पटना : जल संसाधन मंत्री संजय झा ने कहा है कि बाढ़ राहत कार्य को नेपाल की ओर से रोके जाने से बिहार के कई जिलों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है. संजय झा ने कहा नेपाल की तरफ से पहली बार इस तरह से बाढ़ राहत को रोका गया है इसकी जानकारी केंद्र सरकार को भी दे दी गई है.
नेपाल ने पहले नहीं किया कभी ऐसा बर्ताव
जल संसाधन मंत्री संजय झा ने कहा कि गंडक बराज पर बाढ़ राहत काम को नेपाल सरकार की ओर से रोके जाने से परेशानी बढ़ गई है क्योंकि गंडक बराज से लगातार पानी छोड़ा जा रहा है और कई जिलों में परेशानी बढ़ सकती है. ऐसे बिहार के अंदर जो बाढ़ से बचाव के कार्य हैं वह सब कर लिए गए हैं. संजय झा का यह भी कहना है कि नेपाल की तरफ से पहले कभी इस तरह का व्यवधान उत्पन्न नहीं किया गया. पहली बार ऐसा हो रहा है जो बाढ़ राहत कार्य को रोका जा रहा है. वैसे भारत सरकार से लगातार बातचीत की जा रही है. पूरे मामले में बातचीत के माध्यम से रास्ता निकालने की कोशिश हो रही है.
'नो मैंस लैंड' का हिस्सा
बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने कहा है कि नेपाल गंडक बांध के लिए मरम्मत कार्य की अनुमति नहीं दे रहा है. जबकि लाल बकेया नदी 'नो मैंस लैंड' का हिस्सा है.
उन्होंने कहा कि इसके अलावा नेपाल ने कई अन्य स्थानों पर मरम्मत का काम रोक दिया है. पहली बार हम लोग ऐसी समस्या का सामना कर रहे हैं. हम मरम्मत कार्य के लिए सामग्री तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं. हमारे स्थानीय इंजीनियर और डीएम संबंधित अधिकारियों के साथ बातचीत कर रहे हैं और अब मैं मौजूदा स्थिति के बारे में विदेश मंत्रालय को पत्र लिखूंगा.
बिहार के बड़े हिस्से में बाढ़ आने की आशंका
उन्होंने आगे कहा कि यदि इस मुद्दे को समय पर नहीं देखा गया तो बिहार के बड़े हिस्से में बाढ़ आ जाएगी. संजय झा ने आगे कहा कि अगर हमारे इंजीनियरों के पास बाढ़ से लड़ने वाली सामग्री नहीं पहुंचेगी तो बांध की मरम्मत का काम प्रभावित होगा, अगर नेपाल में भारी वर्षा के कारण गंडक नदी का जल स्तर बढ़ता है तो यह एक गंभीर समस्या पैदा कर देगा.
चार दिनों में नेपाल ने कितना पानी छोड़ा
- 19 जून 2020: नेपाल ने गंडक नदी में छोड़ा 80 हजार क्यूसेक पानी
- 20 जून 2020: वाल्मीकिनगर बैराज से गंडक नदी में 1.52 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया.
- 21 जून 2020 : नेपाल ने एक लाख 47 हजार 500 क्यूसेक पानी गंडक में छोड़ा.
- 22 जून 2020 : नेपाल ने एक लाख 58 हजार से अधिक क्यूसेक पानी छोड़ा.
गंडक बैराज के 36 द्वार
संजय कुमार झा ने कहा कि गंडक बैराज के 36 द्वार हैं, जिनमें से 18 नेपाल में हैं. भारत ने अपने हिस्से में आने वाले फाटक तक के बांध की हर साल की तरह इस साल भी मरम्मत कर दी है. वहीं नेपाल के हिस्से में आने वाले 18वें से लेकर 36वें फाटक तक बने बांध की मरम्मत नहीं हो सकी है. नेपाल बांध मरम्मत के लिए सामग्री नहीं ले जाने दे रहा है. नेपाल ने उस क्षेत्र में अवरोध डाल दिए हैं. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ.
अभी तक नहीं निकला है कोई रास्ता
गंडक नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. बाढ़ राहत कार्य नहीं होने से स्थानीय लोगों की चिंता भी बढ़ी हुई है. जल संसाधन मंत्री संजय झा के अनुसार अभी तक रास्ता नहीं निकला है लेकिन विदेश मंत्रालय की तरफ से लगातार कोशिश हो रही है.
गंडक बराज के 3 फाटकों की हालत जर्जर
दरअसल, गंडक बराज के 3 फाटकों की स्थिति काफी जर्जर है. लेकिन, उन्हें अब तक बदला नहीं गया है. जानकारी के मुताबिक बराज के फाटक नंबर 29, 31 और 34 पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं. इस साल अगर नेपाल से भारी मात्रा में पानी छोड़ा जाता है तो गंडक बराज के ये फाटक पूरी तरह से टूट जाएंगे. पानी ग्रामीण और शहरी इलाकों में आ जाएगा. नतीजन, इस साल फिर बिहार में तबाही आएगी.
1964 के बाद से नहीं हुआ गंडक बराज का सिल्टेशन
बता दें कि वाल्मीकिनगर गंडक बराज की हालत जर्जर हो चुकी है. निर्माण के बाद से आज तक इसका सिल्टेशन नहीं कराया गया. नतीजन, इसकी क्षमता घटती जा रही है. साल 1964 में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और नेपाल के राजा महेंद्र वीर विक्रम शाह ने वाल्मीकिनगर गंडक बराज का शिलान्यास किया था. दोनों देशों ने 18-18 पिलर देकर इस बराज का निर्माण किया. लेकिन, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि 1964 से लेकर 2020 तक इस गंडक बराज का सिल्टेशन नहीं कराया गया है.
इन इलाकों को झेलनी पड़ती है बाढ़
बरसात के दिनों में जब गंडक बराज के फाटक खोले जाते हैं तो पश्चिमी चंपारण सहित उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में तबाही होती है. बिहार के गोपालगंज, मुजफ्फरपुर, हाजीपुर, सोनपुर जलमग्न हो जाते हैं. बीते कई सालों से लगातार गंडक बराज के छोड़े गए पानी के कारण बिहार में कोहराम देखने को मिला है. बावजूद जल संसाधन विभाग उदासीन रवैया अपनाए हुए है.
मोतिहारी : नेपाल ने बांध के काम को रुकवाया
इससे पहले नेपाल सरकार ने बिहार के पूर्वी चम्पारण के ढाका अनुमंडल में लाल बकेया नदी पर बन रहे तटबंध के पुर्निर्माण कार्य को रोक दिया है. भारत और नेपाल को दर्शाने वाली पिलर संख्या 346 और 347 के बीच लगभग पांच सौ मीटर के क्षतिग्रस्त तटबंध की मरम्मति कार्य पर नेपाल ने विरोध जताया है. लालबकेया नदी के इस तटबंध के मरम्मति के बाद बलुआ गुआबारी समेत सैकड़ों गांव बाढ़ की तबाही से बच जाएंगे.