पटना: ग्रामीण कार्य विभाग के सचिव पंकज कुमार पाल ने बताया कि ग्रामीण सड़कों के निर्माण के साथ-साथ 5 वर्ष तक मरम्मती और देखभाल का भी काम निर्माण एजेंसी को दिया जाता है. यह अनुरक्षण नीति 2018 से राज्य में लागू है. साढ़े 4 साल के बाद ग्रामीण सड़कों का विशेष सर्वेक्षण किया जाएगा. साथ ही सड़कों पर ट्रैफिक लोड का सर्वे भी होगा. इस सर्वे में हर साल ग्रामीण इलाकों की सड़कों पर बढ़ रहे ट्रैफिक दबाव को देखा जाएगा.
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''ट्रैफिक गणना के आधार पर ही सड़कों को बेहतर करने के लिए डीपीआर बनाई जाएगी. डीपीआर एक महीने के भीतर बनाकर मंजूरी ली जाएगी. हर हाल में इस समय सीमा का पालन होगा. ग्रामीण सड़कों में सुरक्षा मानकों का भी अनिवार्य तौर पर पालन किया जाएगा. डीपीआर बनाते समय ग्रामीण सड़कों के किनारे पौधारोपण का भी ध्यान रखना होगा. सभी कार्यपालक अभियंता और मुख्य अभियंताओं को इस आदेश का अनुपालन करने को कहा गया है''- पंकज कुमार पाल, सचिव, ग्रामीण कार्य विभाग
ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कें होगी बेहतर
राज्य के ग्रामीण इलाकों में गाड़ियों की बढ़ती संख्या और ट्रैफिक के बढ़ते दबाव को देखते हुए विभाग ने निर्णय लिया है, कि जिन इलाकों में ट्रैफिक का अधिक दबाव होगा वहां ग्रामीण सड़कों का चौड़ीकरण किया जाएगा. इसके लिए विभाग द्वारा उच्च स्तरीय बैठक में ग्रामीण सड़कों को बेहतर बनाने के लिए इंजीनियरों को आवश्यक निर्देश दिए गए हैं.
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12 फीट तक चौड़ी होगी ग्रामीण सड़कें
गौरतलब है कि वर्तमान में राज्य में कुल 1 लाख 19 हजार किलोमीटर ग्रामीण सड़क है. ग्रामीण सड़कों को एनएच और एसएच से जोड़े जाने के बाद लगातार ट्रैफिक का दबाव बढ़ रहा है. विभाग का ये मानना है कि आने वाले वर्षों में सड़कों पर दबाव और बढ़ेगा. जिसको देखते हुए अभी से तैयारी शुरू कर दी गई हैं. वर्तमान में ग्रामीण सड़कों की चौड़ाई 8 से 10 फीट होती है. लेकिन अब विभाग ने इसे 12 फीट तक चौड़ी करने का निर्णय लिया है.