पटनाः राजधानी में मंगलवार को बाटा मजदूर यूनियन के तहत केंद्र सरकार की ओर से मजदूर विरोधी कानून एवं सरकारी संस्थाओं का निजीकरण करने के प्रयास के विरोध में एकदिवसीय धरना का आयोजन किया गया. धरने में सरकार की इन नीतियों को वापस लेने की मांग की गई. इस दौरान सैकड़ों कर्मचारियों ने मजदूर विरोधी नीति वापस लो, मजदूर एकता जिंदाबाद जैसे नारे लगाए.
निजीकरण के खिलाफ एकदिवसीय धरना
इस बाबत यूनियन के नेता आर के प्रसाद ने बताया कि केंद्र सरकार हमारे देश के बहुमूल्य कंपनियों और सरकारी संस्थाओं को निजीकरण करने के प्रयास में तुली हुई हैं. इसके तहत रेलवे, एयरपोर्ट और बैकिंग प्रणाली जो अच्छी स्थिति में होने के साथ ही उतनी ही अच्छी बैनिफीट भी दे रही है. उसे निजीकरण किया जाने कि तैयारी जोरों पर चल रही हैं. उन्होंने जोर देकर आगे कहा कि सरकार इसके लिये मजदूर विरोधी कानून भी बना रही हैं.
मजदूर विरोधी कानून स्टाफ के हित में नहीं
नेता आर के प्रसाद ने बताया कि इस नए कानून के तहत नियमित रूप से कार्यरत स्टाफ की जगह कॉन्ट्रेक्ट पर नए स्टाफ रखने की बात होंगी. इसमे कंपनी के मालिक जब चाहेगा नियमित स्टाफ को जॉब से बाहर निकाल देगा और नए कॉन्ट्रेक्ट पर स्टाफ को रखने में स्वतंत्र होगा. जो हमलोगों के लिये काला कानून के जैसा साबित हो रहा है. यह मजदूर विरोधी कानून विभिन्न कम्पनियों से लेकर सरकारी संस्थाओं में कार्यरत स्टाफ के हित में नहीं हैं. इसलिये इस कानून को सरकार वापस लेने का कार्य करें.
यूनियन के नेता ने आगे बताया कि अगर सरकार हमारे प्रस्ताव पर मोहर नहीं लगाती हैं, तो हमलोग अपने मांग को लेकर आगे भी सरकार विरोधी नीतियों पर चरणबद्ध आंदोलन चलाने से बाज नही आएंगे.