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'बिहार में कोरोना संक्रमण से हालात बेकाबू, अस्पताल में नहीं है रोगियों के लिए जगह'

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Published : Jul 28, 2020, 7:03 PM IST

प्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. विपक्ष लगातार सरकारी तंत्रों पर सवाल खड़े कर रहा है. वहीं सत्तापक्ष के लोग भी पलटवार करते नजर आ रहे हैं.

PATNA
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पटना: बिहार में कोरोना संक्रमण के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. आंकड़ा 40 हजार के पार पहुंच चुका है. सरकार के पास अस्पताल में इतनी जगह नहीं है कि कोरोना पॉजिटिव मरीजों का इलाज किया जा सके. आए दिन अस्पतालों से बदइंतजामी की तस्वीरें सामने आ रही हैं.

राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर है. विपक्षी दलों ने नीतीश सरकार को फेल बताते हुए यहां तक कह दिया है कि बिहार के अस्पतालों में अब रोगियों के लिए जगह नहीं है, इसलिए सरकार ने उन्हें मरने के लिए छोड़ दिया है.

'अस्पतालों में नहीं है जगह'
कोरोना के बढ़ते संक्रमण ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है. लॉकडाउन के बावजूद हर रोज 2000 से 3000 कोरोना पॉजिटिव मरीज सामने आ रहे हैं. जिस रफ्तार से मरीजों की संख्या बढ़ रही है उस हिसाब से सरकार की तैयारी नहीं है. अस्पताल में बेड की संख्या कम पड़ जा रही है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक बिहार में 43591 मरीज हैं जिसमें 29220 ठीक हो चुके हैं, अभी 14101 कोरोना के एक्टिव मरीज हैं.

राजधानी पटना में हालत बेकाबू
संसाधनों की कमी के कारण प्रदेशभर के मरीज राजधानी पटना का रुख कर रहे हैं. इस कारण राजधानी के अस्पतालों पर दबाव काफी ज्यादा बढ़ गया है. राजधानी पटना में स्थिति बेकाबू है. पटना में फिलहाल 4403 एक्टिव केस है जबकि सरकार के पास व्यवस्था सीमित है. पटना में अब तक 41 लोगों की मृत्यु हो चुकी है अब तक कुल मिलाकर 7481 लोग पटना में संक्रमित पाए गए.

पटना में सुविधाएं
राजधानी पटना के एनएमसीएच में 800 बेड की व्यवस्था की गई है. लेकिन 265 बेड पर ही ऑक्सीजन और वेंटिलेटर की व्यवस्था की जा सकी है. पटना के एम्स में 450 बेड की व्यवस्था है. इसके अलावा पीएमसीएच में 100 बेड का व्यवस्था की गई है. कुल मिलाकर सरकार के दावों के मुताबिक 815 बेड कोविड के लिए हैं.

व्यवस्था के नाम पर केवल दावे
कोरोनाकाल में विपक्ष ने सरकार पर चौतरफा हमला बोला है. हम पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा है कि पटना में लोग इलाज के लिए आ रहे हैं लेकिन यहां के अस्पताल में व्यवस्था के नाम पर कुछ भी नहीं है. हर रोज मौतें हो रही हैं. सरकार लॉकडाउन घोषित कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेती है.

सत्तापक्ष का तर्क
विपक्ष के आरोपों पर भाजपा नेता नवल किशोर यादव ने कहा है कि देश या राज्य के अस्पतालों में व्यवस्था की गई है. लेकिन जब बड़ी संख्या में लोग एक साथ बीमार पड़ जाए तो व्यवस्था फेल हो जाती है. बावजूद सरकार निरंतर प्रयास कर इंजताम जुटाने में लगी हुई है.

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नवल किशोर यादव, भाजपा नेता

अभी भी बहुत सुधार की जरूरत- समाजसेवी
वहीं, समाजसेवी डॉ. संजय कुमार का कहना है कि सरकार को लॉकडाउन अवधि में स्वास्थ्य सुविधा को बेहतर बनाने के लिए प्रयास करना चाहिए. इसके साथ-साथ टेस्टिंग बढ़ाए जाने की जरूरत है. जो भी कोविड पेशेंट के लिए बेड बनाए गए हैं, वहां तक ऑक्सीजन पहुंचाए जाने की जरूरत है. तभी सुधार संभव है.

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डॉ. संजय कुमार, समाजसेवी

पटना: बिहार में कोरोना संक्रमण के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. आंकड़ा 40 हजार के पार पहुंच चुका है. सरकार के पास अस्पताल में इतनी जगह नहीं है कि कोरोना पॉजिटिव मरीजों का इलाज किया जा सके. आए दिन अस्पतालों से बदइंतजामी की तस्वीरें सामने आ रही हैं.

राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर है. विपक्षी दलों ने नीतीश सरकार को फेल बताते हुए यहां तक कह दिया है कि बिहार के अस्पतालों में अब रोगियों के लिए जगह नहीं है, इसलिए सरकार ने उन्हें मरने के लिए छोड़ दिया है.

'अस्पतालों में नहीं है जगह'
कोरोना के बढ़ते संक्रमण ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है. लॉकडाउन के बावजूद हर रोज 2000 से 3000 कोरोना पॉजिटिव मरीज सामने आ रहे हैं. जिस रफ्तार से मरीजों की संख्या बढ़ रही है उस हिसाब से सरकार की तैयारी नहीं है. अस्पताल में बेड की संख्या कम पड़ जा रही है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक बिहार में 43591 मरीज हैं जिसमें 29220 ठीक हो चुके हैं, अभी 14101 कोरोना के एक्टिव मरीज हैं.

राजधानी पटना में हालत बेकाबू
संसाधनों की कमी के कारण प्रदेशभर के मरीज राजधानी पटना का रुख कर रहे हैं. इस कारण राजधानी के अस्पतालों पर दबाव काफी ज्यादा बढ़ गया है. राजधानी पटना में स्थिति बेकाबू है. पटना में फिलहाल 4403 एक्टिव केस है जबकि सरकार के पास व्यवस्था सीमित है. पटना में अब तक 41 लोगों की मृत्यु हो चुकी है अब तक कुल मिलाकर 7481 लोग पटना में संक्रमित पाए गए.

पटना में सुविधाएं
राजधानी पटना के एनएमसीएच में 800 बेड की व्यवस्था की गई है. लेकिन 265 बेड पर ही ऑक्सीजन और वेंटिलेटर की व्यवस्था की जा सकी है. पटना के एम्स में 450 बेड की व्यवस्था है. इसके अलावा पीएमसीएच में 100 बेड का व्यवस्था की गई है. कुल मिलाकर सरकार के दावों के मुताबिक 815 बेड कोविड के लिए हैं.

व्यवस्था के नाम पर केवल दावे
कोरोनाकाल में विपक्ष ने सरकार पर चौतरफा हमला बोला है. हम पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा है कि पटना में लोग इलाज के लिए आ रहे हैं लेकिन यहां के अस्पताल में व्यवस्था के नाम पर कुछ भी नहीं है. हर रोज मौतें हो रही हैं. सरकार लॉकडाउन घोषित कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेती है.

सत्तापक्ष का तर्क
विपक्ष के आरोपों पर भाजपा नेता नवल किशोर यादव ने कहा है कि देश या राज्य के अस्पतालों में व्यवस्था की गई है. लेकिन जब बड़ी संख्या में लोग एक साथ बीमार पड़ जाए तो व्यवस्था फेल हो जाती है. बावजूद सरकार निरंतर प्रयास कर इंजताम जुटाने में लगी हुई है.

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नवल किशोर यादव, भाजपा नेता

अभी भी बहुत सुधार की जरूरत- समाजसेवी
वहीं, समाजसेवी डॉ. संजय कुमार का कहना है कि सरकार को लॉकडाउन अवधि में स्वास्थ्य सुविधा को बेहतर बनाने के लिए प्रयास करना चाहिए. इसके साथ-साथ टेस्टिंग बढ़ाए जाने की जरूरत है. जो भी कोविड पेशेंट के लिए बेड बनाए गए हैं, वहां तक ऑक्सीजन पहुंचाए जाने की जरूरत है. तभी सुधार संभव है.

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डॉ. संजय कुमार, समाजसेवी
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