पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर अभी तक संशय बरकरार है. जहां एक ओर एनडीए, बिहार में चुनाव तय समय पर सोशल डिस्टेंसिंग के साथ कराने के पक्ष में है. वहीं दूसरी तरफ विपक्ष इससे इत्तेफाक नहीं रखता है.
इसके अलावा को-आर्डिनेशन कमेटी की मांग को लेकर महागठबंधन में विवाद गहरा चुका है. लेकिन दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में 9 दलों के नेताओं ने बैठक कर एकजुटता दिखाने की कोशिश की और चुनाव आयोग को ज्ञापन भी सौंपा.
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विपक्षी पार्टियों की बैठक में कांग्रेस की तरफ से शक्ति सिंह गोहिल, सीपीआई महासचिव सीताराम येचुरी, माले महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य, रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा, आरजेडी सांसद मनोज झा, पूर्व सांसद शरद यादव के अलावा वीआईपी पार्टी की तरफ से राजीव मिश्रा और हम पार्टी के प्रतिनिधि शामिल हुए. वहीं, विधानसभा चुनाव को लेकर नेताओं ने चुनाव आयोग को ज्ञापन सौंप कर वर्चुअल रैली का विरोध जताया.
पारंपरिक तरीके से बिहार में चुनाव की मांग
आरजेडी नेता भाई वीरेंद्र ने कहा है कि उनकी पार्टी चुनाव का हिमायती है, लेकिन वर्चुअल रैली विकल्प नहीं हो सकता है. इस बात के हिमायती के पारंपरिक तरीके से बिहार में चुनाव कराया जाएं. हम पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने बताया कि दिल्ली में हुई बैठक में उनकी पार्टी की ओर से प्रतिनिधि भी शामिल हुए. उनकी पार्टी ने चुनाव आयोग से कहा है कि टेक्नोलॉजी के जरिए चुनावी प्रक्रिया को पूरी करना गरीबों को उनके अधिकारों से वंचित करना है.
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विपक्ष की मांग पर बीजेपी का तंज
वहीं, बीजेपी नेता नवल किशोर यादव का कहना है कि विपक्ष को चुनाव में जाना नहीं चाहता है. इसलिए संवैधानिक संस्थाओं में दौड़ लगा रहा है. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि विपक्ष को इससे कुछ भी हासिल नहीं होगा. इस बारे में चुनाव आयोग संविधान के मुताबिक ही अपने फैसले लेगी. फैसला लेने का अधिकार चुनाव आयोग के पास है.
वर्चुअल रैली के विरोध में विपक्ष
बता दें कि विपक्षी नेताओं का कहना है कि बिहार में कुल 50 से 65 फीसदी लोगों के पास फोन है जिसमें मात्र 35 प्रतिशत लोगों के पास ही स्मार्टफोन है. ऐसे में कुल आबादी का 15 फीसदी लोग भी वर्चुअल रैली के दौरान इससे रू-ब-रू नहीं हो सकेगा. ऐसा करना भी प्रजातांत्रिक व्यवस्था में चुनाव पर कड़ा प्रहार है. यह जनता के साथ नाइंसाफी है, चुनाव आयोग इस मसले पर गंभीरता से विचार करे.