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पटना : नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम की ओर से कार्यशाला का आयोजन, पुरानी पेंशन बहाली की उठी आवाज

पुरानी पेंशन की बहाली की मांग को लेकर पटना में नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (National Movement for Old Pension Scheme) के बैनर तले एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमें पुरानी पेंशन को लागू करवाने को लेकर बातें कही गई. पढ़ें पूरी खबर..

पटना में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन
एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन
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Published : May 16, 2022, 10:08 AM IST

पटना: राजस्थान और छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से अपने राज्य में ओल्ड पेंशन स्कीम (Old Pension Scheme) को लागू करने की घोषणा की है. इसके बाद से देशभर के सरकारी कर्मचारी अब ओल्ड पेंशन नीति को पूरे देश भर में लागू करने की मांग को लेकर एकजुट होने लगे हैं. इसी कड़ी में पटना के जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान में पुरानी पेंशन बहाली को लेकर नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम के बैनर तले एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया.

ये भी पढ़ें-पटना विश्वविद्यालय के कर्मचारियों का प्रदर्शन, पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग

एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन: इस कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु शामिल हुए. जहां उन्होंने प्रदेश में पुरानी पेंशन बहाली को लेकर राष्ट्रीय आंदोलन के लिए व्यापक सदस्यता अभियान की शुरुआत की. इस दौरान सदस्यों ने कार्यक्रम में प्रदेश भर के सरकारी कर्मियों से अनुरोध किया कि पूरे बिहार के गांव-गांव में पुरानी पेंशन स्कीम की अलख जगाने के लिए प्रत्येक जिला और प्रखंड स्तर पर कार्यक्रम किया जाए और पुरानी पेंशन की लड़ाई को अब जनसामान्य की लड़ाई बनाई जाए.

राजस्थान और छत्तीसगढ़ में नई नीति बंद: संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने कहा कि राजस्थान और छत्तीसगढ़ में नई पेंशन स्कीम को बंद करके पुरानी पेंशन नीति फिर से लागू की गई है. ऐसे में वह देश भर में सरकारी कर्मचारियों को एकजुट करने निकले हुए हैं, ताकि देश भर में सभी को पुरानी पेंशन प्राप्त हो सके. उन्होंने कहा कि बिहार शुरू से आंदोलन की भूमि रही है और देश के कई आंदोलन में बिहार ने नेतृत्व किया है. ऐसे में इस आंदोलन को लेकर पूरे देश की नजरें बिहार पर टिकी हुई है. इसी को लेकर वह लोगों को संगठित करने के लिए आए हुए हैं कि पुरानी पेंशन स्कीम सभी के हित में है और इसे लागू कराने के लिए आंदोलन शुरू किया जाए.

"मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अनुरोध करेंगे कि वह लोहिया और जयप्रकाश के अनुयाई रहे हैं, जो सामाजिक सुरक्षा की सोच रखते थे और सामाजिक सुरक्षा की सोच के तहत ही पुरानी पेंशन स्कीम है. जिसमें कर्मचारियों को एक निश्चित अवधि तक सरकारी सेवा देने के बाद सम्मानजनक राशि पेंशन के तौर पर प्राप्त होता है. पुरानी पेंशन नीति देशभर में लागू हो और इसके लिए आने वाले दिनों में देशभर में आंदोलन की शुरुआत करेंगे और इस आंदोलन से सरकारी कर्मचारी और सामान्य लोग अधिक से अधिक जोड़ें इसके लिए सदस्यता अभियान चलाएंगे."- विजय कुमार बंधु, राष्ट्रीय अध्यक्ष, नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम

नई पेंशन नीति से नहीं मिलती सामाजिक सुरक्षा: पुरानी पेंशन बहाली के लिए राष्ट्रीय आंदोलन के मीडिया प्रभारी राकेश कुमार ने कहा कि "नई पेंशन नीति सरकारी कर्मियों को कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं देती है. उम्र का आधे से अधिक हिस्सा सरकार को देने के बावजूद सरकार से नई पेंशन स्कीम के तहत जो मिलता है, वह बिल्कुल व्यवहार जनक नहीं है. जवानी में कर्मचारी सरकारी विभाग को ज्वाइन करते हैं और रिटायरमेंट तक उनका 35 से 40 वर्ष वह सरकारी सेवा को देते हैं और इसके बाद उन्हें 2000 और 2500 रुपया प्रति माह पेंशन के तौर पर मिलता है. जिससे उनका ना दवा का खर्च निकल पाता है ना सब्जी का खर्च निकल पाता है."

"नई पेंशन नीति पूरी तरह बाजार पर निर्भर है और बाजार में हुए नुकसान का असर पेंशन पर पड़ता है. ऐसे में उनकी गुहार है कि नई पेंशन नीति को खत्म कर पुरानी पेंशन नीति फिर से बहाल की जाए. क्योंकि पुरानी पेंशन नीति में एक सम्मानजनक राशि कर्मियों को रिटायरमेंट के बाद प्राप्त होती है. नई पेंशन नीति वाले कई लोग अब रिटायरमेंट के बाद उनका गुजारा नहीं हो रहा है और वह बुढ़ापे में वृद्धा आश्रम के भरोसे रह गए हैं."-राकेश कुमार, मीडिया प्रभारी, नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम

ये भी पढ़ें-बिहटा PHC पर स्वास्थ्यकर्मियों ने किया हड़ताल, सरकार से पुरानी पेंशन बहाली की मांग

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पटना: राजस्थान और छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से अपने राज्य में ओल्ड पेंशन स्कीम (Old Pension Scheme) को लागू करने की घोषणा की है. इसके बाद से देशभर के सरकारी कर्मचारी अब ओल्ड पेंशन नीति को पूरे देश भर में लागू करने की मांग को लेकर एकजुट होने लगे हैं. इसी कड़ी में पटना के जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान में पुरानी पेंशन बहाली को लेकर नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम के बैनर तले एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया.

ये भी पढ़ें-पटना विश्वविद्यालय के कर्मचारियों का प्रदर्शन, पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग

एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन: इस कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु शामिल हुए. जहां उन्होंने प्रदेश में पुरानी पेंशन बहाली को लेकर राष्ट्रीय आंदोलन के लिए व्यापक सदस्यता अभियान की शुरुआत की. इस दौरान सदस्यों ने कार्यक्रम में प्रदेश भर के सरकारी कर्मियों से अनुरोध किया कि पूरे बिहार के गांव-गांव में पुरानी पेंशन स्कीम की अलख जगाने के लिए प्रत्येक जिला और प्रखंड स्तर पर कार्यक्रम किया जाए और पुरानी पेंशन की लड़ाई को अब जनसामान्य की लड़ाई बनाई जाए.

राजस्थान और छत्तीसगढ़ में नई नीति बंद: संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने कहा कि राजस्थान और छत्तीसगढ़ में नई पेंशन स्कीम को बंद करके पुरानी पेंशन नीति फिर से लागू की गई है. ऐसे में वह देश भर में सरकारी कर्मचारियों को एकजुट करने निकले हुए हैं, ताकि देश भर में सभी को पुरानी पेंशन प्राप्त हो सके. उन्होंने कहा कि बिहार शुरू से आंदोलन की भूमि रही है और देश के कई आंदोलन में बिहार ने नेतृत्व किया है. ऐसे में इस आंदोलन को लेकर पूरे देश की नजरें बिहार पर टिकी हुई है. इसी को लेकर वह लोगों को संगठित करने के लिए आए हुए हैं कि पुरानी पेंशन स्कीम सभी के हित में है और इसे लागू कराने के लिए आंदोलन शुरू किया जाए.

"मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अनुरोध करेंगे कि वह लोहिया और जयप्रकाश के अनुयाई रहे हैं, जो सामाजिक सुरक्षा की सोच रखते थे और सामाजिक सुरक्षा की सोच के तहत ही पुरानी पेंशन स्कीम है. जिसमें कर्मचारियों को एक निश्चित अवधि तक सरकारी सेवा देने के बाद सम्मानजनक राशि पेंशन के तौर पर प्राप्त होता है. पुरानी पेंशन नीति देशभर में लागू हो और इसके लिए आने वाले दिनों में देशभर में आंदोलन की शुरुआत करेंगे और इस आंदोलन से सरकारी कर्मचारी और सामान्य लोग अधिक से अधिक जोड़ें इसके लिए सदस्यता अभियान चलाएंगे."- विजय कुमार बंधु, राष्ट्रीय अध्यक्ष, नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम

नई पेंशन नीति से नहीं मिलती सामाजिक सुरक्षा: पुरानी पेंशन बहाली के लिए राष्ट्रीय आंदोलन के मीडिया प्रभारी राकेश कुमार ने कहा कि "नई पेंशन नीति सरकारी कर्मियों को कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं देती है. उम्र का आधे से अधिक हिस्सा सरकार को देने के बावजूद सरकार से नई पेंशन स्कीम के तहत जो मिलता है, वह बिल्कुल व्यवहार जनक नहीं है. जवानी में कर्मचारी सरकारी विभाग को ज्वाइन करते हैं और रिटायरमेंट तक उनका 35 से 40 वर्ष वह सरकारी सेवा को देते हैं और इसके बाद उन्हें 2000 और 2500 रुपया प्रति माह पेंशन के तौर पर मिलता है. जिससे उनका ना दवा का खर्च निकल पाता है ना सब्जी का खर्च निकल पाता है."

"नई पेंशन नीति पूरी तरह बाजार पर निर्भर है और बाजार में हुए नुकसान का असर पेंशन पर पड़ता है. ऐसे में उनकी गुहार है कि नई पेंशन नीति को खत्म कर पुरानी पेंशन नीति फिर से बहाल की जाए. क्योंकि पुरानी पेंशन नीति में एक सम्मानजनक राशि कर्मियों को रिटायरमेंट के बाद प्राप्त होती है. नई पेंशन नीति वाले कई लोग अब रिटायरमेंट के बाद उनका गुजारा नहीं हो रहा है और वह बुढ़ापे में वृद्धा आश्रम के भरोसे रह गए हैं."-राकेश कुमार, मीडिया प्रभारी, नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम

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