पटना: बिहार शिक्षा विभाग (Bihar Education Department) की सर्वे रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 1.70 करोड़ बच्चों में से महज 70.50 छात्र-छात्राओंं के पास ही किताबें हैं. हालाकि खबर यह भी है कि अब तक पूरी राशि बच्चों के अभिभावकों के अकाउंट में ट्रांसफर भी नहीं हो पाई है. शिक्षा विभाग ने 402 करोड़ रुपए इसके लिए सैंक्शन किए थे.
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आंकड़ों के मुताबिक बिहार के सरकारी प्राथमिक स्कूलों में 1,07,01,257 बच्चे नामांकित हैं. सरकार ने कोविड-19 के चलते वर्ष 2021-22 शैक्षिक सत्र के लिए बच्चों के अभिभावकों के अकाउंट में 402 करोड़ रुपए स्वीकृत किए थे, ताकि वह किताबें खरीद सकें. बावजूद इसके अभी तक पूरी राशि बच्चों के अकाउंट में नहीं पहुंची है.
शिक्षा विभाग के आंकड़ों की बात करें तो नामांकित बच्चों में से सिर्फ 41.47% यानी करीब 70,50,000 बच्चों के पास ही किताबें हैं. सरकार को मिली जानकारी के मुताबिक सिर्फ 15.9 फ़ीसदी यानी करीब 27,14,000 बच्चों ने ही नई किताबें खरीदी. जबकि, 15.7 फ़ीसदी यानी करीब 26,75,000 बच्चों के पास पुरानी किताबें हैं.
शिक्षा विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक सबसे खराब हालत बक्सर जिले की है. बक्सर जिले में महज 11.57% बच्चों के पास ही किताबें हैं. पटना जिले में 22 फीसदी बच्चों के पास किताबें हैं. हालाकि इस मामले में सुपौल, शिवहर और पश्चिम चंपारण की स्थिति थोड़ी बेहतर है.
ऐसे में बड़ा सवाल है कि 2021-22 शैक्षिक सत्र में जब महज कुछ महीने ही बचे हैं, तो बच्चों की पढ़ाई कैसे पूरी हो पाएगी? आपको बता दें कि सरकार किताबों की खरीद के लिए पहली से पांचवीं कक्षा तक के बच्चों के लिए प्रति बच्चा ₹250 जबकि कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों के लिए प्रति बच्चा ₹400 देती है.
इस बारे में प्राथमिक शिक्षक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष मनोज कुमार ने सरकार से अपील करते हुए कहा कि वह बच्चों के अकाउंट में पैसे भेजने के बजाय उन्हें किताबे दें. क्योंकि, वह किताब नहीं खरीदेंगे तो स्कूल से भी उन्हें इस बात के लिए बाध्य नहीं कर सकते हैं. इन सबके बीच शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक अब तक पूरी राशि सरकार की ओर से रिलीज ही नहीं की गई है.