पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर यू-टर्न लिया है. दरअसल, पिछले दिने सुशासन बाबू ने विधानसभा में कहा था कि बिहार में अब संविदा पर नियुक्ति नहीं होगी. लेकिन चुनाव करीब आते ही संविदा पर नियुक्ति का सिलसिला शुरू हो गया है.
बिहार सरकार ने पिछले 15 सालों के दौरान अलग-अलग विभागों में बड़े पैमाने पर संविदा पर नियुक्तियां कर रखी हैं. संविदा पर नियुक्त युवा आंदोलन कर लगातार सरकार की परेशानी बढ़ा रहे थे. नियोजित शिक्षकों ने नौकरी स्थाई करने की मांग को लेकर पिछले दिनों विधानसभा सत्र के दौरान जमकर हंगामा भी किया था. इससे नाराज होकर सीएम नीतीश कुमार ने सदन में कहा था कि अब आगे किसी भी तरह की भर्ती संविदा पर नहीं की जाएगी. सरकार ने यह नीतिगत फैसला लिया है.
नीतीश कुमार का यू-टर्न
लेकिन अब नीतीश कुमार के इस बयान की हवा निकलती दिख रही है. चुनाव करीब आते ही संविदा पर नियुक्तियों की बाढ़ आ गई है. अलग-अलग विभागों से संविदा पर नियुक्तियों के लिए आवेदन मांगे जा रहे हैं. अकेले नगर विकास विभाग में हजार से ज्यादा नियुक्तियां होनी है. नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव आनंद किशोर ने कहा कि विभागीय काम को गति देने के लिए प्रतिनियुक्ति और संविदा के आधार पर नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. जल्द ही नियुक्ति की प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाएगा.
विपक्ष ने साधा निशाना
राज्य सरकार के इस यू-टर्न लेने के बाद विपक्ष ने निशाना साधा है. राजद के वरिष्ठ विधायक भाई बीरेंद्र ने कहा कि नीतीश कुमार को सच बोलने की आदत नहीं है. वो बोलते कुछ और हैं करते कुछ और हैं. कभी अपने वादों पर खरे नहीं उतरे हैं. भाई बीरेंद्र ने कहा कि जब नियोजित शिक्षक विधानसभा सत्र के दौरान आंदोलन कर रहे थे तब नीतीश कुमार ने कहा था कि अब बिहार में संविदा पर नियुक्तियां नहीं की जाएंगी. लेकिन एक बार फिर उन्होंने यू-टर्न ले लिया है.
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अपने वादे से पीछे क्यों हट रही सरकार?
बहरहाल, संविदा कर्मियों के आंदोलन ने सरकार की नींद हराम कर रखी थी. और एक बार फिर संविदा पर भर्ती की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि सरकार अपने वादे से पीछे क्यों हट रही है.