पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में आरजेडी ने प्रदेश की जनता के मनमाफिक रोजगार के मुद्दे को उठाकर इस बार बीजेपी और जेडीयू पर भारी पड़ती दिख रही है. हालांकि आरजेडी अपने मुद्दे के अलावे किसी भी अन्य मुद्दे पर बहस या चर्चा को नजर अंदाज कर रही है. आरजेडी के लिए 10 लाख सरकारी नौकरी का मुद्दा उठाना तुरूप का पत्ता साबित हुआ है. इससे आरजेडी के हौसले बुलंद है.
इस बार के चुनाव के दौरान उछाले जा रहे तमाम तरह के मुद्दों को नजरअंदाज करते हुए आरजेडी सिर्फ और सिर्फ रोजगार के मुद्दे पर चर्चा कर रही है. वहीं, आरजेडी रोजगार, संविदा कर्मी और नियोजित शिक्षकों के मुद्दे को लेकर ही जनता के बीच जा रही है. हर सभा में तेजस्वी यादव और उनके साथी सिर्फ अपने मुद्दे पर बात करते हैं. इसके कारण एनडीए की हर कोशिश नाकामयाब होता दिख रहा है.
मोहन भागवत के बयान को लालू यादव ने बनाया था मुद्दा
बता दें कि साल 2015 के विधानसभा चुनाव के दौरान भी ऐसा ही कुछ देखने को मिला था, जब मोहन भागवत ने आरक्षण के मुद्दे पर चर्चा किए थे. एक तरफ बीजेपी मोहन भागवत के बयान से पीछा छुड़ाने की कोशिश करती रही तो दूसरी तरफ मोहन भागवत के बयान को लालू यादव ने बिहार चुनाव में बड़ा मुद्दा बना दिया. तब नतीजों में आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सामने आ गई थी. हालांकि इस बार भी संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान को चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश हुई. इस बार मुद्दा बनाने में बीजेपी आगे थी.
रोजगार के मुद्दे के आगे सभी मुद्दे गौण
मोहन भागवत ने पिछले दिनों चीन की घुसपैठ को लेकर बयान दिया था और यह कहा था कि वर्तमान सरकार की नीतियों और स्वाभिमानी रवैया के कारण चीन को करारा जवाब मिला है. घुसपैठ में बिहार रेजिमेंट के कई जवान मारे गए थे. जिसे बीजेपी ने विभिन्न में चुनावी सभाओं के जरिए मुद्दा बनाने की कोशिश की लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ. बीजेपी के इस मुद्दे पर आरजेडी ने कोई जवाब नहीं दिया और ना ही कोई चर्चा की. इसका नतीजा यह हुआ कि बिहार में रोजगार के मुद्दे के आगे सभी मुद्दे गौण हो गया.