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बिहार में कृषि बिल के प्रावधानों पर भड़का विपक्ष, कॉरपोरेट के हाथों में होगी किसानी

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Published : Sep 26, 2020, 2:12 PM IST

विपक्ष का कहना है कि अगर एमएसपी नहीं होगा तो किसान कहीं के नहीं रहेंगे. सीपीआईएम नेता ने कहा कि सरकार को यह गारंटी देनी होगी कि वह मिनिमम सपोर्ट प्राइस पर किसानों का अनाज खरीदेगी.

ववव
वव

पटनाः किसानों से जुड़े तीन प्रमुख बिल दोनों सदनों से पास होने के बाद विपक्ष ने जिस तरह से केंद्र सरकार पर हमला बोला है उससे यह सवाल जोर शोर से उठ रहा है कि आखिर इस बिल में ऐसा क्या है ? जिस पर विपक्ष को आपत्ति है. विपक्ष ने इसे देश में किसानी खत्म करने की साजिश का हिस्सा करार दिया है. 25 सितंबर को बिहार समेत पूरे देश में नए कृषि बिल के विरोध में प्रदर्शन किया गया. देखिए आखिर किस बात पर है विपक्ष को आपत्ति....

बिहार में करीब 95 फ़ीसदी किसान छोटी जोत वाले हैं. बिहार समेत ऐसे तमाम राज्य जहां छोटे किसानों की संख्या ज्यादा है, उन्हें विशेष रूप से इस बात का डर सता रहा है इस बिल के लागू हो जाने के बाद किसानी पूरी तरह खत्म हो जाएगी. कृषि पूरी तरह कॉरपोरेट्स के हाथों में चली जाएगी.

राष्ट्रीय जनता दल ने 25 सितंबर को पूरे प्रदेश में विरोध प्रदर्शन किया. विरोध प्रदर्शन में कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल भी थे, जो इस बिल का विरोध कर रहे हैं.

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव

'किसानों की जमीन कॉरपोरेट के हाथ में सौंपी जाएगी'
वामदलों ने विशेष रूप से इसे किसानों के लिए घातक करार दिया है. सीपीआईएम के राज्य समिति सदस्य अरुण कुमार मिश्र ने कहा कि केंद्र सरकार ने पहले सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों को निजी हाथों में सौंप दिया और अब किसानों की जमीन भी कॉरपोरेट के हाथ में सौंप देना चाहती है. उन्होंने कहा कि इस बिल में सबसे ज्यादा खतरनाक यह है कि कहीं भी एमएसपी का जिक्र नहीं है.

अरुण कुमार मिश्रा
अरुण कुमार मिश्रा, राज्य समिति सदस्य, सीपीआई एम

'एमएसपी खत्म करने की है पूरी तैयारी'
वहीं, सामाजिक आर्थिक विशेषज्ञ प्रोफ़ेसर डीएम दिवाकर ने कहा कि सरकार की मंशा ठीक नहीं है. कृषि बिल में सरकार ने कहीं भी न्यूनतम समर्थन मूल्य का जिक्र नहीं किया है. वे दावा जरूर कर रहे हैं कि एमएसपी खत्म नहीं होगा. लेकिन जब बिल में जिक्र नहीं है इसका मतलब साफ है कि एमएसपी खत्म करने की पूरी तैयारी हो गई. अगर एमएसपी खत्म हो जाएगा तो फिर किसानों का भविष्य संकट में पड़ जाएगा.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'नए बिल लागू होने से बढ़ेगी जमाखोरी'
एक और महत्वपूर्ण बिल, जो आवश्यक वस्तुओं के भंडारण को लेकर है उस पर भी गंभीर आपत्ति जताई जा रही है. इसे लेकर आशंका है कि अगर जमाखोरी पर सरकार का नियंत्रण नहीं रहा तो इससे महत्वपूर्ण वस्तुओं के मूल्य बढ़ेंगे.

किसान तो अपना अनाज सस्ते में बेच देंगे लेकिन जमाखोर इसका भंडारण करेंगे और ऊंचे मूल्य पर बेचेंगे और तब सरकार कुछ भी नहीं कर पाएगी. प्रो दिवाकर ने कहा कि बिहार जैसे राज्य में जहां अनाज का संकट हमेशा बना रहता है. वहां ऐसी हालत में बहुत विकट परिस्थिति देखने को मिल सकती है.

सामाजिक आर्थिक विश्लेषक
प्रो डीएम दिवाकर, सामाजिक आर्थिक विश्लेषक

विपक्ष कर रहा सरकार पर हमला
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव प्रेस कांफ्रेंस करके कृषि बिल के प्रावधानों पर हमला बोल चुके हैं. वर्ष 2006 में नीतीश सरकार ने एपीएमसी एक्ट को खत्म किया था. इसे लेकर भी लगातार सवाल उठ रहे हैं कि किसानों के पास अनाज बेचने के लिए बाजार समिति का प्रावधान भी सरकार ने खत्म कर दिया. कांग्रेस नेताओं ने भी कृषि बिल के विरोध में सड़क पर उतर कर लगातार सरकार पर हमला कर रहे हैं.

पटनाः किसानों से जुड़े तीन प्रमुख बिल दोनों सदनों से पास होने के बाद विपक्ष ने जिस तरह से केंद्र सरकार पर हमला बोला है उससे यह सवाल जोर शोर से उठ रहा है कि आखिर इस बिल में ऐसा क्या है ? जिस पर विपक्ष को आपत्ति है. विपक्ष ने इसे देश में किसानी खत्म करने की साजिश का हिस्सा करार दिया है. 25 सितंबर को बिहार समेत पूरे देश में नए कृषि बिल के विरोध में प्रदर्शन किया गया. देखिए आखिर किस बात पर है विपक्ष को आपत्ति....

बिहार में करीब 95 फ़ीसदी किसान छोटी जोत वाले हैं. बिहार समेत ऐसे तमाम राज्य जहां छोटे किसानों की संख्या ज्यादा है, उन्हें विशेष रूप से इस बात का डर सता रहा है इस बिल के लागू हो जाने के बाद किसानी पूरी तरह खत्म हो जाएगी. कृषि पूरी तरह कॉरपोरेट्स के हाथों में चली जाएगी.

राष्ट्रीय जनता दल ने 25 सितंबर को पूरे प्रदेश में विरोध प्रदर्शन किया. विरोध प्रदर्शन में कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल भी थे, जो इस बिल का विरोध कर रहे हैं.

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव

'किसानों की जमीन कॉरपोरेट के हाथ में सौंपी जाएगी'
वामदलों ने विशेष रूप से इसे किसानों के लिए घातक करार दिया है. सीपीआईएम के राज्य समिति सदस्य अरुण कुमार मिश्र ने कहा कि केंद्र सरकार ने पहले सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों को निजी हाथों में सौंप दिया और अब किसानों की जमीन भी कॉरपोरेट के हाथ में सौंप देना चाहती है. उन्होंने कहा कि इस बिल में सबसे ज्यादा खतरनाक यह है कि कहीं भी एमएसपी का जिक्र नहीं है.

अरुण कुमार मिश्रा
अरुण कुमार मिश्रा, राज्य समिति सदस्य, सीपीआई एम

'एमएसपी खत्म करने की है पूरी तैयारी'
वहीं, सामाजिक आर्थिक विशेषज्ञ प्रोफ़ेसर डीएम दिवाकर ने कहा कि सरकार की मंशा ठीक नहीं है. कृषि बिल में सरकार ने कहीं भी न्यूनतम समर्थन मूल्य का जिक्र नहीं किया है. वे दावा जरूर कर रहे हैं कि एमएसपी खत्म नहीं होगा. लेकिन जब बिल में जिक्र नहीं है इसका मतलब साफ है कि एमएसपी खत्म करने की पूरी तैयारी हो गई. अगर एमएसपी खत्म हो जाएगा तो फिर किसानों का भविष्य संकट में पड़ जाएगा.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'नए बिल लागू होने से बढ़ेगी जमाखोरी'
एक और महत्वपूर्ण बिल, जो आवश्यक वस्तुओं के भंडारण को लेकर है उस पर भी गंभीर आपत्ति जताई जा रही है. इसे लेकर आशंका है कि अगर जमाखोरी पर सरकार का नियंत्रण नहीं रहा तो इससे महत्वपूर्ण वस्तुओं के मूल्य बढ़ेंगे.

किसान तो अपना अनाज सस्ते में बेच देंगे लेकिन जमाखोर इसका भंडारण करेंगे और ऊंचे मूल्य पर बेचेंगे और तब सरकार कुछ भी नहीं कर पाएगी. प्रो दिवाकर ने कहा कि बिहार जैसे राज्य में जहां अनाज का संकट हमेशा बना रहता है. वहां ऐसी हालत में बहुत विकट परिस्थिति देखने को मिल सकती है.

सामाजिक आर्थिक विश्लेषक
प्रो डीएम दिवाकर, सामाजिक आर्थिक विश्लेषक

विपक्ष कर रहा सरकार पर हमला
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव प्रेस कांफ्रेंस करके कृषि बिल के प्रावधानों पर हमला बोल चुके हैं. वर्ष 2006 में नीतीश सरकार ने एपीएमसी एक्ट को खत्म किया था. इसे लेकर भी लगातार सवाल उठ रहे हैं कि किसानों के पास अनाज बेचने के लिए बाजार समिति का प्रावधान भी सरकार ने खत्म कर दिया. कांग्रेस नेताओं ने भी कृषि बिल के विरोध में सड़क पर उतर कर लगातार सरकार पर हमला कर रहे हैं.

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