पटना: बिहार में महागठबंधन की सरकार (Mahagathabandhan Government In Bihar) बनाने के बाद नीतीश कुमार ने बयान दिया था कि 2024 में 2014 वाले की फिर से वापसी नहीं होगी. यानी पीएम नरेंद्र मोदी की वापसी नहीं होगी. विपक्ष को हम एकजुट करेंगे और इसको लेकर सबसे पहली मुलाकात पटना में एक कार्यक्रम के तहत सीएम सचिवालय में ही तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर (Telangana Chief Minister KCR) से हुई लेकिन केसीआर कांग्रेस के बिना तीसरे मोर्चे की वकालत करते रहे हैं. इसलिए इस मुलाकात के बाद उन्होंने अपना अभियान चलाना शुरू कर दिया. केसीआर ने राष्ट्रीय पार्टी की घोषणा कर दी. फिर नीतीश कुमार 5 सितंबर को दिल्ली में सबसे पहले राहुल गांधी से मिलने पहुंचे. इसके बाद कई विपक्षी नेताओं से मिले लेकिन बात आगे नहीं बढ़ (Opposition Unity Of CM Nitish Kumar Fail) पाई. अब ते विपक्षी एकता की बात भी नहीं हो रही है.
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विपक्षी एकता टांय-टांय फिस्स : राहुल गांधी से मिलने के बाद सीएम नीतीश कुमार ने सोनिया गांधी जल्द मिलने की बात कही. क्योंकि उस समय सोनिया गांधी इटली दौरे पर गई थीं. उसके बाद नीतीश कुमार पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के आवास पर एचडी कुमार स्वामी से मुलाकात किये. दूसरे दिन दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार, सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव, सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, सीपीआई महासचिव डी राजा, ओम प्रकाश चौटाला से भी मुलाकात की. नीतीश कुमार दिल्ली के दूसरे दौरे में 25 सितंबर को सोनिया गांधी से भी मुलाकात की. लेकिन बात बहुत ज्यादा आगे नहीं बढ़ी. उस समय सोनिया गांधी ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की बात कर, विपक्षी एकजुटता की बात को टाल दिया था. बाद में लालू प्रसाद यादव ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा था कि सोनिया गांधी राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के बाद बैठक करेंगी, हालांकि एक महीना हो चुका है राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव हो बी गए. लेकिन अभी तक कोई पहल विपक्षी एकता के लिए होती नहीं दिख रही है.
CM नीतीश कुमार की विपक्षी एकता को लगी नजर : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को उड़ीसा के मुख्यमंत्री बीजू पटनायक और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से भी मिलना था लेकिन वह कार्यक्रम भी अभी तक नहीं बना है. विपक्षी एकता का अभियान एक तरह से ठप पड़ गया है. लेकिन नीतीश कुमार के नजदीकी जदयू मंत्री संजय झा का कहना है कि अभियान ठंडे बस्ते में नहीं गया है.
'मुख्यमंत्री ने इनीशिएटिव लिया और सब लोग का पॉजिटिव रुख भी रहा है. बिहार में फिलहाल चुनाव है तो बिहार को लेकर भी कमिटमेंट है लेकिन 2024 को लेकर कोई ना कोई प्लेटफार्म बनेगा. खासकर बिहार और यूपी में जदयू, आरजेडी और सपा के बीच एकजुटता दिख रहा.' - संजय झा, मंत्री, बिहार सरकार
बीजेपी ने विपक्षी एकता पर साधा निशाना : हालांकि बीजेपी कह रही है कि पूरे अभियान की हवा निकल चुकी है और नीतीश कुमार हताश हैं. लालू प्रसाद यादव पहले ही कह चुके हैं कि कांग्रेस के नेतृत्व में ही काम करना होगा. नीतीश कुमार महत्वाकांक्षी हैं. लेकिन किसी मुख्यमंत्री ने पॉजिटिव रिस्पांस नहीं दिया है. अब तो नीतीश कुमार के लिए बिहार में मुख्यमंत्री की कुर्सी बचाना चुनौती हो गयी है. तेजस्वी यादव कभी भी रिप्लेस कर सकते हैं. वहीं सीएम नीतीश कुमार के विपक्षी एकता को लेकर कांग्रेसी नेताओं का पहले से अलग रूख रहा है. यदि बीजेपी के खिलाफ कोई प्रधानमंत्री उम्मीदवार होगा तो राहुल गांधी हीं होंगे और बिना कांग्रेस के कोई भी विपक्षी एकता नहीं हो सकती है. कांग्रेस की छतरी में ही सबको आना होगा. कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष समीर सिंह का तो यह भी कहना है कि कांग्रेस भी चाहती है विपक्ष एकजुट हो लेकिन प्रधानमंत्री उम्मीदवार तो राहुल गांधी ही होंगे. लेकिन विपक्ष में प्रधानमंत्री के कई दावेदार हैं और विपक्षी एकजुटता में यही सबसे बड़ा रोड़ा है. ऐसे में नीतीश कुमार लगातार कहते रहे हैं कि वह प्रधानमंत्री पद के दावेदार नहीं हैं, विपक्ष को एकजुट करना चाहते हैं.
ठंडे बस्ते में CM नीतीश की विपक्षी एकजुटता मुहिम : गौरतलब है कि विपक्षी एकता के लिए सीएम नीतीश कुमार एचडी कुमार स्वामी, दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल, शरद पवार, अखिलेश यादव, ओम प्रकाश चौटाला, सीताराम येचुरी, डी राजा और सोनिया गांधी से भी मिले. उसके बाद नीतीश कुमार दिल्ली में राहुल गांधी और कई विपक्ष के नेताओं से मिलने के बाद भी नीतीश कुमार के विपक्षी एकजुटता का अभियान बहुत आगे नहीं बढ़ पाया और अब तो इसकी चर्चा भी नहीं हो रही है. एक तरह से विपक्षी एकता की मुहिम ठंडे बस्ते में जाते दिख रही है.
विपक्षी एकजुटता को लेकर प्रयास पर लगा ग्रहण : बताते चलें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहले भी विपक्षी एकजुटता को लेकर प्रयास कर चुके हैं. उस समय भी कई नेताओं से नीतीश कुमार ने मुलाकात की थी, बैठक भी की थी. मुलायम सिंह को संयोजक भी बनाया था लेकिन उस समय भी मामला आगे नहीं बढ़ा. अब दूसरी बार बीजेपी से नाता तोड़ने के बाद नीतीश कुमार विपक्षी एकजुटता के लिए अभियान शुरू की लेकिन फिलहाल यह अभियान ठंडे बस्ते में जाते दिख रहा है. ऐसे तो चुनाव 2024 में है और अभी 1 साल से अधिक समय है लेकिन जिस प्रकार से रिस्पांस की बात कही जा रही है विपक्षी एकजुटता की वह कहीं दिख नहीं रहा है. यहां तक कि अब जदयू के नेता नीतीश कुमार के प्रधानमंत्री बनने का जिस प्रकार से दावा कर रहे थे, फिलहाल बोलने से भी बच रहे हैं.