पटना: देश के अन्य राज्यों की तुलना में बिहार पुलिस में महिलाओं की काफी तादाद है. इसके बावजूद भी सड़कों पर तैनात महिला पुलिसकर्मियों के लिए शौचालय तक की व्यवस्था नहीं है. जिस वजह से महिला पुलिस कर्मियों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है. एक तरफ जहां केंद्र सरकार और राज्य सरकार स्वच्छ भारत अभियान के तहत घर-घर शौचालय बना रही है. तो वहीं, सड़कों पर तैनात होकर 8 से 10 घंटे ट्रैफिक के को संभालने वाली महिला पुलिस कर्मियों के लिए चेक पोस्ट पर शौचालय जैसी बुनियादी सुविधा भी मुहैया नहीं है.
आरक्षण महिलाओं को 35 प्रतिशत
पुलिस मुख्यालय की मानें तो राज्य सरकार की ओर से पुलिस विभाग में 35 प्रतिशत आरक्षण महिलाओं को दिया गया है. जिसके फलस्वरूप अन्य राज्यों में जहां 10.3 प्रतिशत पुलिस में महिलाएं हैं तो वहीं बिहार पुलिस में 25 प्रतिशत महिलाओं की भागीदारी है.
600 से ज्यादा नए पुलिस भवन बनाये गए
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार पुलिस को समृद्ध बनाने को लेकर लगातार प्रयासरत हैं. पिछले 10 सालों में लगभग 600 से ज्यादा नए पुलिस भवन बनाये गए हैं. पुलिस की सुविधा के लिए जर्जर स्थिति में थाने को बदलकर थाने में नए वाहन और नए हथियार मुहैया करवाये गए हैं. लेकिन सड़कों पर तैनात महिला पुलिसकर्मियों के लिए शौचालय की व्यवस्था नहीं की गई है. महिला पुलिस कर्मियों की समस्या को देखते हुए पुलिस मेंस एसोसिएशन के तरफ से भी कई बार शौचालय जैसी समस्याओं को लेकर पुलिस मुख्यालय और सरकार को पत्र लिखा गया है, लेकिन यह समस्या अभी भी जस की तस बनी हुई है.
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'बिहार पुलिस को समृद्ध बनाने को लेकर ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में नए पुलिस भवन का निर्माण लगातार किया जा रहा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत थानों का सौन्दर्यीकरण का कार्य चल रहा है. जिसके तहत अब तक के 600 से ज्यादा नए थाने बनाए गए हैं. इन थानों में महिलाओं के रहने की उचित व्यवस्था भी की गई है. साथ ही साथ कुछ जगहों पर महिलाओं को लेकर बैठक भी बनाए गए हैं. वहीं, सड़कों को पर तैनात पुलिसकर्मियों के सुविधा के लिए कुछ जगहों पर चलंत शौचालय की व्यवस्था की गई है. बाकी अन्य जगहों पर भी जल्द ही यह सुविधा मुहैया करवाई जाएगी'.-जितेंद्र कुमार, एडीजी, पुलिस मुख्यालय
बिहार पुलिस में 15,000 से ज्यादा महिलाएं
बता दें कि बिहार पुलिस में 15,000 से ज्यादा महिला पुलिसकर्मी तैनात हैं. महिला आईपीएस अधिकारी आर मल्हार जब पटना की एसएसपी थी तब उन्होंने निर्णय लिया था कि महिला पुलिसकर्मियों को भी ट्रैफिक ड्यूटी में लगाया जाएगा. जिससे कि महिलाओं की भी हिस्सेदारी समाज में बराबर की हो सके. सड़कों पर तैनात महिला पुलिसकर्मियों को अपने पोस्ट पर शौचालय जैसी बुनियादी सुविधा नहीं होने की वजह से काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. उन्हें या तो नजदीक के थानों के शौचालय या निजी कार्यालय के शौचालय का इस्तेमाल करना पड़ता है.
शौचायल की समस्या
सड़कों पर तैनात महिला पुलिसकर्मियों ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान अपना नाम छुपाने के शर्त पर बताया कि सड़कों पर ड्यूटी के दौरान उन्हें शौचालय जाने की काफी समस्या होती है. महिला पुलिस कर्मियों को कहना है कि हम पुरुष नहीं हैं कि कहीं पर भी शौचालय जा सकते हैं. ड्यूटी के दौरान कभी अगर हमें शौचालय जाना होता है, तो नजदीकी थाना या प्राइवेट कार्यालय या आस-पास से घरों के शौचालय यूज करना पड़ता है.
महिला पुलिस कर्मियों के बैठने तक की सुविधा नहीं
महिला पुलिस कर्मियों ने बताया कि राजधानी पटना के कई चौराहों पर महिला पुलिस कर्मियों के बैठने तक की सुविधा नहीं है. हम पुलिसकर्मियों ने खुद से अस्थाई सड़क के किनारे बैठने की व्यवस्था की है. बरसात होने पर वहां भी पानी टपकने लगता है, जिस वजह से हम भीग जाते हैं.
यूरिन रोकने से हो सकती है बीमारी
डॉ. मनोज कुमार सिन्हा की माने तो कार्य कर रही महिलाकर्मी को बाथरूम लगने पर ज्यादा देर तक रोककर नहीं रखना चाहिए. इससे विभिन्न तरह की समस्या उत्पन्न हो सकती है. उन्होंने बताया कि ज्यादा देर तक अगर कोई भी व्यक्ति यूरिन को रोक के रखता है, तो उन्हें यूरिन से जुड़े इन्फेक्शन का भी शिकार होना पड़ेगा. साथ ही बताया कि दिन भर में कम से कम आम इंसान को तीन से चार बार बाथरूम का इस्तेमाल करना चाहिए.