पटनाः मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच के पीछे नरकंकाल के बरामदगी मामले के बाद भी प्रशासन की नींद नहीं खुली है. राज्य के अस्पतालों में अब भी कोई व्यापक इंतजाम नहीं किया जा रहा है. इसका जीगता-जागता उदाहरण है राजधानी पटना का सबसे बड़ा अस्पताल पीएमसीएच. यहां पर शव रखने तक के लिए जगह नहीं है. .
बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था भगवान के भरोसे है. विभिन्न जिला मुख्यालयों और प्रखंड स्तर तक के अस्पतालों का हाल बेहाल है. जहां लगभग हर अस्पताल डॉक्टरों की कमी और संसाधनों की कमी का दंश झेल रहा है. ऐसे में सूबे के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच में कहने को तो इलाज के लिए सभी तरह की व्यवस्थाएं हैं. लेकिन पीएमसीएच में शव को रखने के लिए कोई इंतजाम नहीं है.
मॉर्चुरी कूलर की व्यवस्था नहीं
बताया जा रहा है कि यहां फॉरेंसिक डिपार्टमेंट में पोस्टमार्टम किया जाता है. मुर्दाघर बनाए तो गए हैं लेकिन मॉर्चुरी कूलर मशीन नहीं रहने के कारण मुर्दाघर में शव को नहीं रखा जाता है. मजबूरन शवों को इमरजेंसी के टैंक में रखा जा रहा है. पीएमसीएच के प्रिंसिपल रामजी प्रसाद ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि सरकार ने अभी तक मॉर्चुरी की व्यवस्था नहीं की है. हालांकि आश्वासन है कि जल्द ही इसकी व्यवस्था हो जाएगी.
स्वास्थ्य विभाग पर सवाल
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि हाल में ही ईटीवी भारत ने लावारिस लाशों के प्रति अनदेखी करने का मामला उजागर किया था. उसके ठीक 4 दिन बाद मुजफ्फरपुर में लावारिस लाशों के कंकाल और जलाने का मामला सामने आया था. अब पीएमसीएच में भी यह हाल है कि शव रखने की जगह तक नहीं है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग पर सवाल उठना लाजमी है.