पटनाः बिहार के पटना में मसौढ़ी अनुमंडल के धनरूआ प्रखंड के छाती पंचायत के नोनिया बीघा गांव में तकरीबन 200 घर की बस्ती है. इस पूरे बस्ती में किसी के पास अपने जमीन जायदाद घर के अपने दस्तावेज नहीं हैं, दरअसल ग्रामीण बताते हैं कि 1979 में एक भयंकर अगलगी की घटना हुई थी जिसे पूरा गांव जलकर खाक हो गया था. खाने-पीने से लेकर सारी संपत्ति जलकर खाक हो गई थी. ऐसे में अपनी संपत्ति और खेतवाड़ी के किसी भी तरह के दस्तावेज नहीं रहने से ये लोग काफी परेशान हैं. गांव से लेकर शहर तक जमीन के दस्तावेज बनाने के लिए ग्रमीण एक जगह से दूसरे जगह दौड़ रहे हैं.
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नहीं मिल पा रहा किसानों को मुआवजाः वहीं, केंद्र सरकार के प्रायोजित भारतमाला सड़क कॉरिडोर में तकरीबन 50 बीघे जमीन इन गांव वालों की उस परियोजना में जा रही है. बिना कागजात के उन सभी किसानों को मुआवजा नहीं मिल पा रहा है जिसको लेकर किसान अब आंदोलन भी कर रहे हैं. इधर सरकारी कर्मचारी भी परेशान हैं कि बिना कागजात के कैसे मुआवजा दिया जाए. नोनिया बिगहा के वार्ड सदस्य संजय कुमार ने बताया कि लगातार प्रखंड मुख्यालय पर विरोध कर रहे हैं कोई सुनने को तैयार नहीं है. जिलाधिकारी ने आश्वासन भी दिया था, लेकिन कुछ नहीं हो सका.
"पूरे गांव में फूस का घर था. 1979 में आग में सारा घर जल गया, उसके बाद से आज तक हमलोग ब्लॉक में दौड़ते रहे लेकिन कागजात नहीं बना. अब भारतमाला सड़क कॉरिडोर योजना में भी हमारी जमीन जा रही है, उसका मुआवजा नहीं मिल पा रहा है"- संजय प्रसाद, स्थानीय
डीसीएलआर ने दिया आश्वासनः अब ग्रामीणों के विरोध केबाद नोनिया विभाग मामले में मसौढ़ी अनुमंडल के डीसीएलआर अमित कुमार ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही उस पूरे गांव में कैंप लगाकर उन सभी ग्रामीणों में अंचल अमीन द्वारा दस्तावेज को सर्वे कराकर दिखाया जाएगा और उनके कागजात बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.
"जल्द ही पूरे गांव में कैंप लगाकर सभी ग्रामीणों में अंचल अमीन द्वारा दस्तावेज को सर्वे कराकर दिखाया जाएगा. उनके कागजात बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. इसके लिए जल्द ही काम शुरू होगा. गांव में एक-एक लोग से मिलेंगे. सभी को जमीन के पेपर दोबारा मुहैया कराए जांएगे"- अमित कुमार, डीसीएलआर