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तीन गुना हुआ दाना-चोकर का दाम, भूख से तड़प रहे मवेशी, विरोध पर उतरे किसान - पशुपालकों ने रखा एकदिवसीय उपवास

डेयरी विकास महासंघ के अध्यक्ष ने कहा कि लॉकडाउन में पशु भूख से मर रहे हैं. इस दौरान सभी होटल और चाय की दुकानें बंद हैं. इसलिए कहीं भी दूध की मांग ही नहीं है. साथ ही जानवरों के खाद्य सामग्री के दामों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी हो गई है. पशुपालक आर्थिक संकट में हैं और सरकार नजरंदाज कर रही है.

पटना
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Published : May 24, 2020, 8:05 PM IST

पटना: कोरोना महामारी के मद्देनजर देश में लॉकडाउन जारी है. लॉकडाउन के चौथे चरण में बेजुबान पशु चारे के अभाव में तड़पने लगे हैं. अब हालात ऐसे हो चले हैं कि किसानों के अंदर कोरोना से ज्यादा भूख से मरने का डर सताने लगा है. इसी क्रम में अखिल भारतीय डेयरी विकास महासंघ और अखिल भारतीय बाढ़-सुखाड़ और कटाव पीड़ित संघर्ष मोर्चा के संयुक्त तत्वाधान में पटना, दानापुर, दीघा, आशियाना के सैकड़ों खटालों में पशुपालकों ने अपनी मांगों को लेकर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए अपने-अपने खटालों में एकदिवसीय धरना सह उपवास रखा.

जानकारी देते हुए अखिल भारतीय बाढ़-सुखाड़ और कटाव पीड़ित संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह डेयरी विकास महासंघ के अध्यक्ष राम भजन सिंह यादव ने बताया कि लॉकडाउन में पशु भूख से मर रहे हैं. इस दौरान सभी होटल और चाय की दुकानें बंद हैं. इसलिए कहीं भी दूध की मांग ही नहीं है. साथ ही जानवरों के खाद्य सामग्री के दामों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी हो गई है. पशुपालक आर्थिक संकट में हैं और सरकार नजरंदाज कर रही है.

पटना
प्रदर्शन के दौरान महिला पशुपालक

पशुपालकों की प्रमुख मांगें
राम भजन सिंह यादव ने मौके पर सरकार से मांग करते हुए कहा कि पशुपालकों को 10 हजार की आर्थिक मदद, पशुओं को चार महीनों तक भूख से बचाने के लिए कुट्टी, भूसा, चोकर, दाना, पशुओं का बीमा, पशु पालकों को 5 लाख तक शर्त मुक्त कर्ज, पशुपालकों का 5 लाख का मुफ्त बीमा और साथ ही मृत पशुओं के दाह संस्कार के लिए विद्युत शवदाह गृह का निर्माण करने का निर्णय लेना चाहिए.

पटना
उपवास के दौरान प्रदर्शन करते पशुपालक

बेजुबानों को नहीं मिल रहा चारा
भारत एक कृषि प्रधान देश है. वर्षों से इस देश की बड़ी आबादी खेती और पशुपालन के सहारे अपनी रोजी-रोटी का इंतजाम करती रही है. शहरों में लोग बड़े ही चाव से मिष्ठान, दूध, दही का आनंद लेते हैं. लेकिन कोई ये नहीं सोचता कि उनके मुंह का स्वाद और सेहत में तंदरुस्ती उन पशुपालकों और किसानों की मेहनत के बदौलत ही आती है, जो आज भी किसी गांव में दो जून की रोटी के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. कोरोना जैसी वैश्विक महामारी ने शायद अब हर परिभाषा को वायरस युक्त कर दिया है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

चारे का वैकल्पिक उपाय
आज पूरा भारत लॉकडाउन है. सरकार ने हेल्पलाइन नंबर भी निर्देशों के साथ जारी कर दिया. लोगों तक कुछ हद तक सुविधाएं भी पहुचाई जा रही हैं. लेकिन भूख से तड़पते बेजुबान पशुओं के बारे में शायद ही सरकार विचार कर पा रही है. मधेपुरा जिले के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले किसानों के लिए अब पशुओं का चारा बड़ी समस्या बनती जा रही है. पशु दूध भी पर्याप्त मात्रा में तभी दे पाएंगे, जब उनका खान पान सही हो. किसान के पास अब न तो पैसे बचे हैं और न ही चारे का कोई वैकल्पिक उपाय, ऐसे में वह लोग किसी तरीके से पशुओं का पेट चला रहे हैं.

'हमारे लिए एक बड़ी समस्या'
किसान दीप नारायण गुप्ता ने बताया कि सरकार के द्वारा जारी किए लॉकडाउन के निर्देश का हम सब पालन तो कर रहे हैं. लेकिन अब पशुओं के लिए चारा कहां से आएगा. हमारे लिए एक बड़ी समस्या है. सरकार को इसकी कुछ व्यवस्था जरूर करनी चाहिए.

पटना: कोरोना महामारी के मद्देनजर देश में लॉकडाउन जारी है. लॉकडाउन के चौथे चरण में बेजुबान पशु चारे के अभाव में तड़पने लगे हैं. अब हालात ऐसे हो चले हैं कि किसानों के अंदर कोरोना से ज्यादा भूख से मरने का डर सताने लगा है. इसी क्रम में अखिल भारतीय डेयरी विकास महासंघ और अखिल भारतीय बाढ़-सुखाड़ और कटाव पीड़ित संघर्ष मोर्चा के संयुक्त तत्वाधान में पटना, दानापुर, दीघा, आशियाना के सैकड़ों खटालों में पशुपालकों ने अपनी मांगों को लेकर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए अपने-अपने खटालों में एकदिवसीय धरना सह उपवास रखा.

जानकारी देते हुए अखिल भारतीय बाढ़-सुखाड़ और कटाव पीड़ित संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह डेयरी विकास महासंघ के अध्यक्ष राम भजन सिंह यादव ने बताया कि लॉकडाउन में पशु भूख से मर रहे हैं. इस दौरान सभी होटल और चाय की दुकानें बंद हैं. इसलिए कहीं भी दूध की मांग ही नहीं है. साथ ही जानवरों के खाद्य सामग्री के दामों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी हो गई है. पशुपालक आर्थिक संकट में हैं और सरकार नजरंदाज कर रही है.

पटना
प्रदर्शन के दौरान महिला पशुपालक

पशुपालकों की प्रमुख मांगें
राम भजन सिंह यादव ने मौके पर सरकार से मांग करते हुए कहा कि पशुपालकों को 10 हजार की आर्थिक मदद, पशुओं को चार महीनों तक भूख से बचाने के लिए कुट्टी, भूसा, चोकर, दाना, पशुओं का बीमा, पशु पालकों को 5 लाख तक शर्त मुक्त कर्ज, पशुपालकों का 5 लाख का मुफ्त बीमा और साथ ही मृत पशुओं के दाह संस्कार के लिए विद्युत शवदाह गृह का निर्माण करने का निर्णय लेना चाहिए.

पटना
उपवास के दौरान प्रदर्शन करते पशुपालक

बेजुबानों को नहीं मिल रहा चारा
भारत एक कृषि प्रधान देश है. वर्षों से इस देश की बड़ी आबादी खेती और पशुपालन के सहारे अपनी रोजी-रोटी का इंतजाम करती रही है. शहरों में लोग बड़े ही चाव से मिष्ठान, दूध, दही का आनंद लेते हैं. लेकिन कोई ये नहीं सोचता कि उनके मुंह का स्वाद और सेहत में तंदरुस्ती उन पशुपालकों और किसानों की मेहनत के बदौलत ही आती है, जो आज भी किसी गांव में दो जून की रोटी के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. कोरोना जैसी वैश्विक महामारी ने शायद अब हर परिभाषा को वायरस युक्त कर दिया है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

चारे का वैकल्पिक उपाय
आज पूरा भारत लॉकडाउन है. सरकार ने हेल्पलाइन नंबर भी निर्देशों के साथ जारी कर दिया. लोगों तक कुछ हद तक सुविधाएं भी पहुचाई जा रही हैं. लेकिन भूख से तड़पते बेजुबान पशुओं के बारे में शायद ही सरकार विचार कर पा रही है. मधेपुरा जिले के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले किसानों के लिए अब पशुओं का चारा बड़ी समस्या बनती जा रही है. पशु दूध भी पर्याप्त मात्रा में तभी दे पाएंगे, जब उनका खान पान सही हो. किसान के पास अब न तो पैसे बचे हैं और न ही चारे का कोई वैकल्पिक उपाय, ऐसे में वह लोग किसी तरीके से पशुओं का पेट चला रहे हैं.

'हमारे लिए एक बड़ी समस्या'
किसान दीप नारायण गुप्ता ने बताया कि सरकार के द्वारा जारी किए लॉकडाउन के निर्देश का हम सब पालन तो कर रहे हैं. लेकिन अब पशुओं के लिए चारा कहां से आएगा. हमारे लिए एक बड़ी समस्या है. सरकार को इसकी कुछ व्यवस्था जरूर करनी चाहिए.

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