरिकता कानून बिहार में नहीं होगा लागू'
कांग्रेस नेता और विधान परिषद के सदस्य प्रेमचन्द्र मिश्रा ने एआईएमआईएम को भाजपा की बी-टीम करार देते हुए मांझी पर सांप्रदायिक ताकतों से लड़ने के नाम पर उनका साथ देने का आरोप लगाया. इस बीच जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि मांझी को पाला बदलने के लिये जाना जाता है. लिहाजा उनके फैसले पर टिप्पणी करने की कोई जरूरत नहीं. लेकिन हम यह नहीं समझ पा रहे हैं कि सीएए-एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन के लिये रैली क्यों आयोजित की जा रही है जबकि यह कानून बन चुका है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि यह कानून बिहार में लागू नहीं होगा.

वहीं बिहार भाजपा के प्रवक्ता निखिल आनंद ने ट्वीट किया कि औवेसी की विभाजनकारी राजनीति पूरी तरह से मुसलमानों को उकसाने पर आधारित है, जो बिहार में सफल नहीं होगी. जीतन राम मांझी के औवेसी के साथ रैली करने के साथ ही बिहार में महागठबंधन बिखरता हुआ प्रतीत होता है. महागठबंधन की राजनीति बेनकाब हो गई.

Intro:Body:

BFTR


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.