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नीतीश को बिहार में कैद कर रखना चाहती है बीजेपी, बन सकते थे राष्ट्रीय नेताः प्रेम कुमार मणि - अमित शाह

प्रेम कुमार मणि का कहना है कि नीतीश कुमार को बीजेपी छोड़ना नहीं चाहती. नीतीश विपक्ष की ताकत बन सकते हैं. ममता बनर्जी, अखिलेश यादव, नवीन पटनायक के बजाए वो बेहतर विकल्प दे सकते हैं. उनकी छवि भी अच्छी है. लेकिन नीतीश खुद कोई रिस्क नहीं लेना चाहते.

प्रेम कुमार मणि
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Published : Oct 18, 2019, 4:43 PM IST

पटनाः अमित शाह ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने की बात कही. इसके बाद जदयू और भाजपा का एक धड़ा खुशियां मना रहा है. वहीं, कई बड़बोले नेताओं की बोलती बंद हो चुकी है. एनडीए के कई नेता अब 2020 में 200 के पार का नारा भी लगाने लगे हैं.

लेकिन अमित शाह के बयान से उत्पन्न राजनीति को नीतीश कुमार के पुराने सहयोगी और मित्र दूसरी तरह से परिभाषित कर रहे हैं. पूर्व एमएलसी और साहित्यकार प्रेम कुमार मणि का मानना है कि भाजपा नीतीश कुमार को बिहार में कैद रखना चाहती है.

PATNA
अमित शाह और नीतीश कुमार

'नीतीश को बिहार तक सीमित रखना बीजेपी की चाल'
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए मणि ने बताया कि अमित शाह नीतीश से किसी तरह की चुनौती नहीं चाहते. उन्होंने बताया कि हिंदी पट्टी में नीतीश कुमार के अलावा कोई भी नेता विपक्ष का ताकत नहीं बन सकता. जनता में नीतीश कुमार की एक साफ-सुथरी और अच्छी छवि है. वर्तमान राजनीति में मायावती, अखिलेश यादव और बिहार के कोई भी बड़े नेता केंद्र की सरकार से लड़ने में सक्षम नहीं हैं. वहीं नवीन पटनायक और ममता बनर्जी हिंदी भाषी नहीं होने के कारण बीजेपी के लिए खतरा नहीं हैं.

ईटीवी भारत से बातचीत करते नीतीश के मित्र प्रेम कुमार मणि

'रिस्क नहीं लेना चाहते नीतीश'
पूर्व एमएलसी के मुताबिक अगर विपक्ष में नीतीश कुमार रहते तो उन पर केंद्रित ही राजनीति हो सकती थी. लेकिन अमित शाह और बीजेपी किसी तरह की जोखिम नहीं उठाना चाहती. यही कारण है कि नीतीश कुमार को बिहार में उलझा कर रखा जा रहा है. प्रेम कुमार मणि ने कहा कि नीतीश कुमार की राजनीतिक सिकुड़ती जा रही है. वह किसी तरह का जोखिम नहीं उठाना चाहते. दूसरी तरफ अमित शाह किसी भी सूरत में अपने चंगुल से जदयू और नीतीश कुमार को छोड़ना नहीं चाहते. लेकिन इस राजनीति से नीतीश कुमार के व्यक्तित्व को संकुचित किया जा रहा है.

पटनाः अमित शाह ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने की बात कही. इसके बाद जदयू और भाजपा का एक धड़ा खुशियां मना रहा है. वहीं, कई बड़बोले नेताओं की बोलती बंद हो चुकी है. एनडीए के कई नेता अब 2020 में 200 के पार का नारा भी लगाने लगे हैं.

लेकिन अमित शाह के बयान से उत्पन्न राजनीति को नीतीश कुमार के पुराने सहयोगी और मित्र दूसरी तरह से परिभाषित कर रहे हैं. पूर्व एमएलसी और साहित्यकार प्रेम कुमार मणि का मानना है कि भाजपा नीतीश कुमार को बिहार में कैद रखना चाहती है.

PATNA
अमित शाह और नीतीश कुमार

'नीतीश को बिहार तक सीमित रखना बीजेपी की चाल'
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए मणि ने बताया कि अमित शाह नीतीश से किसी तरह की चुनौती नहीं चाहते. उन्होंने बताया कि हिंदी पट्टी में नीतीश कुमार के अलावा कोई भी नेता विपक्ष का ताकत नहीं बन सकता. जनता में नीतीश कुमार की एक साफ-सुथरी और अच्छी छवि है. वर्तमान राजनीति में मायावती, अखिलेश यादव और बिहार के कोई भी बड़े नेता केंद्र की सरकार से लड़ने में सक्षम नहीं हैं. वहीं नवीन पटनायक और ममता बनर्जी हिंदी भाषी नहीं होने के कारण बीजेपी के लिए खतरा नहीं हैं.

ईटीवी भारत से बातचीत करते नीतीश के मित्र प्रेम कुमार मणि

'रिस्क नहीं लेना चाहते नीतीश'
पूर्व एमएलसी के मुताबिक अगर विपक्ष में नीतीश कुमार रहते तो उन पर केंद्रित ही राजनीति हो सकती थी. लेकिन अमित शाह और बीजेपी किसी तरह की जोखिम नहीं उठाना चाहती. यही कारण है कि नीतीश कुमार को बिहार में उलझा कर रखा जा रहा है. प्रेम कुमार मणि ने कहा कि नीतीश कुमार की राजनीतिक सिकुड़ती जा रही है. वह किसी तरह का जोखिम नहीं उठाना चाहते. दूसरी तरफ अमित शाह किसी भी सूरत में अपने चंगुल से जदयू और नीतीश कुमार को छोड़ना नहीं चाहते. लेकिन इस राजनीति से नीतीश कुमार के व्यक्तित्व को संकुचित किया जा रहा है.

Intro:नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले अमित शाह के बयान के बाद जदयू और भाजपा का एक धड़ा खुशियां मना रहा है। कई बड़बोले नेता की बोलती बंद हो चुकी है। एनडीए के कई नेता अब 2020 में 200 के पार का नारा भी लगाने लगे हैं। लेकिन अमित शाह के बयान से उत्पन्न राजनीति को नितीश कुमार के पुराने सहयोगी व मित्र दूसरी तरह से परिभाषित कर रहे हैं। पूर्व एमएलसी व साहित्यकार प्रेम कुमार मणि का मानना है कि भाजपा नीतीश कुमार को बिहार में कैद रखना चाहती है। अमित शाह बहुत ही होशियार व्यक्ति है और वह किसी तरह की चुनौती नहीं चाहते।


Body:मणि कहते हैं, कि हिंदी पट्टी में नीतीश कुमार के अलावा कोई भी नेता विपक्ष का ताकत नहीं बन सकता। जनता में नीतीश कुमार की एक साफ-सुथरी और अच्छी छवि है। वर्तमान राजनीति में मायावती, अखिलेश यादव और बिहार के कोई भी बड़े नेता केंद्र की सरकार से लड़ने में सक्षम नहीं है। वही नवीन पटनायक और ममता बनर्जी हिंदीभाषी नहीं होने के कारण बीजेपी के लिए बहुत खतरा नहीं बन सकते।
अगर विपक्ष में नितीश कुमार होते तो उन पर केंद्रित ही राजनीति हो सकती थी। लेकिन अमित शाह और भाजपा किसी तरह का जोखिम नहीं उठाना चाहती।


Conclusion:वही नीतीश कुमार के पुराने मित्र प्रेम कुमार मणि का कहना है, कि नीतीश कुमार के राजनीतिक सिकुड़ती जा रही है। वह किसी तरह का जोखिम नहीं उठाना चाहते। बिना जोखिम उठाए कोई भी चीज प्राप्त नहीं होता। अमित शाह किसी भी सूरत में अपने चंगुल से जदयू और नीतीश कुमार को छोड़ना नहीं चाहते। लेकिन इस राजनीति से नीतीश कुमार के व्यक्तित्व को संकुचित किया जा रहा है।
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