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पुलिस मुख्यालय की नई पहल, वॉइस रिकॉर्डिंग के माध्यम से अनुसंधानकर्ता ऑनलाइन कर सकेंगे मामला दर्ज - अरवल के एसपी राजीव रंजन

पुलिस मुख्यालय के निर्देश के बाद बिहार में पहली बार अरवल जिले में सभी थानों के अनुसंधानकर्ता वॉइस रिकॉर्डिंग के माध्यम से केस डायरी लिखना प्रारंभ कर दिए हैं. अरवल के एसपी राजीव रंजन की इस अनोखी पहल पर जिले के सभी थानों में इस तरह की व्यवस्था की गई.

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Published : Sep 2, 2020, 3:23 PM IST

पटनाः समय की बचत और पुलिस को समृद्ध बनाने को लेकर पुलिस मुख्यालय अक्सर नई-नई पहल की शुरुआत करती है. तकनीक का बेहतर इस्तेमाल करने को लेकर पुलिस मुख्यालय ने सभी जिले के थानों में केस डायरी अब वॉइस रिकॉर्डिंग के माध्यम से लिखने की शुरुआत की पहल की है.

अब तक थानों में आए मामलों को ऑफलाइन के माध्यम से दर्ज किया जाता था. उसके बाद उसे कंप्यूटर के माध्यम से ऑनलाइन जोड़ा जाता था. जिसमें काफी समय बर्बाद होता था. लेकिन अब समय की बचत को लेकर पुलिस मुख्यालय ने निर्णय लिया है कि बिहार के सभी जिले के केस को आईओ तकनीकी का इस्तेमाल करके वॉइस रिकॉर्डिंग के माध्यम से लिखी जाएगी. जिसकी शुरुआत हो चुकी है.

देखें पूरी रिपोर्ट

नई पहल की शुरुआत
पुलिस मुख्यालय के निर्देश के बाद बिहार में पहली बार अरवल जिले में सभी थानों के अनुसंधानकर्ता वॉइस रिकॉर्डिंग के माध्यम से केस डायरी लिखना प्रारंभ कर दिए हैं. अरवल के एसपी राजीव रंजन की इस अनोखी पहल पर जिले के सभी थानों में इस तरह की व्यवस्था की गई. जिसके लिए सभी थानों में 6-6 कंप्यूटर और प्रिंटर के व्यवस्था की गई है. साथ ही अभियान चलाकर सभी अनुसंधानकर्ताओं से वॉइस रिकॉर्डिंग के माध्यम से केश डायरी लिखवाई जा रही है.

वॉइस रिकॉर्डिंग के माध्यम से लिखी जाएगी केस
आपको बता दें कि अनुसंधानकर्ता आसानी से कंप्यूटर के सामने बोल कर केस डायरी लिख पा रहे हैं. अनुसंधानकर्ता जो भी बोल रहे हैं. वह सीधा कंप्यूटर में टाइप हो जा रहा है. साथ ही उनकी ओर से लिखी गई केस डायरी को मोबाइल में भी आसानी से देखा जा सकता है. जिससे अनुसंधानकर्ता कहीं पर भी अपने मोबाइल में केस डायरी को खोल कर देख सकते हैं.

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जितेंद्र कुमार एडीजी

बिहार पुलिस ज्यादा टेक्नोलॉजी का कर रही प्रयोग
एडीजी मुख्यालय जितेंद्र कुमार की मानें तो पहले की तुलना में अब हम लोग निरंतर और उत्तरोत्तर रूप से खुद को प्रोफेशनली अपने को समृद्ध करने में लगे हुए हैं. पहले की अपेक्षा बिहार पुलिस अब ज्यादा टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करती है. साइंटिफिक केस हो या अनुसंधान हो या संचार हो या फिर अन्य मध्यम पर अब हम निर्भर के साथ-साथ अनुसंधान समुचित अपनी प्रक्रियाओं में प्रयोग कर रहे हैं. जितेंद्र कुमार ने बताया कि हमारा प्रयास है कि एक फ्रेंडली पुलिस का चेहरा आम जनता के बीच बन सके, जिस वजह से तकनीकों का प्रयोग भी हम इसी दिशा में लगातार कर रहे हैं.

पटनाः समय की बचत और पुलिस को समृद्ध बनाने को लेकर पुलिस मुख्यालय अक्सर नई-नई पहल की शुरुआत करती है. तकनीक का बेहतर इस्तेमाल करने को लेकर पुलिस मुख्यालय ने सभी जिले के थानों में केस डायरी अब वॉइस रिकॉर्डिंग के माध्यम से लिखने की शुरुआत की पहल की है.

अब तक थानों में आए मामलों को ऑफलाइन के माध्यम से दर्ज किया जाता था. उसके बाद उसे कंप्यूटर के माध्यम से ऑनलाइन जोड़ा जाता था. जिसमें काफी समय बर्बाद होता था. लेकिन अब समय की बचत को लेकर पुलिस मुख्यालय ने निर्णय लिया है कि बिहार के सभी जिले के केस को आईओ तकनीकी का इस्तेमाल करके वॉइस रिकॉर्डिंग के माध्यम से लिखी जाएगी. जिसकी शुरुआत हो चुकी है.

देखें पूरी रिपोर्ट

नई पहल की शुरुआत
पुलिस मुख्यालय के निर्देश के बाद बिहार में पहली बार अरवल जिले में सभी थानों के अनुसंधानकर्ता वॉइस रिकॉर्डिंग के माध्यम से केस डायरी लिखना प्रारंभ कर दिए हैं. अरवल के एसपी राजीव रंजन की इस अनोखी पहल पर जिले के सभी थानों में इस तरह की व्यवस्था की गई. जिसके लिए सभी थानों में 6-6 कंप्यूटर और प्रिंटर के व्यवस्था की गई है. साथ ही अभियान चलाकर सभी अनुसंधानकर्ताओं से वॉइस रिकॉर्डिंग के माध्यम से केश डायरी लिखवाई जा रही है.

वॉइस रिकॉर्डिंग के माध्यम से लिखी जाएगी केस
आपको बता दें कि अनुसंधानकर्ता आसानी से कंप्यूटर के सामने बोल कर केस डायरी लिख पा रहे हैं. अनुसंधानकर्ता जो भी बोल रहे हैं. वह सीधा कंप्यूटर में टाइप हो जा रहा है. साथ ही उनकी ओर से लिखी गई केस डायरी को मोबाइल में भी आसानी से देखा जा सकता है. जिससे अनुसंधानकर्ता कहीं पर भी अपने मोबाइल में केस डायरी को खोल कर देख सकते हैं.

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जितेंद्र कुमार एडीजी

बिहार पुलिस ज्यादा टेक्नोलॉजी का कर रही प्रयोग
एडीजी मुख्यालय जितेंद्र कुमार की मानें तो पहले की तुलना में अब हम लोग निरंतर और उत्तरोत्तर रूप से खुद को प्रोफेशनली अपने को समृद्ध करने में लगे हुए हैं. पहले की अपेक्षा बिहार पुलिस अब ज्यादा टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करती है. साइंटिफिक केस हो या अनुसंधान हो या संचार हो या फिर अन्य मध्यम पर अब हम निर्भर के साथ-साथ अनुसंधान समुचित अपनी प्रक्रियाओं में प्रयोग कर रहे हैं. जितेंद्र कुमार ने बताया कि हमारा प्रयास है कि एक फ्रेंडली पुलिस का चेहरा आम जनता के बीच बन सके, जिस वजह से तकनीकों का प्रयोग भी हम इसी दिशा में लगातार कर रहे हैं.

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