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नीतीश कुमार ने आरसीपी सिंह को अध्यक्ष बनाकर खेला नया सियासी दांव!

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में जो फैसला लिया, उसे राजनीतिक पंडित एक बड़ा और नया सियासी दांव मान रहे हैं. इस बाबत कई नेताओं की प्रतिक्रिया भी आ रही है. पढ़ें पूरी खबर...

नीतीश कुमार
नीतीश कुमार
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Published : Dec 29, 2020, 4:33 PM IST

पटना : बिहार में अब तक जेडीयू के सर्वेसर्वा रहे नीतीश कुमार ने अपने सबसे विश्वासपात्र आरसीपी सिंह को पार्टी की कमान सौंपकर इतना तो तय कर ही दिया है कि वे अब संगठन नहीं, प्रदेश पर ध्यान देंगे. कहा जाता रहा है कि नीतीश कोई भी काम बिना मकसद के नहीं करते, इस निर्णय के भी अब मायने निकाले जाने लगे हैं.

जानकारों की माने तो नीतीश कुमार ने आरसीपी सिंह को पार्टी के सर्वोच्च पद पर बैठाकर एक नया सियासी दांव चला है. जेडीयू नेता कहते हैं कि सिंह के अध्यक्ष बनने पर पार्टी आशान्वित है कि ये पार्टी को बहुत आगे लेकर जाएंगे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस दौर में पार्टी के लाभ को समझते हैं, यही कारण है कि उन्होंने अनुभवी व्यक्ति के हाथ में पार्टी को सौंपा है.

राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष एक फ्रेम में
राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष एक फ्रेम में

क्षेत्रीय दलों को एक संदेश
इधर, माना जा रहा है कि नीतीश ने सिंह को पार्टी का 'बॉस' बनाकर उन्होंने क्षेत्रीय दलों को एक संदेश दिया है कि पार्टी वंशवाद और परिवारवाद से अलग है. हालांकि, बीजेपी नेता कहते हैं कि भाजपा पहले से ही पार्टी में परिवारवाद और वंशवाद के खिलाफ रही है.

'यह मामला जदयू का आंतरिक मामला है. कई पार्टियां हैं जो वंशवाद और परिवारवाद के नाम पर राजनीति चला रही है, उनके लिए नीतीश कुमार ने पार्टी के कर्मठ नेता को पार्टी का नेतृत्व सौंपने का फैसला लेकर एक संदेश दिया है.' - मनोज शर्मा, प्रवक्ता, बीजेपी

नीतीश के सबसे भरोसमंद लोगों में आरसीपी सबसे आगे
आरसीपी सिंह को शुरुआत से ही नीतीश का विश्वासी माना जाता रहा है. जेडीयू में काफी दिनों से नीतीश के बाद दूसरे नंबर को लेकर प्रश्न उठाए जाते रहे हैं. नीतीश ने यह जिम्मेदारी तय कर इस प्रश्न का उत्तर भी दे दिया है कि उनके सबसे भरोसमंद लोगों में सिंह सबसे आगे हैं.

आरसीपी सिंह को बधाई देते सीएम नीतीश कुमार (फाइल फोटो)
आरसीपी सिंह को बधाई देते सीएम नीतीश कुमार (फाइल फोटो)

इधर, राजनीतिक विश्लेषक मानते है कि आमतौर पर देखा जाता है कि पार्टी उसी नेता को अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपती है जो संगठनकर्ता के रूप में दक्ष हो. नीतीश कुमार के लिए सिंह ना केवल भरोसेमंद रहे हैं बल्कि संगठन को मजबूत करने में भी उनकी भूमिका शुरू से रही है.

स्वजातीय को पार्टी की कमान क्यों?
हालांकि, कहा यह भी जा रहा है कि 'सोशल इंजीनियरिंग' के माहिर समझे जाने वाले नीतीश ने स्वजातीय को पार्टी की कमान सौंपकर जातीय कार्ड भी खेला है. जानकार भी इसे स्वीकार करते हुए कहते हैं कि आज के दौर में सभी नेता जातीय और क्षेत्रीय कार्ड खेलकर अपनी राजनीति चमका रहे हैं, नीतीश भी उन्हीं में से एक हैं.

सामंजस्य बैठाने में भी माहिर आरसीपी सिंह
इधर, भारतीय प्रशासनिक अधिकारी रह चुके सिंह को सामंजस्य बैठाने में भी माहिर समझा जाता है. कहा जा रहा है कि भाजपा के नेताओं के साथ सामंजस्य बैठाए रहने के लिए पहले नीतीश कुमार को खुद बात करनी पड़ती थी अब सिंह को यह जिम्मेदारी सौंप कर नीतीश खुद बिहार की जिम्मेदारी संभालेंगे.

फिलहाल, जेडीयू के सर्वेसर्वा रहे नीतीश ने सिंह को पार्टी की जिम्मेदारी सौंपकर पार्टी में सेकंड लाइन के नेताओं को आगे कर पार्टी के नेताओं को भी एक संदेश दिया है, जिसका सभी ने स्वागत किया है.

पटना : बिहार में अब तक जेडीयू के सर्वेसर्वा रहे नीतीश कुमार ने अपने सबसे विश्वासपात्र आरसीपी सिंह को पार्टी की कमान सौंपकर इतना तो तय कर ही दिया है कि वे अब संगठन नहीं, प्रदेश पर ध्यान देंगे. कहा जाता रहा है कि नीतीश कोई भी काम बिना मकसद के नहीं करते, इस निर्णय के भी अब मायने निकाले जाने लगे हैं.

जानकारों की माने तो नीतीश कुमार ने आरसीपी सिंह को पार्टी के सर्वोच्च पद पर बैठाकर एक नया सियासी दांव चला है. जेडीयू नेता कहते हैं कि सिंह के अध्यक्ष बनने पर पार्टी आशान्वित है कि ये पार्टी को बहुत आगे लेकर जाएंगे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस दौर में पार्टी के लाभ को समझते हैं, यही कारण है कि उन्होंने अनुभवी व्यक्ति के हाथ में पार्टी को सौंपा है.

राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष एक फ्रेम में
राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष एक फ्रेम में

क्षेत्रीय दलों को एक संदेश
इधर, माना जा रहा है कि नीतीश ने सिंह को पार्टी का 'बॉस' बनाकर उन्होंने क्षेत्रीय दलों को एक संदेश दिया है कि पार्टी वंशवाद और परिवारवाद से अलग है. हालांकि, बीजेपी नेता कहते हैं कि भाजपा पहले से ही पार्टी में परिवारवाद और वंशवाद के खिलाफ रही है.

'यह मामला जदयू का आंतरिक मामला है. कई पार्टियां हैं जो वंशवाद और परिवारवाद के नाम पर राजनीति चला रही है, उनके लिए नीतीश कुमार ने पार्टी के कर्मठ नेता को पार्टी का नेतृत्व सौंपने का फैसला लेकर एक संदेश दिया है.' - मनोज शर्मा, प्रवक्ता, बीजेपी

नीतीश के सबसे भरोसमंद लोगों में आरसीपी सबसे आगे
आरसीपी सिंह को शुरुआत से ही नीतीश का विश्वासी माना जाता रहा है. जेडीयू में काफी दिनों से नीतीश के बाद दूसरे नंबर को लेकर प्रश्न उठाए जाते रहे हैं. नीतीश ने यह जिम्मेदारी तय कर इस प्रश्न का उत्तर भी दे दिया है कि उनके सबसे भरोसमंद लोगों में सिंह सबसे आगे हैं.

आरसीपी सिंह को बधाई देते सीएम नीतीश कुमार (फाइल फोटो)
आरसीपी सिंह को बधाई देते सीएम नीतीश कुमार (फाइल फोटो)

इधर, राजनीतिक विश्लेषक मानते है कि आमतौर पर देखा जाता है कि पार्टी उसी नेता को अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपती है जो संगठनकर्ता के रूप में दक्ष हो. नीतीश कुमार के लिए सिंह ना केवल भरोसेमंद रहे हैं बल्कि संगठन को मजबूत करने में भी उनकी भूमिका शुरू से रही है.

स्वजातीय को पार्टी की कमान क्यों?
हालांकि, कहा यह भी जा रहा है कि 'सोशल इंजीनियरिंग' के माहिर समझे जाने वाले नीतीश ने स्वजातीय को पार्टी की कमान सौंपकर जातीय कार्ड भी खेला है. जानकार भी इसे स्वीकार करते हुए कहते हैं कि आज के दौर में सभी नेता जातीय और क्षेत्रीय कार्ड खेलकर अपनी राजनीति चमका रहे हैं, नीतीश भी उन्हीं में से एक हैं.

सामंजस्य बैठाने में भी माहिर आरसीपी सिंह
इधर, भारतीय प्रशासनिक अधिकारी रह चुके सिंह को सामंजस्य बैठाने में भी माहिर समझा जाता है. कहा जा रहा है कि भाजपा के नेताओं के साथ सामंजस्य बैठाए रहने के लिए पहले नीतीश कुमार को खुद बात करनी पड़ती थी अब सिंह को यह जिम्मेदारी सौंप कर नीतीश खुद बिहार की जिम्मेदारी संभालेंगे.

फिलहाल, जेडीयू के सर्वेसर्वा रहे नीतीश ने सिंह को पार्टी की जिम्मेदारी सौंपकर पार्टी में सेकंड लाइन के नेताओं को आगे कर पार्टी के नेताओं को भी एक संदेश दिया है, जिसका सभी ने स्वागत किया है.

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