पटना: आगामी बजट सत्र में पहली बार ग्रीन बजट पेश किया जाएगा. देश में पहली बार ग्रीन बजट पेश होगा. विपक्ष इसको लेकर सरकार की मंशा पर सवाल उठा रहा है. वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी इस बजट को पेश करेंगे. बजट में जलवायु में हो रहे परिवर्तन के रोकथाम और जागरुकता से जुड़े कई कार्य समाहित होंगे.
'तमाम चीजों को किया जा रहा है समाहित'
हालांकि राज्य सरकार जल-जीवन-हरियाली कार्यक्रम पहले से ही चला रही है. जिसके लिए 3 वर्षों में 24 हजार 5 सौ करोड़ रुपये की राशि खर्च होगी. इस बजट को लेकर अब विपक्ष ने सरकार को कठघरे में खड़ा करना शुरू कर दिया है. विपक्षी नेताओं का मानना है कि जब जल-जीवन-हरियाली कार्यक्रम में बीजेपी को कोई भी जगह नहीं मिली, तो वे ग्रीन बजट लाकर इसकी भरपाई करना चाहते हैं. वहीं, सत्ता पक्ष का मानना है कि ग्रीन बजट में वैसे तमाम चीजों को समाहित किया जा रहा है, जो जल-जीवन-हरियाली में नहीं है.
'बीजेपी अपनी अलग दुकान लगाना चाहती है'
आरजेडी विधायक विजय प्रकाश ने कहा कि एक ओर जहां जेडीयू जल-जीवन-हरियाली में अकेले माइलेज ले रही है, तो अब बीजेपी ग्रीन बजट लाकर अपनी अलग पहचान बनाना चाहती है. वहीं, इसी मुद्दे पर कांग्रेस के नेता हरखू झा ने कहा कि ये चुनावी साल है और सरकार नई-नई चीजों को लाकर जनता को आकर्षित करना चाहती है, लेकिन बिहार की जनता अब वर्तमान सरकार को बेहतर समझ चुकी है. ग्रीन बजट के नाम पर बीजेपी अपनी अलग दुकान लगाना चाहती है.
अग्रणी भूमिका निभाने की तैयारी में है बिहार
इन तमाम सवालों के जवाब में सत्ता पक्ष के नेता कहते हैं कि ग्रीन बजट एक बहुउद्देशीय और बहुआयामी बजट होगा. बीजेपी के प्रवक्ता अजीत चौधरी ने कहा कि जल-जीवन-हरियाली और ग्रीन बजट दोनों अलग-अलग चीजें हैं. वर्तमान एनडीए सरकार जनता के लिए काम करती है. किसी परिवार या पार्टी के माइलेज के लिए नहीं. विपक्ष के लोग हताशा हैं और वे बजट को समझना ही नहीं चाहते हैं.
गौरतलब है कि बिहार पहला राज्य होगा, जो जलवायु में हो रहे परिवर्तन की रोकथाम के लिए कई तरह के कदम उठा रहा है. एक ओर जहां जल-जीवन-हरियाली जैसा कार्यक्रम 75 पैमाने पर किया जा रहा है, तो वहीं ग्रीन बजट लाकर बिहार अग्रणी भूमिका निभाने की तैयारी में है.