ETV Bharat / state

Patna mahavir Mandir: तुलसीदास और रामचरितमानस पर होगा राष्ट्रीय सेमिनार, महावीर मंदिर के सचिव की घोषणा

author img

By

Published : Jan 22, 2023, 9:40 PM IST

Patna News बिहार के पटना में विद्वत गोष्ठी का आयोजन किया गया. इस दौरान किशोर कुणाल ने घोषणा की है कि गोस्वामी तुलसीदास और रामचरितमानस पर महावीर मंदिर पटना की ओर से राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन होगा. इसके लिए तारीख तय की जाएगी. पढ़ें पूरी खबर...

Etv Bharat
Etv Bharat
पटना में विद्वत गोष्ठी का आयोजन

पटनाः बिहार के पटना में गोस्वामी तुलसीदास और रामचरितमानस पर महावीर मन्दिर की ओर से राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन होगा. इसकी तारीख और कार्यक्रम की रूपरेखा की घोषणा जल्द की जाएगी. रविवार को विद्यापति भवन में महावीर मन्दिर की ओर से पटना में विद्वत गोष्ठी में किशोर कुणाल ने यह घोषणा की. प्रवर्तक गोस्वामी तुलसीदास' विषयक गोष्ठी में पक्ष-विपक्ष दोनों तरह के वक्ताओं को तथ्यपरक तर्क रखने के लिए आमंत्रित किया गया था.

यह भी पढ़ेंः Bharat Jodo Yatra: राहुल गांधी को शंकराचार्य बताने पर बिफरे गिरिराज.. फारुक अब्दुल्ला पर भी बरसे

निषादराज, केवट, माता शबरी को उच्च स्थानः गोष्ठी में आए लोग विपक्ष में बोलने को कोई सामने नहीं आए. पक्ष स्थापन करते हुए शास्त्रज्ञ आचार्य किशोर कुणाल ने कहा कि संत शिरोमणि गोस्वामी तुलसीदास जी ने संसार को सियाराममय जाना, जड़-चेतन का भी भेद नहीं समझा. उन्होंने रामचरितमानस में निषादराज, केवट, माता शबरी आदि को जो उच्च स्थान दिया है, वह अद्वितीय है. जब भरत जी निषादराज से मिलते हैं तो उन्हें भ्राता लक्षमण जैसा स्नेह करते हैं.

तुलसीदास एक विरक्त महात्माः गुरु वशिष्ठ भी निषादराज से उसी भाव से मिलते हैं. शबरी के जूठे बेर श्रीराम को इतने प्रिय लगे कि नाते-रिश्तेदारी में भी वे इसका बखान किए फिरते थे. मनुष्य जाति से अलग पक्षियों में निम्न समझे जाने वाले गिद्ध जटायु का अंतिम संस्कार श्रीराम ने अपने परिजन की तरह किया. रामचरितमानस के ऐसे प्रसंग गोस्वामी तुलसीदास को समदर्शी महात्मा के रूप में प्रतिष्ठित करते हैं. आचार्य किशोर कुणाल ने कहा कि तुलसीदास एक विरक्त महात्मा थे उनको किसी पक्ष से कोई मतलब नहीं था.

बहकावे में नहीं आने की अपीलः विद्वत गोष्ठी में प्रथम वक्ता के रूप में जनवादी लेखक बाबूलाल मधुकर रहे. सनातन धर्मावलम्बियों को रामचरितमानस और गोस्वामी तुलसीदास जी के संबंध में किसी भी तरह की भ्रान्ति और बहकावे में नहीं आने की जोरदार अपील की. सोनेलाल बैठा ने कहा कि रामचरितमानस में मानवता कूट-कूट कर भरी हुई है. इसको जानने-समझने के लिए अध्ययन और मनन-चिंतन की आवश्यकता है. रिटायर्ड प्रोफेसर डॉ. कृष्ण कुमार ने कहा कि रामचरितमानस जोड़नेवाला ग्रन्थ है.

ताड़ने का अर्थ संवारना हैः डॉ. सुदर्शन श्रीनिवास शांडिल्य ने कहा कि रामचरितमानस में ढोल गंवार चौपाई में ताड़ने का अर्थ संवारना है. पूर्व आईएएस अधिकारी राधाकिशोर झा ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास ने अपनी रचनाओं के माध्यम से सभी को भगवद् भाव से देखा है. अध्यक्षीय संबोधन में जस्टिस राजेन्द्र प्रसाद ने कहा कि रामचरितमानस में वे सारे विधि और निषेध हैं जिनसे समाज में सुधार और निखार आता है. महावीर मन्दिर की पत्रिका धर्मायण के संपादक पंडित भवनाथ झा ने कहा कि किसी ग्रन्थ के शब्दों का सही अर्थ जानने के लिए उस पंक्ति के पहले और बाद की पंक्तियों को पढ़ना आवश्यक है.

"आने वाले समय में गोस्वामी तुलसीदास और रामचरितमानस पर महावीर मन्दिर की ओर से राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया जाएगा. इसके लिए समय और तारीख तय की जाएगी. इसमें पूरे देश से विद्वानों को बुलाया जाएगा. इसके लिए विद्वान लोगों को निमंत्रित किया जाएगा. इसकी तैयारी की जा रही है." -किशोर कुणाल, महावीर मंदिर के सचिव

पटना में विद्वत गोष्ठी का आयोजन

पटनाः बिहार के पटना में गोस्वामी तुलसीदास और रामचरितमानस पर महावीर मन्दिर की ओर से राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन होगा. इसकी तारीख और कार्यक्रम की रूपरेखा की घोषणा जल्द की जाएगी. रविवार को विद्यापति भवन में महावीर मन्दिर की ओर से पटना में विद्वत गोष्ठी में किशोर कुणाल ने यह घोषणा की. प्रवर्तक गोस्वामी तुलसीदास' विषयक गोष्ठी में पक्ष-विपक्ष दोनों तरह के वक्ताओं को तथ्यपरक तर्क रखने के लिए आमंत्रित किया गया था.

यह भी पढ़ेंः Bharat Jodo Yatra: राहुल गांधी को शंकराचार्य बताने पर बिफरे गिरिराज.. फारुक अब्दुल्ला पर भी बरसे

निषादराज, केवट, माता शबरी को उच्च स्थानः गोष्ठी में आए लोग विपक्ष में बोलने को कोई सामने नहीं आए. पक्ष स्थापन करते हुए शास्त्रज्ञ आचार्य किशोर कुणाल ने कहा कि संत शिरोमणि गोस्वामी तुलसीदास जी ने संसार को सियाराममय जाना, जड़-चेतन का भी भेद नहीं समझा. उन्होंने रामचरितमानस में निषादराज, केवट, माता शबरी आदि को जो उच्च स्थान दिया है, वह अद्वितीय है. जब भरत जी निषादराज से मिलते हैं तो उन्हें भ्राता लक्षमण जैसा स्नेह करते हैं.

तुलसीदास एक विरक्त महात्माः गुरु वशिष्ठ भी निषादराज से उसी भाव से मिलते हैं. शबरी के जूठे बेर श्रीराम को इतने प्रिय लगे कि नाते-रिश्तेदारी में भी वे इसका बखान किए फिरते थे. मनुष्य जाति से अलग पक्षियों में निम्न समझे जाने वाले गिद्ध जटायु का अंतिम संस्कार श्रीराम ने अपने परिजन की तरह किया. रामचरितमानस के ऐसे प्रसंग गोस्वामी तुलसीदास को समदर्शी महात्मा के रूप में प्रतिष्ठित करते हैं. आचार्य किशोर कुणाल ने कहा कि तुलसीदास एक विरक्त महात्मा थे उनको किसी पक्ष से कोई मतलब नहीं था.

बहकावे में नहीं आने की अपीलः विद्वत गोष्ठी में प्रथम वक्ता के रूप में जनवादी लेखक बाबूलाल मधुकर रहे. सनातन धर्मावलम्बियों को रामचरितमानस और गोस्वामी तुलसीदास जी के संबंध में किसी भी तरह की भ्रान्ति और बहकावे में नहीं आने की जोरदार अपील की. सोनेलाल बैठा ने कहा कि रामचरितमानस में मानवता कूट-कूट कर भरी हुई है. इसको जानने-समझने के लिए अध्ययन और मनन-चिंतन की आवश्यकता है. रिटायर्ड प्रोफेसर डॉ. कृष्ण कुमार ने कहा कि रामचरितमानस जोड़नेवाला ग्रन्थ है.

ताड़ने का अर्थ संवारना हैः डॉ. सुदर्शन श्रीनिवास शांडिल्य ने कहा कि रामचरितमानस में ढोल गंवार चौपाई में ताड़ने का अर्थ संवारना है. पूर्व आईएएस अधिकारी राधाकिशोर झा ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास ने अपनी रचनाओं के माध्यम से सभी को भगवद् भाव से देखा है. अध्यक्षीय संबोधन में जस्टिस राजेन्द्र प्रसाद ने कहा कि रामचरितमानस में वे सारे विधि और निषेध हैं जिनसे समाज में सुधार और निखार आता है. महावीर मन्दिर की पत्रिका धर्मायण के संपादक पंडित भवनाथ झा ने कहा कि किसी ग्रन्थ के शब्दों का सही अर्थ जानने के लिए उस पंक्ति के पहले और बाद की पंक्तियों को पढ़ना आवश्यक है.

"आने वाले समय में गोस्वामी तुलसीदास और रामचरितमानस पर महावीर मन्दिर की ओर से राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया जाएगा. इसके लिए समय और तारीख तय की जाएगी. इसमें पूरे देश से विद्वानों को बुलाया जाएगा. इसके लिए विद्वान लोगों को निमंत्रित किया जाएगा. इसकी तैयारी की जा रही है." -किशोर कुणाल, महावीर मंदिर के सचिव

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.