पटना: बिहार ने मानव श्रृंखला के मामले में नया रिकॉर्ड बनाया है. इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में 2020 की मानव श्रृंखला को जगह मिली है. अब विपक्ष नीतीश के रास्ते पर चलते हुए 30 जनवरी को मानव श्रृंखला बनाने की तैयारी कर रहा है. यानी जिस मानव श्रृंखला के बूते मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2017, 2018 और 2020 में विभिन्न सामाजिक मुद्दों को लेकर बड़ा अभियान छेड़ा अब उसी मानव श्रृंखला के जरिए विपक्ष नीतीश पर हमला बोलने की तैयारी कर रहा है.
मानव श्रृंखला कोई नई चीज नहीं है लेकिन इसे पिछले कुछ सालों में खूब चर्चा मिली. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2017 में पहली बार शराबबंदी के खिलाफ मानव श्रृंखला का इस्तेमाल किया. उस वक्त बिहार में महागठबंधन की सरकार थी, जिसके मुखिया नीतीश कुमार थे. नीतीश की मानव श्रृंखला 21 जनवरी 2017 को बनी थी. करीब 4 करोड़ लोगों ने हाथ से हाथ मिला कर 11000 किलोमीटर से ज्यादा लंबी श्रृंखला बनाई थी.
उसके अगले साल 21 जनवरी 2018 को करीब 13500 किलोमीटर लंबी मानव श्रृंखला बनाने का दावा किया गया. यह मानव श्रृंखला बाल विवाह और दहेज प्रथा जैसी कुरीतियों के खिलाफ बनाई गई थी. 2020 में एक बार फिर बाल विवाह की रोकथाम दहेज प्रथा के खिलाफ और नशा मुक्ति को लेकर बिहार में मानव श्रृंखला का आयोजन किया गया. 19 जनवरी 2020 को बनाई गई मानव श्रृंखला में 5 करोड़ से ज्यादा लोगों ने शामिल होने का दावा राज्य सरकार द्वारा किया गया. यह करीब 18000 किलोमीटर लंबी थी.
2021 में भी जनवरी महीने में एक मानव श्रृंखला की चर्चा जोरों पर है. मानव श्रृंखला इस बार नीतीश कुमार या उनकी सरकार नहीं बल्कि विपक्षी दल बना रहे हैं. जी हां, नीतीश कुमार ने जिस मानव श्रृंखला को एक बड़ा हथियार बनाया उस हथियार से ही बिहार में तमाम विपक्षी दल मिलकर नीतीश को चैलेंज करने की तैयारी कर रहे हैं.
कृषि कानूनों के खिलाफ बनेगी मानव श्रृंखला
कृषि कानूनों और किसानों की समस्याओं को लेकर 30 जनवरी को महात्मा गांधी की शहादत दिवस पर विपक्ष बड़े मानव श्रृंखला का आयोजन की तैयारी कर रहा है. इसमें महागठबंधन के तमाम दलों के नेता कार्यकर्ता और किसानों के साथ तमाम युवा बेरोजगार और अन्य लोगों को जोड़ने की कोशिश हो रही है. विपक्ष का दावा है कि हम पिछली मानव श्रृंखला से कोई तुलना नहीं करते, लेकिन हमारी मानव श्रृंखला आम लोगों के जीवन और किसानों की समस्याओं से जुड़ी होगी, जिसमें लोग स्वतः स्फूर्त होकर जुड़ेंगे.
सीपीएम नेता अवधेश कुमार ने कहा कि यह ऐतिहासिक होगा. बिहार के पूर्व मंत्री और राजद के राष्ट्रीय महासचिव श्याम रजक ने कहा "नीतीश कुमार ने सरकारी मशीनरी लगाकर मानव श्रृंखला का आयोजन कराया था. उन्होंने जिन मुद्दों पर मानव श्रृंखला का आयोजन किया वे मुद्दे आज भी जीवंत हैं."
नकल कर रहा विपक्ष
विपक्ष के दावों पर एनडीए नेता सवाल खड़े कर रहे हैं. उनका दावा है कि पिछली मानव श्रृंखला की ऐतिहासिक सफलता की देखा-देखी विपक्ष कर रहा है, लेकिन उनके मंसूबे सफल नहीं होंगे. बीजेपी नेता प्रेम रंजन पटेल ने कहा "एनडीए सरकार ने किसानों की भलाई के लिए कई काम किए हैं. ऐसे में विपक्ष की यह मानव श्रृंखला पूरी तरह फ्लॉप साबित होगी."
इधर जदयू नेता निखिल मंडल ने दावा किया कि विपक्ष देखा देखी जरूर कर सकता है. वे लोग नकल कर सकते हैं लेकिन उनके सारे पुराने प्रयास विफल साबित हुए हैं. जदयू नेता ने कहा कि अच्छी बात है कि मानव श्रृंखला को लेकर नीतीश कुमार से उनके भतीजे तेजस्वी ने कुछ सीखा है. उस सीख का कितना नतीजा निकलता है यह तो 30 जनवरी को ही पता चल जाएगा."
"हमने जिन मुद्दों को लेकर मानव श्रृंखला बनाई उस पर अपार जनसमर्थन हासिल हुआ. यही वजह है कि इस मानव श्रृंखला को इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी शामिल किया गया. विपक्ष का ट्रैक रिकार्ड इस मामले में बेहद खराब है."- निखिल मंडल, जदयू नेता
30 जनवरी को किसानों के मुद्दे पर और बिहार में किसानों की दयनीय हालत को लेकर राजद कांग्रेस और तमाम वाम दल के नेता और कार्यकर्ता सड़क पर उतरेंगे. इसके लिए रूट चार्ट तय कर लिया गया है. राजद का दावा है कि मानव श्रृंखला अद्वितीय होगी. अब देखना होगा कि नीतीश कुमार की मानव श्रृंखला की तुलना में यह मानव श्रृंखला किस हद तक सफल हो पाती है.
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