पटना: अखिलेश यादव ने लोकनायक जेपी जयंती पर नीतीश कुमार को केंद्र सरकार से समर्थन वापस लेने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि जेपी के लिए यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी. अखिलेश यादव के इस बयान के बाद पटना में सियासी उबाल मच गया. बीजेपी ने अखिलेश यादव पर करारा प्रहार किया. जदयू ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. कहा कि, अखिलेश यादव राजनीति कर रहे हैं. आज नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी की सफल बॉन्डिंग है.
अखिलेश यादव को दिखाया आईनाः जदयू प्रवक्ता अरविंद निषाद ने अखिलेश यादव पर निशाना चाहते हुए कहा वर्ष 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार एनडीए गठबंधन की सरकार थी. जिसमें नीतीश कुमार रेल मंत्री थे, उस समय लोकनायक जयप्रकाश नारायण को भारत रत्न से विभूषित किया गया था. उससे पहले यूपीए की सरकार थी, जिसमें लालू प्रसाद किंग मेकर की भूमिका में थे और मुलायम सिंह यादव, रक्षा मंत्री थे. उस समय लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी को भारत रत्न से क्यों नहीं अलंकृत किया गया.
जातीय गणना पर क्यों साधी थी चुप्पीः जदयू प्रवक्ता ने कहा कि इंडिया गठबंधन के निर्माता के रूप में नीतीश कुमार को जाना जाता है. जब इंडिया गठबंधन में प्रमुख का स्थान देने की बात आई तो उस समय समाजवादी पार्टी सहित अन्य सोशलिस्ट जमात के लोग चुप्पी साध गए. अखिलेश यादव उस समय कहां थे. मुंबई की बैठक में जाति जनगणना मुद्दे का कांग्रेस ने विरोध किया और तृणमूल कांग्रेस ने धमकी दी थी, उस समय अखिलेश यादव को विरोध करना चाहिए था.
"अखिलेश यादव आप राजनीति कर रहे हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच सफल बॉन्डिंग है. इस बॉन्डिंग से आज देश और बिहार प्रगति कर रहा है. हम इस एनडीए गठबंधन में महत्वपूर्ण पार्ट के रूप में हैं. आप जैसे भ्रष्टाचारी और उन्माद की राजनीति करने वाले लोगों के साथ हम कतई संबंध नहीं रखना चाहते हैं."- अरविंद निषाद, जदयू प्रवक्ता
क्या कहा था अखिलेश यादव नेः यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती के मौके पर नीतीश कुमार को याद दिलाया कि वह जेपी आंदोलन से जुड़े नेता रहे हैं. ऐसे में जो लोग जेपी और लोकतंत्र का अपमान कर रहे हैं, उनका साथ छोड़ दें. यह बिहार के मुख्यमंत्री के लिए अच्छा मौका है. जो लोग से अखिलेश यादव का इशारा भारतीय जनता पार्टी से था.
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