पटना: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर विपक्षी एकजुटता की कवायद के तहत विपक्षी दलों की अब तक दो बैठकें हो चुकी है. पटना के बाद बेंगलुरु में 26 दलों के नेताओं की बैठक हुई है. विपक्षी दलों के गठबंधन का नाम इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इंक्लूसिव अलायंस यानी INDIA तय हो चुका है लेकिन जिस प्रकार से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्षी दलों की बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल नहीं हुए, उसके बाद कई तरह के कयास लगने लगे हैं.
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नीतीश कुमार की नाराजगी को लेकर कयास तेज: दरअसल, बेंगलुरु की बैठक में गठबंधन के नाम के साथ ही संयोजक के नाम पर भी मुहर लगना था लेकिन उस पर फैसला नहीं हो सका. साथ ही नीतीश कुमार की छवि को भी 'अनस्टेबल प्राइम मिनिस्टर कंटेंडर' का पोस्टर लगाकर धूमिल करने की कोशिश की गई. बिहार में पिछले साल नीतीश कुमार ने महागठबंधन के साथ सरकार बनाया था, तब से वह लगातार विपक्षी दलों के बीच समन्वय बनाने की कोशिश में जुटे थे. चर्चा ये भी है कि नीतीश कुमार 'INDIA' नाम को लेकर भी सहमत नहीं दिख रहे थे. वहीं पटना वापस आने के बाद नीतीश-लालू और तेजस्वी की चुप्पी से भी कयास तेज होने लगे.
क्या वाकई नीतीश कुमार नाराज है?: इसको लेकर राजनीतिक विशेषज्ञ प्रोफेसर अजय झा का कहना है कि बेंगलुरु की बैठक में बिहार को बट्टा लगा है, क्योंकि पहले पोस्टर लगाकर नीतीश कुमार को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई. उसके बाद बैठक में संयोजक के नाम पर भी मुहर नहीं लगी. संभव है कि इसी कारण नीतीश कुमार प्रेस कॉन्फ्रेंस छोड़कर पटना वापस लौट आए.
बीजेपी को मिला हमला करने का मौका: वहीं, बीजेपी लगातार नीतीश कुमार पर हमलावर है. प्रदेश के तमाम बड़े नेता सीएम पर चुटकी ले रहे हैं. प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल का कहना है नीतीश कुमार संयोजक बनने की आस लगाए हुए थे. पटना में भी उनके नाम पर मुहर नहीं लगी बेंगलुरु में भी मुहर नहीं लगी. कांग्रेस ने जिस प्रकार से बैठक को हाईजैक कर लिया, उसी से मुख्यमंत्री नाराज हैं.
"नीतीश कुमार बेइज्जत होकर ही प्रेस कॉन्फ्रेंस छोड़कर बैरंग लौट आए. कांग्रेस एक परिवार से बाहर निकल ही नहीं सकती है. इसलिए नीतीश कुमार को तरजीह नहीं मिली. मुख्यमंत्री को लगता था कि उनको संयोजक बनाया जाएगा लेकिन न तो पटना में इसका ऐलान हुआ और न ही बेंगलुरु में इसकी घोषणा की गई"- प्रेम रंजन पटेल, प्रवक्ता, बीजेपी
संयोजक पद को लेकर जेडीयू ने दी सफाई: हालांकि जनता दल यूनाइटेड के नेता सीएम के बचाव में उतर गए हैं. पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार नाराज नहीं हैं. उसके बाद मंत्री श्रवण कुमार ने भी कहा कि कोई नाराजगी नहीं है. नीतीश कुमार की पहल पर ही विपक्षी दलों की पहली बैठक पटना में हुई, उसके बाद दूसरी बैठक बेंगलुरु में बैठक हुई. उन्होंने कहा कि हमारे नेता के लिए कोई पद मायने नहीं रखता. उनका लक्ष्य बीजेपी को सत्ता से हटाना है.
"कहीं कोई नाराजगी नहीं है, बीजेपी बेचैन है, इसलिए ऐसे बयान दे रहे हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार केवल एक एजेंडा पर काम कर रहे हैं, वह है भाजपा मुक्त भारत. जहां तक संयोजक बनाने की बात है तो अभी इंतजार करिये. धीरे-धीरे सब फैसला होगा. सब लोगों को पता चल जाए कि क्या हमारा एजेंडा होगा. क्या कॉमन मिनिमम प्रोग्राम होगा और कैसे क्या करेंगे"- श्रवण कुमार, मंत्री, बिहार सरकार
मुंबई में होगी अगली बैठक: आपको बताएं कि पटना की बैठक में जहां 15 दल शामिल हुए थे, वहीं बेंगलुरु की बैठक में 26 दल शामिल हुए. पटना की बैठक में जहां अरविंद केजरीवाल प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल नहीं हुए थे, वहीं बेंगलुरु की बैठक में नीतीश कुमार, लालू यादव और तेजस्वी यादव प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल नहीं हुए. अब सबकी नजर मुंबई में होने वाली अगली बैठक पर है. हालांकि अभी तिथि तय नहीं हुई है लेकिन माना जा रहा है कि मुंबई बैठक में संयोजक को लेकर कोई घोषणा हो सकती है.
मुझे किसी पद की लालसा नहीं- नीतीश: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर भले ही तमाम तरह के कयाल लग रहे हों लेकिन सीएम हमेशा सार्वजनिक तौर पर कहते रहे हैं कि उनको किसी पद की लालसा नहीं है. विपक्षी मुहिम के दौरान भी उन्होंने कई बार कहा कि वह न तो प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार हैं और न ही किसी पद की इच्छा रखते हैं.