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ग्राउंड रिपोर्ट : 30 की जगह 70 लोग नाव पर होते हैं सवार, हलक में अटकी रहती है जान

पटना से राघोपुर पीपा पुल टूट जाने से लोग नाव से सफर कर रहे हैं. लेकिन, समस्या ये है कि बीते दिनों हुए घटना के बाद भी लोगों ने सीख नहीं ली है.

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Published : Jul 11, 2019, 12:35 PM IST

ओवरलोड नाव

पटना: बीते दिनों लखीसराय में नाव हादसा हुआ. इस दुर्घटना में करीब 6 लोगों की मौत हो गई थी. हालांकि, यह सरकारी आंकड़ा है. हकीकत वहां की मौजूद जनता जानती है. दुर्घटना हुए अभी एक ही दिन बीता है. लोगों ने फिर से अपनी जान जोखिम में डालनी शुरू कर दी. जिले में पीपा पुल के टूट जाने से परिचालन अस्त-व्यस्त हो गया. लोग गंगा नदी से पटना आने-जाने के लिए नाव का सहारा ले रहे हैं, जो खतरनाक हो सकता है.

क्षमता से ज्यादा लोग नाव पर सवार
दरअसल, पटना और राघोपुर को जोड़ने वाली पीपा पुल के टूटने से लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. दियारा इलाके के ग्रामीण नाव पर ओवरलोड होकर गंगा के पार आना-जाना कर रहे हैं. आलम यह है कि जिस नाव में 30 लोगों के बैठने की जगह होती है, उसमें 70 के करीब लोग बैठकर सफर करते हैं. जिससे हर वक्त नाव के पलटने का डर बना रहता है. नाव चालक पैसा ज्यादा कमाने की लालच में लोगों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहा है.

पेश है रिपोर्ट
'मजबूरी में कर रहे सफर'
ग्रामीणों का कहना है कि पीपा पुल टूट जाने से समस्या ज्यादा बढ़ गई है. मजबूरी में नाव पर सवार होकर आना पड़ रहा है. अपने काम के सिलसिले में पटना आना पड़ता है. वहीं, जब लखीसराय में हुए हादसे का जिक्र किया गया तो उन्होंने कहा कि आज ज्यादा जरूरी काम था. तभी रिस्क लेकर नाव से आना पड़ा.
patna
नाव में सवार लोग

जोखिम में डालते हैं जान
नाव पर सवार युवती ने बताया कि कॉलेज के सिलसिले में पटना जाना पड़ता है. पुल के टूटने से साधन ही खत्म हो गया है. दूसरा कोई रास्ता नहीं होने के कारण नाव से ही आना-जाना पड़ता है. नाव में सफर करने वालों का कहना है कि नाव से सफर करने में समय की भी बचत होती है. हालांकि नाव से इस तरह सफर करने को लोगों ने भी जोखिम भरा माना.

घट चुकी है कई घटना
बुधवार को ही लखीसराय में ओवरलोड होने की वजह से नाव पलट गई थी. जिसमें 6 लोगों की मौत हो गई. वहीं, कई शव अब भी लापता हैं. बावजूद इसके लोग सतर्क नहीं हो रहे हैं. इससे पहले भी साल 2017 में पटना के एनआईटी घाट में नाव पलटने से करीब 21 लोगों की मौत हो गई थी. इन घटनाओं से ना तो प्रशासन ने और ना ही लोगों ने सीख ली है.

पटना: बीते दिनों लखीसराय में नाव हादसा हुआ. इस दुर्घटना में करीब 6 लोगों की मौत हो गई थी. हालांकि, यह सरकारी आंकड़ा है. हकीकत वहां की मौजूद जनता जानती है. दुर्घटना हुए अभी एक ही दिन बीता है. लोगों ने फिर से अपनी जान जोखिम में डालनी शुरू कर दी. जिले में पीपा पुल के टूट जाने से परिचालन अस्त-व्यस्त हो गया. लोग गंगा नदी से पटना आने-जाने के लिए नाव का सहारा ले रहे हैं, जो खतरनाक हो सकता है.

क्षमता से ज्यादा लोग नाव पर सवार
दरअसल, पटना और राघोपुर को जोड़ने वाली पीपा पुल के टूटने से लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. दियारा इलाके के ग्रामीण नाव पर ओवरलोड होकर गंगा के पार आना-जाना कर रहे हैं. आलम यह है कि जिस नाव में 30 लोगों के बैठने की जगह होती है, उसमें 70 के करीब लोग बैठकर सफर करते हैं. जिससे हर वक्त नाव के पलटने का डर बना रहता है. नाव चालक पैसा ज्यादा कमाने की लालच में लोगों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहा है.

पेश है रिपोर्ट
'मजबूरी में कर रहे सफर'
ग्रामीणों का कहना है कि पीपा पुल टूट जाने से समस्या ज्यादा बढ़ गई है. मजबूरी में नाव पर सवार होकर आना पड़ रहा है. अपने काम के सिलसिले में पटना आना पड़ता है. वहीं, जब लखीसराय में हुए हादसे का जिक्र किया गया तो उन्होंने कहा कि आज ज्यादा जरूरी काम था. तभी रिस्क लेकर नाव से आना पड़ा.
patna
नाव में सवार लोग

जोखिम में डालते हैं जान
नाव पर सवार युवती ने बताया कि कॉलेज के सिलसिले में पटना जाना पड़ता है. पुल के टूटने से साधन ही खत्म हो गया है. दूसरा कोई रास्ता नहीं होने के कारण नाव से ही आना-जाना पड़ता है. नाव में सफर करने वालों का कहना है कि नाव से सफर करने में समय की भी बचत होती है. हालांकि नाव से इस तरह सफर करने को लोगों ने भी जोखिम भरा माना.

घट चुकी है कई घटना
बुधवार को ही लखीसराय में ओवरलोड होने की वजह से नाव पलट गई थी. जिसमें 6 लोगों की मौत हो गई. वहीं, कई शव अब भी लापता हैं. बावजूद इसके लोग सतर्क नहीं हो रहे हैं. इससे पहले भी साल 2017 में पटना के एनआईटी घाट में नाव पलटने से करीब 21 लोगों की मौत हो गई थी. इन घटनाओं से ना तो प्रशासन ने और ना ही लोगों ने सीख ली है.

Intro:मौत का हमसफर बना यह नाव,जो अब प्रतिदिन गंगा की गोद से निकलकर गंगा की तेज लहरों को चिढ़ते हुए लोगो को अपनी मंजिल या घर तक पहुचायेगा।यकीनन सच्चाई भी है कि अब चार से पाँच महीने तक गंगा की लहरों को चिढ़ता हुआ पतवार यह नाव ही लगायेगा।मजबूरी,वेवसी,दुःखी, बीमारी,शादी समारोह सबका हमसफ़र बना यह नाव जो प्रतिदिन हजारों जिंदगियों को समेटता हुआ दहशत भरी जिंदगी के साये में लेकर प्रतिदिन लाता और पहुचता है लेकिन इसपर कार्रवाई न तो सरकार करती है और नाही प्रसाशन सबको अपनी पैकेट की चिंता है जिसके कारण लापरवाह होकर नाव बाले अपनी मनमानी करते हुए तीस से चालीस लोगो के बैठाने के बजाय सौ से अधिक लोगो को वैठा कर उनके जीवन से खिलवाड़ करते है।


Body:स्टोरी:-मौत का हमसफ़र।
रिपोर्ट:-पटना सिटी से अरुण कुमार।
दिनांक:-11-07-019.
एंकर:-पटना सिटी,पीपा पुल टूटने के बाद अब चार से पाँच महीने तक लगातार राघोपुर से पटना और पटना से राघोपुर जाने के लिये नाव ही मात्र विकल्प है और उस विकल्प में कितने की जिंदगियाँ गंगा की आगोस यानी गंगा की गोद मे जायेगी यह कहना काफी मुश्किल होगा।चाहे खुशी का माहौल हो या गम का,सुख हो या दुख,मंजिल या घर जाना है तो आप मजबूरी या दहसत भरे साये में जाय लेकिन जाना तो जरूर ही है इसके लिये आपको गंगा पार करने के लिये नाव का सहारा लेना ही पड़ेगा।क्योंकि नाव ही एक मात्र साधन है,जिसे नाव बाले मजबूरी का भरपूर फायदा उठाकर जरूरत से ज्यादा लोगो को वैठाकर अपनी पॉकेट मजबूत करते है।परिणाम चाहे जो भी हो।
v/o1-किसी दुर्घटना का लाइव तस्वीर देखना हो तो सीधे आइये कच्ची दरगाह और जेठूली घाट और आकर देखिये कुछ न कुछ तस्वीर आपको रोंगटे खड़े कर देंगे।यह नजारा है पीपा पुल टूटने के बाद का जँहा महिला,बच्चे,पुरुष,बृद्ध सभी को अपने घर या मंजिल पहुँचना है।कोई भी अपनी जान की परवाह न कर एक पतले पटरे के सहारे नाव पर चढ़कर नाव पर वैठकर गंगा की गोद मे वैठकर घर या मंजिल पहुँचते।नाव बाले का भी चाँदी ही चाँदी है वो चालीस की जगह सौ लोगो को भी वैठाने में कसर नही छोड़ते और गंगा की तेज धारा को चिढ़ते हुए गया गंगा को पार करते।महिला,छोटे-छोटे बच्चे,बूढ़ी या बृद्ध युवा जब हिलती डुलती नाव पर चढ़ते तो मानो की कुछ देर तक धड़कन तेज दहसत भरी निगाहे की साये में जीते हुए माँ गंगा की आराधना में लग जाते है और जब गया गंगा को पार करते देख उन्हें नई जीवन मिल जाती है।सभी कहते है हम चाह कर भी कुछ नही कर सकते मजबूरिया के कारण ही हम प्रतिदिन मौत से जूझ कर गंगा की तेज धार का चिढ़ते हुए जाते है चाहे हमारी जिंदगी रहे या फिर जाय।गौरतलब है कि मौत की डगर,मौत की राह,मौत की जलजला की राह निहारते यह गंगा हमेसा निगाह लगाकर वैठी रहती की कौन नाव लापरवाही का शिकार बने की सैकड़ो जिंदगियां गंगा की गोद मे पलक झपकते खत्म हो जायेगी।ईटीवी भारत भी माँ गंगा से आराधना करती है कि आपकी कृपा इनपर बनी रहे किसी की मांग या गोद सुना न हो।देखिये मौत का हमसफ़र की एक्सक्यूलिसिव रिपोर्ट।
बाईट(चम्मन रॉय, मोहन सिंह,किशोर कुमार,रीना, आरती सुनीता-नाव से सफर करने बाले स्थानीय)


Conclusion:मौत का हमसफ़र बना यह नाव दहसत भरी जिंदगी।
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