पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सोशल इंजीनियरिंग के चाणक्य माने जाते हैं. टिकटों का बंटवारा हो या फिर मंत्रिमंडल का गठन, राजनीतिक समीकरण को आकार देने में नीतीश कुमार माहिर हैं, लेकिन इस बार नीतीश कुमार मात खा गए. उन्हें कुशवाहा जाति के उम्मीदवार मेवालाल चौधरी को मंत्री बनाना महंगा पड़ा.
इस बार चूक गए नीतीश कुमार
लव-कुश वोट बैंक नीतीश कुमार की ताकत है. टिकट बंटवारे के वक्त कुशवाहा जाति के 14 उम्मीदवारों को नीतीश ने टिकट दिया था. विडंबना यह रही कि इस बार जदयू के सिर्फ एक ही कुशवाहा उम्मीदवार चुनाव जीत पाए. ऐसे में कुशवाहा जाति के लोगों को संदेश देने के लिए मेवालाल चौधरी को मंत्री बनाना नीतीश की मजबूरी थी.
पद संभालते ही देना पड़ा इस्तीफा
नीतीश कुमार ने मेवालाल चौधरी को शिक्षा मंत्री बनाया, लेकिन गंभीर आरोपों से घिरे मेवालाल चौधरी को पद संभालने के महज 2 घंटे बाद ही इस्तीफा देना पड़ा. इसपर राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है.
"नीतीश कुमार अपने राजनीतिक हित के लिए भ्रष्टाचार से समझौता करते हैं. सबौर में रहते हुए मेवालाल चौधरी ने बड़े पैमाने पर घोटाला किया था. सदन में भी मामला उठा था. इसके बावजूद नीतीश ने उन्हें मंत्री बना दिया."- भाई वीरेंद्र, राजद प्रवक्ता
"हम भ्रष्टाचार से कोई समझौता नहीं करते. अगर किसी के ऊपर आरोप है तो उस पर कार्रवाई होती है. ना हम किसी को बचाते हैं और ना हम किसी को फंसाते हैं. राजद को भ्रष्टाचार पर बात करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है. उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष और तमाम बड़े नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं."- अभिषेक झा, जदयू प्रवक्ता