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NHRC की टीम के छपरा दौरे से नीतीश सरकार परेशान, आंकड़ों से समझिए क्यों शराबबंदी पर उठ रहे सवाल - देखें पिछले 6 साल के आंकड़़ें

छपरा जहरीली शराब कांड मामले में 78 लोगों की मौत (78 people died in Chapra spurious liquor case) हो चुकी है लेकिन सरकार का आंकड़ा 42 से ऊपर नहीं पहुंच रहा है. विपक्ष के हंगामे के बाद अब मानवाधिकार आयोग की टीम बिहार पहुंचकर (visit of Human Rights Commission team in bihar) मामले की जांच कर रही है. NHRC की टीम के आने से नीतीश सरकार परेशान नजर आ रही है. पढ़ें पूरी खबर...

छपरा जहरीली शराब से मौत
छपरा जहरीली शराब से मौत
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Published : Dec 22, 2022, 1:00 PM IST

छपरा जहरीली शराब से मौत

पटना: बिहार के छपरा जहरीली शराब कांड (Chapra Hooch Tragedy) में मचे कोहराम के बाद मानवाधिकार आयोग की 2 सदस्यीय टीम बिहार दौरे पर है. मानवाधिकार आयोग की टीम (human rights commission team in bihar) के आने से नीतीश सरकार परेशान है. आंकड़ों को लेकर ही सरकार की मुश्किलें बढ़ रही है. वहीं इस मुद्दे को लेकर बीजेपी लगातार नीतीश कुमार पर हमलावर है. दरअसल शराबबंदी के बावजूद लोगों की मौत और शराब तस्करी के मामले सरकार को परेशान कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें- मानवाधिकार आयोग की टीम के दौरे पर बोले सुनील कुमार- 'दूसरे राज्यों में भी जाना चाहिए'

जांच में जुटी मानवाधिकार की टीम: छपरा जहरीली शराब में बड़े पैमाने पर हुई मौत को लेकर मानवाधिकार आयोग की 1 सदस्यीय टीम 20 दिसंबर को बिहार आयी थी. वहीं बुधवार को डीजी के 2 और सदस्यों की टीम बिहार पहुंची. मानवाधिकार की टीम जांच की रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपेगी. इसके अलावा टीम पीड़ित परिजनों, स्वास्थ्य सेवा और पुलिस प्रशासन से भी फीडबैक लेगी. गोरतलब है कि छपरा में जहरीली शराब के कारण 78 से अधिक लोगों की मौत हुई है. जिसमें 78 लोगों के नाम भी सामने आ गए हैं. लेकिन अभी तक 42 लोगों का ही पोस्टमार्टम किया गया है. बताया जा रहा है कि कई लोगों को बिना पोस्टमार्टम के ही जला दिया गया.

सही आंकड़ें छिपा रही है सरकार : विपक्ष जहरीली शराब से मौैत के मुद्दे को लेकर सरकार फर हमलावर है. बीजेपी लगातार सरकार पर सहीं आंकड़ें छिपाने का आरोप लगा रही है. बीजेपी के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद सुशील मोदी से लेकर नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा तक सरकार पर आंकड़ों को छिपाने का आरोप लगा रहे हैं. सुशील मोदी का कहना है कि पिछले 6 साल में 1000 से अधिक लोगों की मौत जहरीली शराब से बिहार में हुई है. लेकिन बिहार सरकार जो आंकड़ा दे रही है वह काफी कम है. विशेषज्ञ भी बताते हैं कि सरकार शराबबंदी को सफल बनाने के लिए सही आंकड़ें डालने से बचती रही है और इस बार भी कमोबेश यही स्थिति है. लेकिन इस बार विपक्ष के तेवर एक तरफ तल्ख हैं तो दूसरी तरफ मानवाधिकार आयोग की टीम के दौरे से सरकार की मुश्किलें बढ़ गई है. मानवाधिकार आयोग की जांच में क्या सामने आता है. यह देखना दिलचस्प होगा. फिलहाल मानवाधिकार की टीम परिजनों से पूरी जानकारी ले रही है.

चल रहा है आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला: विपक्ष के आरोपों पर सत्तापक्ष की तरफ से बिहार सरकार के मद्य निषेध एवं उत्पाद मंत्री सुनील कुमार ने जवाब दिया कि 42 लोगों की मौत की पुष्टि एसपी ने की है. वहीं मंत्री लेसी सिंह का कहना है कि हम लोग आंकड़ा क्यों छिपाएंगे? सरकार को इससे क्या लाभ होगा? हालांकि इस मुद्दे को लेकर आरजेडी के विधायक और पूर्व मंत्री सुधाकर सिंह ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट में जो आंकड़े चल रहे हैं. वह सही है. सरकार अपना फेस बचाने के लिए आंकड़ा कम बता रही है.

देशभर में 6 सालों में 6974 मौतें: पिछले 6 सालों में पूरे देश में जहरीली शराब पीने से 6974 लोगों की मौत हुई है. वहीं बिहार सरकार के द्वारा जारी आंकड़ें के अनुसार बिहार में पिछले 6 सालों में केवल 23 मौते ही हुई है.

देशभर के आंकड़ें-

वर्षमौत के आंकड़ें
20161054
20171510
20181365
20191296
2020947
2021782

बिहार सरकार द्वारा जारी आंकड़ें-

वर्षमौत के आंकड़ें
20166
20170
20180
20199
20206
20212


सरकारी आंकड़ों से दूर सच्चाई: सरकार के द्वारा जो आंकड़े जारी किेए गए हैं. सच्चाई उससे कोसों दूर है. सच्चाई यह है कि 2021 में ही 100 से अधिक लोगों की मौत हुई थी और इस साल छपरा में 78 लोगों की मौत अब तक हो चुकी है. इस साल की शुरुआत में भी मकेर और अमनौर में जहरीली शराब से एक दर्जन लोगों की मौत हुई थी. सरकार का कहना है कि 2016 में केवल 6 मौत हुई है, जबकि हकीकत ये है कि 2016 में गोपालगंज के खजुर्बानी में सरकार ने 19 लोगों को जहरीली शराब से मौत के बाद उनके परिजनों को 4-4 लाख रुपये मुआवजा दी थी. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) भी वही आंकड़ा दिखाता है. जो राज्य सरकार भेजती है. शराब बंदी कानून लागू होने के बाद से अब तक जो जहरीली शराब से मौत के मामले सामने आए हैं, उसकी सूची नीचे दी गई है. हालांकि इस सूची के अलावा भी कई मौतें होने का अनुमान है, जिसका ना कहीं रिकार्ड होगा या फिर ना उसके परिवार वाले ये चाहते होंगे की उसका नाम उजागर हो.

बिहार में 6 सालों में जहरीली शराब से मौत की हकीकत (आंकड़ों में बदलाव संभव हैं)-

वर्षमौत के आंकड़ें
201619
201718
20189
20199
20206
2021100
202290

पूरे देश के आंकड़ों को लेकर सरकार का बीजेपी पर हमला: बिहार में राजनीति इतनी तेज हो गई है कि सरकार बिहार में जहरीली शराब से हुई मौत पर जवाब देने के बदले दूसरे राज्यों के आंकड़ों को दिखाकर विपक्ष पर निशाना साध रही है. आइए जानते है कि नीतीश सरकार के पास वो कौन से आंकड़े हैं, जिससे वो भाजपा पर हमलावर है. दरअसल पूरे देश के पिछले 6 वर्षों के आंकड़ें देखा जाए तो बीजेपी शासित राज्य उसमें आगे दिख रहें हैं. इसी वजह से बिहार सरकार भाजपा पर हमला करने का मौका नहीं चूक रही हैं.

2016 से 2021 तक जहरीली शराब से मौत राज्यों में इस प्रकार से हुई है (केंद्र सरकार की ओर से जारी आंकड़ों)-

राज्यमौत के आंकड़ें
मध्यप्रदेश 1322
कर्नाटक1013
पंजाब852
छत्तीसगढ़535
झारखंड487
हरियाणा489
उत्तर प्रदेश425
राजस्थान 330
गुजरात54
पश्चिम बंगाल 24
बिहार 23

ये भी पढ़ें- 'छपरा में जहरीली शराब से 38 लोगों की मौत, कोई शक'.. बोले नीतीश के मंत्री

छपरा जहरीली शराब से मौत

पटना: बिहार के छपरा जहरीली शराब कांड (Chapra Hooch Tragedy) में मचे कोहराम के बाद मानवाधिकार आयोग की 2 सदस्यीय टीम बिहार दौरे पर है. मानवाधिकार आयोग की टीम (human rights commission team in bihar) के आने से नीतीश सरकार परेशान है. आंकड़ों को लेकर ही सरकार की मुश्किलें बढ़ रही है. वहीं इस मुद्दे को लेकर बीजेपी लगातार नीतीश कुमार पर हमलावर है. दरअसल शराबबंदी के बावजूद लोगों की मौत और शराब तस्करी के मामले सरकार को परेशान कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें- मानवाधिकार आयोग की टीम के दौरे पर बोले सुनील कुमार- 'दूसरे राज्यों में भी जाना चाहिए'

जांच में जुटी मानवाधिकार की टीम: छपरा जहरीली शराब में बड़े पैमाने पर हुई मौत को लेकर मानवाधिकार आयोग की 1 सदस्यीय टीम 20 दिसंबर को बिहार आयी थी. वहीं बुधवार को डीजी के 2 और सदस्यों की टीम बिहार पहुंची. मानवाधिकार की टीम जांच की रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपेगी. इसके अलावा टीम पीड़ित परिजनों, स्वास्थ्य सेवा और पुलिस प्रशासन से भी फीडबैक लेगी. गोरतलब है कि छपरा में जहरीली शराब के कारण 78 से अधिक लोगों की मौत हुई है. जिसमें 78 लोगों के नाम भी सामने आ गए हैं. लेकिन अभी तक 42 लोगों का ही पोस्टमार्टम किया गया है. बताया जा रहा है कि कई लोगों को बिना पोस्टमार्टम के ही जला दिया गया.

सही आंकड़ें छिपा रही है सरकार : विपक्ष जहरीली शराब से मौैत के मुद्दे को लेकर सरकार फर हमलावर है. बीजेपी लगातार सरकार पर सहीं आंकड़ें छिपाने का आरोप लगा रही है. बीजेपी के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद सुशील मोदी से लेकर नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा तक सरकार पर आंकड़ों को छिपाने का आरोप लगा रहे हैं. सुशील मोदी का कहना है कि पिछले 6 साल में 1000 से अधिक लोगों की मौत जहरीली शराब से बिहार में हुई है. लेकिन बिहार सरकार जो आंकड़ा दे रही है वह काफी कम है. विशेषज्ञ भी बताते हैं कि सरकार शराबबंदी को सफल बनाने के लिए सही आंकड़ें डालने से बचती रही है और इस बार भी कमोबेश यही स्थिति है. लेकिन इस बार विपक्ष के तेवर एक तरफ तल्ख हैं तो दूसरी तरफ मानवाधिकार आयोग की टीम के दौरे से सरकार की मुश्किलें बढ़ गई है. मानवाधिकार आयोग की जांच में क्या सामने आता है. यह देखना दिलचस्प होगा. फिलहाल मानवाधिकार की टीम परिजनों से पूरी जानकारी ले रही है.

चल रहा है आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला: विपक्ष के आरोपों पर सत्तापक्ष की तरफ से बिहार सरकार के मद्य निषेध एवं उत्पाद मंत्री सुनील कुमार ने जवाब दिया कि 42 लोगों की मौत की पुष्टि एसपी ने की है. वहीं मंत्री लेसी सिंह का कहना है कि हम लोग आंकड़ा क्यों छिपाएंगे? सरकार को इससे क्या लाभ होगा? हालांकि इस मुद्दे को लेकर आरजेडी के विधायक और पूर्व मंत्री सुधाकर सिंह ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट में जो आंकड़े चल रहे हैं. वह सही है. सरकार अपना फेस बचाने के लिए आंकड़ा कम बता रही है.

देशभर में 6 सालों में 6974 मौतें: पिछले 6 सालों में पूरे देश में जहरीली शराब पीने से 6974 लोगों की मौत हुई है. वहीं बिहार सरकार के द्वारा जारी आंकड़ें के अनुसार बिहार में पिछले 6 सालों में केवल 23 मौते ही हुई है.

देशभर के आंकड़ें-

वर्षमौत के आंकड़ें
20161054
20171510
20181365
20191296
2020947
2021782

बिहार सरकार द्वारा जारी आंकड़ें-

वर्षमौत के आंकड़ें
20166
20170
20180
20199
20206
20212


सरकारी आंकड़ों से दूर सच्चाई: सरकार के द्वारा जो आंकड़े जारी किेए गए हैं. सच्चाई उससे कोसों दूर है. सच्चाई यह है कि 2021 में ही 100 से अधिक लोगों की मौत हुई थी और इस साल छपरा में 78 लोगों की मौत अब तक हो चुकी है. इस साल की शुरुआत में भी मकेर और अमनौर में जहरीली शराब से एक दर्जन लोगों की मौत हुई थी. सरकार का कहना है कि 2016 में केवल 6 मौत हुई है, जबकि हकीकत ये है कि 2016 में गोपालगंज के खजुर्बानी में सरकार ने 19 लोगों को जहरीली शराब से मौत के बाद उनके परिजनों को 4-4 लाख रुपये मुआवजा दी थी. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) भी वही आंकड़ा दिखाता है. जो राज्य सरकार भेजती है. शराब बंदी कानून लागू होने के बाद से अब तक जो जहरीली शराब से मौत के मामले सामने आए हैं, उसकी सूची नीचे दी गई है. हालांकि इस सूची के अलावा भी कई मौतें होने का अनुमान है, जिसका ना कहीं रिकार्ड होगा या फिर ना उसके परिवार वाले ये चाहते होंगे की उसका नाम उजागर हो.

बिहार में 6 सालों में जहरीली शराब से मौत की हकीकत (आंकड़ों में बदलाव संभव हैं)-

वर्षमौत के आंकड़ें
201619
201718
20189
20199
20206
2021100
202290

पूरे देश के आंकड़ों को लेकर सरकार का बीजेपी पर हमला: बिहार में राजनीति इतनी तेज हो गई है कि सरकार बिहार में जहरीली शराब से हुई मौत पर जवाब देने के बदले दूसरे राज्यों के आंकड़ों को दिखाकर विपक्ष पर निशाना साध रही है. आइए जानते है कि नीतीश सरकार के पास वो कौन से आंकड़े हैं, जिससे वो भाजपा पर हमलावर है. दरअसल पूरे देश के पिछले 6 वर्षों के आंकड़ें देखा जाए तो बीजेपी शासित राज्य उसमें आगे दिख रहें हैं. इसी वजह से बिहार सरकार भाजपा पर हमला करने का मौका नहीं चूक रही हैं.

2016 से 2021 तक जहरीली शराब से मौत राज्यों में इस प्रकार से हुई है (केंद्र सरकार की ओर से जारी आंकड़ों)-

राज्यमौत के आंकड़ें
मध्यप्रदेश 1322
कर्नाटक1013
पंजाब852
छत्तीसगढ़535
झारखंड487
हरियाणा489
उत्तर प्रदेश425
राजस्थान 330
गुजरात54
पश्चिम बंगाल 24
बिहार 23

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