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Patna High Court: निचली अदालतों में वकीलों के बैठने की व्यवस्था को लेकर सुनवाई, 1 नवंबर को फिर होगी बहस - ETV bharat news

बिहार की निचली अदालतों में वकीलों के बैठने की बुनियादी व्यवस्था उपलब्ध नहीं होने के मामले में पटना हाईकोर्ट में सुनवाई हुई.वरीय अधिवक्ता रमाकांत शर्मा की याचिका पर चीफ के वी चंद्रन की खंडपीठ ने सुनवाई की. इस मामले पर अगली सुनवाई एक नवंबर को की जाएगी. पढ़ें पूरी खबर..

पटना हाईकोर्ट
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 10, 2023, 3:34 PM IST

पटना: पटना हाईकोर्ट ने राज्य की निचली अदालतों में वकीलों के बैठने और कार्य करने की व्यवस्था और बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं होने के मामले में सुनवाई हुई. वरीय अधिवक्ता रमाकांत शर्मा की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को अगली सुनवाई में प्रगति रिपोर्ट देने का निर्देश दिया. पिछली सुनवाई में कोर्ट के समक्ष राज्य सरकार की ओर से कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत किया गया था.

पढ़ें पूरी खबर:निचली अदालतों में वकीलों के बैठने की व्यवस्था को लेकर सुनवाई, 10 जनवरी को फिर होगी बहस

वकीलों की अगली सुनवाई 1 नवंबर को: राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पी के शाही ने कोर्ट को जानकारी देते हुए बताया था कि 13 स्थानों के लिए वकीलों के लिए भवन निर्माण और बुनियादी सुविधाओं के लिए टेंडर जारी किये गये थे, जबकि बाकी अन्य जिलों में भी कार्रवाई चल रही है. पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने भूमि उपलब्धता से सम्बंधित मामले पर राज्य के विकास आयुक्त को अधिकारियों के साथ बैठक करने का निर्देश दिया था. इस मामले पर अगली सुनवाई 1 नवंबर को की जाएगी.

भवन निर्माण विभाग करे तो काम में आएगी तेजी: कोर्ट ने राज्य सरकार को ये भी बताने को कहा था कि राज्य के 38 जिलों में से कितने जिलों में वकीलों के भवन निर्माण के लिए जिलाधिकारियों ने भूमि चिह्नित कर भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई पूरी कर ली है. याचिकाकर्ता रमाकांत शर्मा ने कोर्ट को बताया कि भवनों का निर्माण राज्य सरकार के भवन निर्माण विभाग करे तो काम तेजी से हो सकेगा. ठेकेदारी के काम में विलम्ब होने के अलावे लागत भी ज्यादा आएगी.

वकीलों को बुनियादी सुविधाओं का अभाव:वरीय अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि राज्य में लगभग एक लाख से भी अधिवक्ता अदालतों में कार्य करते हैं. लेकिन उनके लिए न तो बैठने की पर्याप्त व्यवस्था है और न ही कार्य करने की सुविधाएं उपलब्ध हैं. भवन की भी काफी कमी है. बुनियादी सुविधाओं का काफी अभाव है. याचिकाकर्ता का कहना था कि राज्य के अदालतों की स्थिति अच्छी नहीं है.अधिवक्ता अदालतों में कार्य करते है,लेकिन उनके लिए न तो बैठने की पर्याप्त व्यवस्था है और न कार्य करने की सुविधाएं उपलब्ध नहीं है. वकीलों के लिये शुद्ध पेय जल,शौचालय और अन्य बुनियादी सुविधाए भी उपलब्ध नहीं होती है.

पटना: पटना हाईकोर्ट ने राज्य की निचली अदालतों में वकीलों के बैठने और कार्य करने की व्यवस्था और बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं होने के मामले में सुनवाई हुई. वरीय अधिवक्ता रमाकांत शर्मा की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को अगली सुनवाई में प्रगति रिपोर्ट देने का निर्देश दिया. पिछली सुनवाई में कोर्ट के समक्ष राज्य सरकार की ओर से कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत किया गया था.

पढ़ें पूरी खबर:निचली अदालतों में वकीलों के बैठने की व्यवस्था को लेकर सुनवाई, 10 जनवरी को फिर होगी बहस

वकीलों की अगली सुनवाई 1 नवंबर को: राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पी के शाही ने कोर्ट को जानकारी देते हुए बताया था कि 13 स्थानों के लिए वकीलों के लिए भवन निर्माण और बुनियादी सुविधाओं के लिए टेंडर जारी किये गये थे, जबकि बाकी अन्य जिलों में भी कार्रवाई चल रही है. पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने भूमि उपलब्धता से सम्बंधित मामले पर राज्य के विकास आयुक्त को अधिकारियों के साथ बैठक करने का निर्देश दिया था. इस मामले पर अगली सुनवाई 1 नवंबर को की जाएगी.

भवन निर्माण विभाग करे तो काम में आएगी तेजी: कोर्ट ने राज्य सरकार को ये भी बताने को कहा था कि राज्य के 38 जिलों में से कितने जिलों में वकीलों के भवन निर्माण के लिए जिलाधिकारियों ने भूमि चिह्नित कर भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई पूरी कर ली है. याचिकाकर्ता रमाकांत शर्मा ने कोर्ट को बताया कि भवनों का निर्माण राज्य सरकार के भवन निर्माण विभाग करे तो काम तेजी से हो सकेगा. ठेकेदारी के काम में विलम्ब होने के अलावे लागत भी ज्यादा आएगी.

वकीलों को बुनियादी सुविधाओं का अभाव:वरीय अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि राज्य में लगभग एक लाख से भी अधिवक्ता अदालतों में कार्य करते हैं. लेकिन उनके लिए न तो बैठने की पर्याप्त व्यवस्था है और न ही कार्य करने की सुविधाएं उपलब्ध हैं. भवन की भी काफी कमी है. बुनियादी सुविधाओं का काफी अभाव है. याचिकाकर्ता का कहना था कि राज्य के अदालतों की स्थिति अच्छी नहीं है.अधिवक्ता अदालतों में कार्य करते है,लेकिन उनके लिए न तो बैठने की पर्याप्त व्यवस्था है और न कार्य करने की सुविधाएं उपलब्ध नहीं है. वकीलों के लिये शुद्ध पेय जल,शौचालय और अन्य बुनियादी सुविधाए भी उपलब्ध नहीं होती है.

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