पटना: कोरोना वायरस के कहर से पूरा देश कराह रहा है और इसके खिलाफ जंग जारी है. लॉकडाउन होने के कारण बड़ी संख्या में बिहारी छात्र कोटा में फंसे हुए हैं और लगातार सरकार से वो घर वापस बुलाने की मांग कर रहे हैं. ऐसे में विपक्षी दल भी छात्रों के पक्ष में आवाज बुलंद कर रहे हैं, लेकिन लॉक डाउन का हवाला देते हुए नीतीश सरकार ने हाथ खड़े कर दिए हैं.
'बिहार के छात्रों की चिंता करे सरकार'
बिहार ज्ञान की धरती रही है और ज्ञान अर्जित करने के लिए बिहार छात्र दूसरे राज्यों में जाते रहते हैं. लॉकडाउन होने से हजारों की तादाद में छात्र कोटा में फंसे हैं. उत्तर प्रदेश के तर्ज पर बिहार में भी छात्रों को वापस बुलाने की मांग जोर पकड़ने लगी है. बिहार के तमाम राजनीतिक दल बिहारी छात्रों की समस्या को लेकर चिंतित हैं. आरजेडी, बीजेपी के अलावा प्रशांत किशोर ने बिहारी छात्रों की चिंता की है और सरकार से अनुरोध किया है कि जो भी छात्र बिहार के बाहर फंसे हैं. उन्हें उत्तर प्रदेश की तरह वापस बुलाया जाए.
उत्तर प्रदेश सरकार ने बसों के सहारे अपने छात्रों को वापस लाने का फैसला लिया है, लेकिन नीतीश सरकार को योगी सरकार के फैसले से ऐतराज है. सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार ने कहा है कि ऐसा करने से लॉकडाउन का उल्लंघन होगा. ऐसा करने से कोरोना जैसी महामारी के खिलाफ लड़ाई कमजोर होगी.
भाजपा ने भी छात्रों को वापस बुलाने की वकालत
भाजपा के वरिष्ठ नेता नवल किशोर यादव ने कहा कि योगी सरकार का फैसला स्वागत योग्य है. बिहार के भी जो छात्र दूसरे राज्यों में फंसे हैं उन्हें वापस बुलाने के लिए सरकार को गंभीरता पूर्वक सोचना चाहिए. क्योंकि लॉकडाउन कब तक चलेगा यह किसी को पता नहीं है. ऐसे में बच्चे अगर परिवार के बीच आ जाएंगे. तो उनकी मानसिक स्थिति ठीक रहेगी.
छात्रों को बुलाया जाए वापस
प्रोफेसर डीएम दिवाकर ने भी हालात पर चिंता जाहिर की है. डीएम दिवाकर ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान कई राज्यों ने गृह मंत्रालय से आदेश लेकर अपने नागरिकों को वापस बुलाया है. बिहार सरकार को भी चाहिए कि जो छात्र राजस्थान या आंध्र प्रदेश में फंसे हैं छात्रों को बिहार बुलाएं. डीएम ने कहा कि वहां की व्यवस्था अगर आदर्श स्थिति में होती. तो मैं यह नहीं कहता.