पटना: मकर संक्रांति पर्व (Makar Sankranti Festival ) हिंदू धर्म का प्रमुख त्योहार माना जाता है. भारत के विभिन्न राज्यों में मकर संक्रांति को विभिन्न नामों से जाना जाता है. इस त्योहार को गुजरात में उत्तरायण, पूर्वी उत्तर प्रदेश में खिचड़ी और दक्षिण भारत में इस दिन को पोंगल के रूप में मनाया जाता है. मकर संक्रांति का पर्व सूर्य के राशि परिवर्तन के मौके पर मनाया जाता है. इस दिन सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर में प्रवेश कर जाते हैं. सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना मकर संक्रांति कहलाता है.
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क्या करें इस दिन: पुरानी परंपराओं के अनुसार मानना है कि मकर संक्रांति के दिन सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी में जाकर स्नान करें. फिर इसके बाद साफ वस्त्र पहनकर तांबे के पात्र में पानी भर लें और उसमें काला तिल, गुड़ का छोटा सा टुकड़ा और गंगाजल लेकर सूर्यदेव के मंत्रों का जाप करते हुए अर्घ्य दें. इस दिन सूर्यदेव को अर्घ्य देने के साथ ही शनिदेव को भी जल अर्पित करें. इसके बाद गरीबों को तिल और खिचड़ी का दान करें. हालांकि इसे लेकर गंगा घाट पर जिस तरीके की भीड़ होनी चाहिए वैसी श्रद्धालुओं भीड़ इस बार नहीं दिख रही है. इक्का-दुक्का लोग हैं गंगा में स्नान करते नजर आ रहे हैं.
15 जनवरी को होगा मकर संक्रांति: गंगा स्नान करने आए श्रद्धालुओं का कहना है कि काफी वर्षों से 14 जनवरी को ही मकर सक्रांति मनाया जा रहा है इसीलिए आज हम लोग गंगा स्नान करने आए हैं. तो वहीं पंडित छोटे लाल पांडे का कहना है कि इस बार मकर सक्रांति 15 जनवरी को मनाया जाएगा क्योंकि सूर्य आज रात 12:00 बजे के बाद मकर में प्रवेश कर रहे हैं इसलिए मकर संक्रांति 15 जनवरी को ही होगा. अगर सूर्य 12:00 बजे रात से पहले मकर सक्रांति में प्रवेश करते तो आज के दिन ही मनाया जाता लेकिन 3:00 बजे रात्रि में सूर्य मकर में प्रवेश कर रहे हैं जिसके कारण 15 जनवरी को मकर संक्रांति माना जाएगा.
"इस बार मकर सक्रांति 15 जनवरी को मनाया जाएगा क्योंकि सूर्य आज रात 12:00 बजे के बाद मकर में प्रवेश कर रहे हैं इसलिए मकर संक्रांति 15 जनवरी को ही होगा. अगर सूर्य 12:00 बजे रात से पहले मकर सक्रांति में प्रवेश करते तो आज के दिन ही मनाया जाता लेकिन 3:00 बजे रात्रि में सूर्य मकर में प्रवेश कर रहे हैं जिसके कारण 15 जनवरी को मकर संक्रांति माना जाएगा." - छोटे लाल पांडे, पंडित