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समाजवादी आंदोलन से निकले नेताओं ने अपनाई 'मैं' की नीति! इन वृक्षों के नीचे नहीं बन सका कोई पेड़

70 के दशक की राजनीति में बड़ा बदलाव आया. ये वो दौर था जब गैर कांग्रेसी दल एक साथ आए. जेपी के आंदोलन से बिहार की राजनीति खासकर ( छात्र राजनीति ) से तीन बड़े समाजवादी नेता उभरे, इसमें लालू यादव, रामविलास पासवान और नीतीश कुमार का नाम प्रमुख रूप से शामिल है. लेकिन बिहार की राजनीति में दूसरी पंक्ति के लीडरशिप विकसित नहीं हुई. पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

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Published : Apr 11, 2021, 8:51 AM IST

Updated : Apr 11, 2021, 9:28 AM IST

Bihar politics
Bihar politics

पटना: बिहार के सत्ता के शीर्ष पर बैठे नेता समाजवादी आंदोलन के गर्भ से निकले हैं. नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव, रामविलास पासवान, सुशील मोदी सरीखे नेता लंबे समय तक सत्ता के शीर्ष पर बने रहे. बिहार की राजनीति में दूसरी पंक्ति के लीडरशिप विकसित नहीं हुई या उन्हें आगे नहीं बढ़ाया गया.

रामविलास पासवान
रामविलास पासवान, भूतपूर्व केंद्रीय मंत्री

जयप्रकाश नारायण ने बिहार में युवाओं से जुड़े मुद्दों को लेकर आंदोलन किया था. जेपी आंदोलन के गर्भ से बिहार में कई नेता निकले, जो लंबे समय तक सत्ता के शीर्ष पर बने रहे. लालू प्रसाद यादव, रामविलास पासवान, सुशील मोदी, सरीखे नेताओं ने बिहार को दिशा देने का काम तो किया, लेकिन इन ताकतवर नेताओं के नेतृत्व में दूसरी पंक्ति के लीडर सामने नहीं आ पाए.

नीतीश कुमार, सीएम, बिहार
नीतीश कुमार, सीएम, बिहार

छात्र राजनीति से तीन बड़े समाजवादी नेता उभरे
70 के दशक की राजनीति में बड़ा बदलाव आया. ये वो दौर था जब गैर कांग्रेसी दल एक साथ आए. जेपी के आंदोलन से बिहार की राजनीति खासकर ( छात्र राजनीति ) से तीन बड़े समाजवादी नेता उभरे, इसमें लालू यादव, रामविलास पासवान और नीतीश कुमार का नाम प्रमुख रूप से शामिल है. लालू यादव और नीतीश कुमार पटना यूनिवर्सिटी की छात्र राजनीति की पैदाइश हैं, जो आगे चलकर सत्ता के शिखर पर पहुंचे, लेकिन रास्ता इतना आसना नहीं था.

देखें रिपोर्ट...

ये भी पढ़ें: पटना: अब ऑनलाइन मिलेगा नैवेद्यम, मंदिर समिति ने जारी किया गूगल पे नंबर

लालू प्रसाद यादव और रामविलास पासवान ने जहां परिवारवाद को बढ़ाया. वहीं, नीतीश कुमार और सुशील मोदी ने खुद को परिवारवाद से अलग रखा. लेकिन इनके नेतृत्व में दूसरी पंक्ति के लीडरशिप विकसित नहीं हुई. तमाम समाजवादी नेता वट वृक्ष की भूमिका में दिखे. ऐसा वट वृक्ष जिसके नीचे कोई दूसरा पेड़ नहीं उग सकता है. नीतीश कुमार जिस समुदाय से आते हैं. इस समुदाय में ऐसे नेताओं की फेहरिस्त लंबी है, जिन्हें लंबे संघर्ष के बाद भी राजनीति में मुकाम नहीं मिली और वह संघर्ष के लिए मजबूर हैं.

ये भी पढ़ें: बोले महिपाल सिंह मकराना, 'जिसके मन में रावण है, उसका सिर कटेगा'

इंजीनियर सुनील कुमार सिंह नालंदा क्षेत्र से आते हैं और राजनीति में इनकी अच्छी खासी दखल है. एमएलए बनने का मौका तो इन्हें मिला. लेकिन फिलहाल यह भी संघर्ष कर रहे हैं. नालंदा क्षेत्र से आने वाले इंजीनियर रामचंद्र सिंह संघर्षशील नेता है. रामचंद्र सिंह ने मुहान नदी के लिए लंबे समय तक संघर्ष किया और आंदोलन 18 साल तक चला. 4 साल तक यह धरने पर बैठे रहे. लेकिन बिहार की राजनीति में जगह नहीं मिली.

जेपी आंदोलन
जेपी आंदोलन(फाइल फोटो)

ये भी पढ़ें: दागियों पर फिर सियासत: विपक्ष ने सरकार से पूछा- हमारे दाग गंदे तो आपके दाग अच्छे कैसे?

नालंदा क्षेत्र से आने वाले बिंदेश्वरी प्रसाद सिंह, चंद्र कुमार मणि अनिल कुमार मृत्युंजय कुमार दिलीप कुमार सिंह और रविंद्र प्रसाद सिंह लंबे समय से राजनीति में संघर्ष कर रहे हैं और तमाम नेता समता पार्टी के समय से ही जुड़े हैं. लेकिन राजनीति में अब तक में जगह नहीं मिल सकी.

ये भी पढ़ें: आरा में दो लोगों की मौत के बाद बवाल, सीओ की गाड़ी फूंकी, पुलिसकर्मियों की राइफल छीनी

राजीव रंजन सिंह जो फिलहाल भाजपा में उपाध्यक्ष हैं. लेकिन दो बार जदयू के टिकट पर MLA रहे. लेकिन पिछले दो विधानसभा चुनाव से राजीव रंजन टिकट से महरूम है. भाजपा प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल भी विधायक रह चुके हैं. लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिला है और इस बार विधान परिषद जाने से भी वंचित रह गए.

'जेपी आंदोलन से निकले नेता खुद को समाजवादी कहते हैं. लेकिन समाजवाद के सिद्धांत इनके लिए मायने नहीं रखते. लालू प्रसाद यादव, रामविलास पासवान ने तो परिवारवाद को बढ़ाया, लेकिन नीतीश कुमार के नेतृत्व में दूसरी पंक्ति के नेता सामने नहीं आए और नीतीश कुमार के समाज से आने वाले तो खास तौर पर उपस्थित रहे. समाजवादी नेताओं को डर बना रहा कि अगर दूसरी पंक्ति के नेता सामने आएंगे. तो फिर उनकी वापसी मुश्किल हो जाएगी': डॉ. संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

डॉ. संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक
डॉ. संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

'समाजवाद से कोई मतलब नहीं'
भाजपा के वरिष्ठ नेता नवल किशोर यादव का कहना है कि जो नेता खुद को समाजवादी कहते हैं. उन्हें समाजवाद से कोई मतलब नहीं है. जहां तक नेतृत्व का सवाल है तो उसे विकसित नहीं किया जाता, खुद विकसित होता है. समाजवादी नेताओं ने तो परिवारवाद को ही गले लगाने का काम किया.

बीजेपी नेता
नवल किशोर यादव, बीजेपी नेता

'नीतीश कुमार का व्यक्तित्व विराट'
जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा मानते हैं कि नीतीश कुमार व्यवहारिक समाजवादी नेता हैं और दूसरी पंक्ति के नेताओं को आगे लाने का काम हमारी पार्टी कर रही है. नीतीश कुमार का व्यक्तित्व विराट है और दूर-दूर तक परिवारवाद से नीतीश कुमार का सरोकार नहीं है.

उमेश कुशवाहा, प्रदेश अध्यक्ष, जेडीयू
उमेश कुशवाहा, प्रदेश अध्यक्ष, जेडीयू

पटना: बिहार के सत्ता के शीर्ष पर बैठे नेता समाजवादी आंदोलन के गर्भ से निकले हैं. नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव, रामविलास पासवान, सुशील मोदी सरीखे नेता लंबे समय तक सत्ता के शीर्ष पर बने रहे. बिहार की राजनीति में दूसरी पंक्ति के लीडरशिप विकसित नहीं हुई या उन्हें आगे नहीं बढ़ाया गया.

रामविलास पासवान
रामविलास पासवान, भूतपूर्व केंद्रीय मंत्री

जयप्रकाश नारायण ने बिहार में युवाओं से जुड़े मुद्दों को लेकर आंदोलन किया था. जेपी आंदोलन के गर्भ से बिहार में कई नेता निकले, जो लंबे समय तक सत्ता के शीर्ष पर बने रहे. लालू प्रसाद यादव, रामविलास पासवान, सुशील मोदी, सरीखे नेताओं ने बिहार को दिशा देने का काम तो किया, लेकिन इन ताकतवर नेताओं के नेतृत्व में दूसरी पंक्ति के लीडर सामने नहीं आ पाए.

नीतीश कुमार, सीएम, बिहार
नीतीश कुमार, सीएम, बिहार

छात्र राजनीति से तीन बड़े समाजवादी नेता उभरे
70 के दशक की राजनीति में बड़ा बदलाव आया. ये वो दौर था जब गैर कांग्रेसी दल एक साथ आए. जेपी के आंदोलन से बिहार की राजनीति खासकर ( छात्र राजनीति ) से तीन बड़े समाजवादी नेता उभरे, इसमें लालू यादव, रामविलास पासवान और नीतीश कुमार का नाम प्रमुख रूप से शामिल है. लालू यादव और नीतीश कुमार पटना यूनिवर्सिटी की छात्र राजनीति की पैदाइश हैं, जो आगे चलकर सत्ता के शिखर पर पहुंचे, लेकिन रास्ता इतना आसना नहीं था.

देखें रिपोर्ट...

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लालू प्रसाद यादव और रामविलास पासवान ने जहां परिवारवाद को बढ़ाया. वहीं, नीतीश कुमार और सुशील मोदी ने खुद को परिवारवाद से अलग रखा. लेकिन इनके नेतृत्व में दूसरी पंक्ति के लीडरशिप विकसित नहीं हुई. तमाम समाजवादी नेता वट वृक्ष की भूमिका में दिखे. ऐसा वट वृक्ष जिसके नीचे कोई दूसरा पेड़ नहीं उग सकता है. नीतीश कुमार जिस समुदाय से आते हैं. इस समुदाय में ऐसे नेताओं की फेहरिस्त लंबी है, जिन्हें लंबे संघर्ष के बाद भी राजनीति में मुकाम नहीं मिली और वह संघर्ष के लिए मजबूर हैं.

ये भी पढ़ें: बोले महिपाल सिंह मकराना, 'जिसके मन में रावण है, उसका सिर कटेगा'

इंजीनियर सुनील कुमार सिंह नालंदा क्षेत्र से आते हैं और राजनीति में इनकी अच्छी खासी दखल है. एमएलए बनने का मौका तो इन्हें मिला. लेकिन फिलहाल यह भी संघर्ष कर रहे हैं. नालंदा क्षेत्र से आने वाले इंजीनियर रामचंद्र सिंह संघर्षशील नेता है. रामचंद्र सिंह ने मुहान नदी के लिए लंबे समय तक संघर्ष किया और आंदोलन 18 साल तक चला. 4 साल तक यह धरने पर बैठे रहे. लेकिन बिहार की राजनीति में जगह नहीं मिली.

जेपी आंदोलन
जेपी आंदोलन(फाइल फोटो)

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नालंदा क्षेत्र से आने वाले बिंदेश्वरी प्रसाद सिंह, चंद्र कुमार मणि अनिल कुमार मृत्युंजय कुमार दिलीप कुमार सिंह और रविंद्र प्रसाद सिंह लंबे समय से राजनीति में संघर्ष कर रहे हैं और तमाम नेता समता पार्टी के समय से ही जुड़े हैं. लेकिन राजनीति में अब तक में जगह नहीं मिल सकी.

ये भी पढ़ें: आरा में दो लोगों की मौत के बाद बवाल, सीओ की गाड़ी फूंकी, पुलिसकर्मियों की राइफल छीनी

राजीव रंजन सिंह जो फिलहाल भाजपा में उपाध्यक्ष हैं. लेकिन दो बार जदयू के टिकट पर MLA रहे. लेकिन पिछले दो विधानसभा चुनाव से राजीव रंजन टिकट से महरूम है. भाजपा प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल भी विधायक रह चुके हैं. लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिला है और इस बार विधान परिषद जाने से भी वंचित रह गए.

'जेपी आंदोलन से निकले नेता खुद को समाजवादी कहते हैं. लेकिन समाजवाद के सिद्धांत इनके लिए मायने नहीं रखते. लालू प्रसाद यादव, रामविलास पासवान ने तो परिवारवाद को बढ़ाया, लेकिन नीतीश कुमार के नेतृत्व में दूसरी पंक्ति के नेता सामने नहीं आए और नीतीश कुमार के समाज से आने वाले तो खास तौर पर उपस्थित रहे. समाजवादी नेताओं को डर बना रहा कि अगर दूसरी पंक्ति के नेता सामने आएंगे. तो फिर उनकी वापसी मुश्किल हो जाएगी': डॉ. संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

डॉ. संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक
डॉ. संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

'समाजवाद से कोई मतलब नहीं'
भाजपा के वरिष्ठ नेता नवल किशोर यादव का कहना है कि जो नेता खुद को समाजवादी कहते हैं. उन्हें समाजवाद से कोई मतलब नहीं है. जहां तक नेतृत्व का सवाल है तो उसे विकसित नहीं किया जाता, खुद विकसित होता है. समाजवादी नेताओं ने तो परिवारवाद को ही गले लगाने का काम किया.

बीजेपी नेता
नवल किशोर यादव, बीजेपी नेता

'नीतीश कुमार का व्यक्तित्व विराट'
जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा मानते हैं कि नीतीश कुमार व्यवहारिक समाजवादी नेता हैं और दूसरी पंक्ति के नेताओं को आगे लाने का काम हमारी पार्टी कर रही है. नीतीश कुमार का व्यक्तित्व विराट है और दूर-दूर तक परिवारवाद से नीतीश कुमार का सरोकार नहीं है.

उमेश कुशवाहा, प्रदेश अध्यक्ष, जेडीयू
उमेश कुशवाहा, प्रदेश अध्यक्ष, जेडीयू
Last Updated : Apr 11, 2021, 9:28 AM IST
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