पटनाः बिहार में एनडीए सरकार के गठन के बाद अब विभागों का बंटवारा भी हो चुका है. कैबिनेट की पहली बैठक भी हो चुकी है और इसके साथ ही विपक्ष ने अपनी भूमिका को लेकर सरकार को अलर्ट कर दिया है. संभवतः पहली बार ऐसा देखने को मिल रहा है जब रोजगार के मुद्दे पर विपक्ष का पूरा दबाव सरकार पर रहेगा.
विधानसभा चुनाव के रोमांचक नतीजों के बाद अब सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच का खेल शुरू हो चुका है. सरकार पर चुनाव में किए गए अपने वायदों को पूरा करने का दबाव है. वहीं, विपक्ष ने भी जो वायदे किए थे उसे लेकर भी विपक्ष के नेता सरकार पर पहले दिन से ही दबाव बनाते दिख रहे हैं.
'रोजगार के मुद्दे पर 5 साल का इंतजार नहीं'
एक तरफ तेजस्वी यादव ट्वीट करके अपने इरादे भी स्पष्ट कर चुके हैं तो दूसरी तरफ राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने भी दो टूक कह दिया कि रोजगार के मुद्दे पर 5 साल का इंतजार नहीं चलेगा. सरकार को अपना काम जमीन पर दिखाना होगा नहीं तो हम चुप नहीं बैठेंगे. इधर बिहार सरकार के मंत्री और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने कहा कि नीतीश सरकार को अपनी जिम्मेदारियों का पूरा एहसास है. हम जनता से किए गए वायदे पूरे करेंगे.
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रोजगार वर्तमान सरकार के लिए सबसे बड़ा मुद्दा
विधानसभा चुनाव में जिस तरह से नौकरी और रोजगार के मुद्दे को लेकर एनडीए और महागठबंधन में मुकाबला हुआ, उससे इतना तो साफ है कि आने वाले वक्त में वर्तमान सरकार के लिए सबसे बड़ा मुद्दा लोगों को रोजगार मुहैया कराना होगा.
पिछले कार्यकाल में इसी मुद्दे पर मुख्यमंत्री घिर चुके हैं और जाहिर तौर पर विपक्ष का पूरा जोर इस बार नौकरी और रोजगार के मुद्दे पर सरकार को घेरने का रहेगा. ऐसे में, आने वाले वक्त में अगर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच रोजगार के मुद्दे पर कशमकश जारी रही तो इसका फायदा युवाओं को ही होगा.