पटना: राजधानी में कोरोना का कहर जारी है. मंगलवार को लगातार पांचवें दिन 400 से अधिक मामले सामने आए हैं. वर्तमान समय में पटना में 3037 कोरोना के एक्टिव मामले हैं. जबकि संक्रमित मरीजों की संख्या 7481 पहुंच चुकी है. जिले में कोरोना से मौत की संख्या भी बढ़ रही है. कोरोना पेशेंट को अस्पताल में बेड न मिल पाने की भी शिकायत इन दिनों खूब आ रही है. कोरोना पेशेंट को इलाज के लिए बेड की कमी न हो इस उद्देश्य से रेलवे ने आइसोलेशन कोचेस तैयार किए हैं. पटना जंक्शन पर 20-20 बोगी के आइसोलेशन कोच वाले दो ट्रेनें प्लेटफॉर्म 6 और 7 पर खड़ी है, लेकिन अभीतक जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना पेशेंट के लिए इन आइसोलेशन कोच का उपयोग नहीं किया है.
2 सप्ताह पूर्व आइसोलेशन कोचेज का निरीक्षण
कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले को देखते हुए जिला प्रशासन ने 2 सप्ताह पूर्व ही पटना जंक्शन पर खड़े आइसोलेशन कोचेज का निरीक्षण किया था और यहां पेशेंट को एडमिट करने को लेकर तैयारी चल रही थी, लेकिन अभीतक यहां एक भी पेशेंट एडमिट नहीं किया गया है. जबकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार कोरोना के मरीजों के लिए डेडिकेटेड हॉस्पिटल को बढ़ाने और अस्पतालों में बेड बढ़ाने का निर्देश दे रहे हैं. मगर जो साधन उपलब्ध हैं, उनका उपयोग नहीं किया जा रहा है.
स्टेशन पर खड़ी है 2 ट्रेनें
पटना जंक्शन पर खड़ी ट्रेन में कोविड-19 डेडीकेटेड रेलवे कोच में कुल 640 आइसोलेशन बेड उपलब्ध हैं. सिलेंडर के माध्यम से सभी बेड पर ऑक्सीजन उपलब्ध कराने का रेलवे की तरफ से दावा भी किया गया है. मगर अब यह सफेद हाथी दांत बनकर रह गया है. 2 सप्ताह पूर्व जिला प्रशासन ने इसका निरीक्षण किया था और इसे कोविड-19 मरीजों के लिए हरी झंडी भी दी थी, मगर अभी तक इन आइसोलेशन कोचेज की शुरुआत नहीं हुई है.
कोरोना संक्रमण के अधिकांश मामले कम लक्षण वाले
राज्य में जिस प्रकार से कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं. उसमें अधिकांश मामले कम लक्षण वाले रहे हैं. इसमें कई ऐसे लोग भी रह रहे हैं जो गरीब और निम्न मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं. ऐसे लोगों के पास होम आइसोलेशन की पर्याप्त सुविधा नहीं है और चिकित्सकों द्वारा होम आइसोलेशन में रहने की सलाह दी जाती है. गरीब और निम्न मध्यमवर्गीय परिवार की समस्या यह है कि अलग से एक सेपरेट कमरा उनके पास नहीं होता है. ऐसे में लोग कोरोना से हल्के लक्षण से संक्रमित हो रहे हैं तो चाह रहे हैं कि परिवार के सदस्यों को खुद से दूर रखते हुए कहीं कोरोना से जंग लड़े. मगर इन लोगों को अस्पताल में भी एडमिट नहीं किया जा रहा है और घर पर आइसोलेशन की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है.
रेलवे के आइसोलेशन कोचेज में ड्यूटी के लिए नहीं स्वास्थ्यकर्मी
रेलवे द्वारा तैयार किया गया आइसोलेशन कोच गरीब और निम्न मध्यमवर्गीय परिवार के लोगों के लिए बेहतर विकल्प हो सकता है. लेकिन इसके प्रति स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन का रवैया सुस्त नजर आ रहा है. सूत्रों से जो जानकारी मिल रही है, वह यह है कि जिला प्रशासन के पास पर्याप्त मात्रा में इतने स्वास्थ्य कर्मी नहीं है कि वह उन्हें कोविड-19 डेडिकेटेड आइसोलेशन कोचेज में ड्यूटी लगा सके.